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अय्यूब 22:5
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अय्यूब 22:5 (05 17 am)
हमारे बारे में
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अय्यूब 22:5
1
तब
तेमानी
एलीपज
ने
कहा,
2
क्या
पुरुष
से
ईश्वर
को
लाभ
पहुंच
सकता
है?
जो
बुद्धिमान
है,
वह
अपने
ही
लाभ
का
कारण
होता
है।
3
क्या
तेरे
धमीं
होने
से
सर्वशक्तिमान
सुख
पा
सकता
है?
तेरी
चाल
की
खराई
से
क्या
उसे
कुछ
लाभ
हो
सकता
है?
4
वह
तो
तुझे
डांटता
है,
और
तुझ
से
मुकद्दमा
लड़ता
है,
तो
क्या
इस
दशा
में
तेरी
भक्ति
हो
सकती
है?
5
क्या
तेरी
बुराई
बहुत
नहीं?
तेरे
अधर्म
के
कामों
का
कुछ
अन्त
नहीं।
6
तू
ने
तो
अपने
भाई
का
बन्धक
अकारण
रख
लिया
है,
और
नंगे
के
वस्त्र
उतार
लिये
हैं।
7
थके
हुए
को
तू
ने
पानी
न
पिलाया,
और
भूखे
को
रोटी
देने
से
इनकार
किया।
8
जो
बलवान
था
उसी
को
भूमि
मिली,
और
जिस
पुरुष
की
प्रतिष्ठा
हुई
थी,
वही
उस
में
बस
गया।
9
तू
ने
विधवाओं
को
छूछे
हाथ
लौटा
दिया।
और
अनाथों
की
बाहें
तोड़
डाली
गईं।
10
इस
कारण
तेरे
चारों
ओर
फन्दे
लगे
हैं,
और
अचानक
डर
के
मारे
तू
घबरा
रहा
है।
11
क्या
तू
अन्धियारे
को
नहीं
देखता,
और
उस
बाढ़
को
जिस
में
तू
डूब
रहा
है?
12
क्या
ईश्वर
स्वर्ग
के
ऊंचे
स्थान
में
नहीं
है?
ऊंचे
से
ऊंचे
तारों
को
देख
कि
वे
कितने
ऊंचे
हैं॥
13
फिर
तू
कहता
है
कि
ईश्वर
क्या
जानता
है?
क्या
वह
घोर
अन्धकार
की
आड़
में
हो
कर
न्याय
करेगा?
14
काली
घटाओं
से
वह
ऐसा
छिपा
रहता
है
कि
वह
कुछ
नहीं
देख
सकता,
वह
तो
आकाशमण्डल
ही
के
ऊपर
चलता
फिरता
है।
15
क्या
तू
उस
पुराने
रास्ते
को
पकड़े
रहेगा,
जिस
पर
वे
अनर्थ
करने
वाले
चलते
हैं?
16
वे
अपने
समय
से
पहले
उठा
लिए
गए
और
उनके
घर
की
नेव
नदी
बहा
ले
गई।
17
उन्होंने
ईश्वर
से
कहा
था,
हम
से
दूर
हो
जा;
और
यह
कि
सर्वशक्तिमान
हमारा
क्या
कर
सकता
है?
18
तौभी
उसने
उनके
घर
अच्छे
अच्छे
पदार्थों
से
भर
दिए--
परन्तु
दुष्ट
लोगों
का
विचार
मुझ
से
दूर
रहे।
19
धमीं
लेग
देखकर
आनन्दित
होते
हैं;
और
निर्दोष
लोग
उनकी
हंसी
करते
हैं,
कि
20
जो
हमारे
विरुद्ध
उठे
थे,
नि:सन्देह
मिट
गए
और
उनका
बड़ा
धन
आग
का
कौर
हो
गया
है।
21
उस
से
मेलमिलाप
कर
तब
तुझे
शान्ति
मिलेगी;
और
इस
से
तेरी
भलाई
होगी।
22
उसके
मुंह
से
शिक्षा
सुन
ले,
और
उसके
वचन
अपने
मन
में
रख।
23
यदि
तू
सर्वशक्तिमान
की
ओर
फिर
के
समीप
जाए,
और
अपने
डेरे
से
कुटिल
काम
दूर
करे,
तो
तू
बन
जाएगा।
24
तू
अपनी
अनमोल
वस्तुओं
को
धूलि
पर,
वरन
ओपीर
का
कुन्दन
भी
नालों
के
पत्थरों
में
डाल
दे,
25
तब
सर्वशक्तिमान
आप
तेरी
अनमोल
वस्तु
और
तेरे
लिये
चमकीली
चान्दी
होगा।
26
तब
तू
सर्वशक्तिमान
से
सुख
पाएगा,
और
ईश्वर
की
ओर
अपना
मुंह
बेखटके
उठा
सकेगा।
27
और
तू
उस
से
प्रार्थना
करेगा,
और
वह
तेरी
सुनेगा;
और
तू
अपनी
मन्नतों
को
पूरी
करेगा।
28
जो
बात
तू
ठाने
वह
तुझ
से
बन
भी
पड़ेगी,
और
तेरे
मार्गों
पर
प्रकाश
रहेगा।
29
चाहे
दुर्भाग्य
हो
तौभी
तू
कहेगा
कि
सुभाग्य
होगा,
क्योंकि
वह
नम्र
मनुष्य
को
बचाता
है।
30
वरन
जो
निर्दोष
न
हो
उसको
भी
वह
बचाता
है;
तेरे
शुद्ध
कामों
के
कारण
तू
छुड़ाया
जाएगा।
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