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दानिय्येल
होशे
योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहन्ना
2 यूहन्ना
3 यूहन्ना
यहूदा
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अधिक
अय्यूब 38:20
उत्पत्ति
निर्गमन
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गिनती
व्यवस्थाविवरण
यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
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योएल
आमोस
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योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
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1 थिस्सलुनीकियों
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अय्यूब 38:20 (06 24 am)
हमारे बारे में
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अय्यूब 38:20
1
तब
यहोवा
ने
अय्यूब
को
आँधी
में
से
यूं
उत्तर
दिया,
2
यह
कौन
है
जो
अज्ञानता
की
बातें
कहकर
युक्ति
को
बिगाड़ना
चाहता
है?
3
पुरुष
की
नाईं
अपनी
कमर
बान्ध
ले,
क्योंकि
मैं
तुझ
से
प्रश्न
करता
हूँ,
और
तू
मुझे
उत्तर
दे।
4
जब
मैं
ने
पृथ्वी
की
नेव
डाली,
तब
तू
कहां
था?
यदि
तू
समझदार
हो
तो
उत्तर
दे।
5
उसकी
नाप
किस
ने
ठहराई,
क्या
तू
जानता
है
उस
पर
किस
ने
सूत
खींचा?
6
उसकी
नेव
कौन
सी
वस्तु
पर
रखी
गई,
वा
किस
ने
उसके
कोने
का
पत्थर
बिठाया,
7
जब
कि
भोर
के
तारे
एक
संग
आनन्द
से
गाते
थे
और
परमेश्वर
के
सब
पुत्र
जयजयकार
करते
थे?
8
फिर
जब
समुद्र
ऐसा
फूट
निकला
मानो
वह
गर्भ
से
फूट
निकला,
तब
किस
ने
द्वार
मूंदकर
उसको
रोक
दिया;
9
जब
कि
मैं
ने
उसको
बादल
पहिनाया
और
घोर
अन्धकार
में
लपेट
दिया,
10
और
उसके
लिये
सिवाना
बान्धा
और
यह
कहकर
बेंड़े
और
किवाड़े
लगा
दिए,
कि
11
यहीं
तक
आ,
और
आगे
न
बढ़,
और
तेरी
उमंडने
वाली
लहरें
यहीं
थम
जाएं?
12
क्या
तू
ने
जीवन
भर
में
कभी
भोर
को
आज्ञा
दी,
और
पौ
को
उसका
स्थान
जताया
है,
13
ताकि
वह
पृथ्वी
की
छोरों
को
वश
में
करे,
और
दुष्ट
लोग
उस
में
से
झाड़
दिए
जाएं?
14
वह
ऐसा
बदलता
है
जैसा
मोहर
के
नीचे
चिकनी
मिट्टी
बदलती
है,
और
सब
वस्तुएं
मानो
वस्त्र
पहिने
हुए
दिखाई
देती
हैं।
15
दुष्टों
से
उनका
उजियाला
रोक
लिया
जाता
है,
और
उनकी
बढ़ाई
हुई
बांह
तोड़ी
जाती
है।
16
क्या
तू
कभी
समुद्र
के
सोतों
तक
पहुंचा
है,
वा
गहिरे
सागर
की
थाह
में
कभी
चला
फिरा
है?
17
क्या
मृत्यु
के
फाटक
तुझ
पर
प्रगट
हुए,
क्या
तू
घोर
अन्धकार
के
फाटकों
को
कभी
देखन
पाया
है?
18
क्या
तू
ने
पृथ्वी
की
चौड़ाई
को
पूरी
रीति
से
समझ
लिया
है?
यदि
तू
यह
सब
जानता
है,
तो
बतला
दे।
19
उजियाले
के
निवास
का
मार्ग
कहां
है,
और
अन्धियारे
का
स्थान
कहां
है?
20
क्या
तू
उसे
उसके
सिवाने
तक
हटा
सकता
है,
और
उसके
घर
की
डगर
पहिचान
सकता
है?
21
नि:सन्देह
तू
यह
सब
कुछ
जानता
होगा!
क्योंकि
तू
तो
उस
समय
उत्पन्न
हुआ
था,
और
तू
बहुत
आयु
का
है।
22
फिर
क्या
तू
कभी
हिम
के
भणडार
में
पैठा,
वा
कभी
ओलों
के
भणडार
को
तू
ने
देखा
है,
23
जिस
को
मैं
ने
संकट
के
समय
और
युद्ध
और
लड़ाई
के
दिन
के
लिये
रख
छोड़ा
है?
24
किस
मार्ग
से
उजियाला
फैलाया
जाता
है,
ओर
पुरवाई
पृथ्वी
पर
बहाई
जाती
है?
25
महावृष्टि
के
लिये
किस
ने
नाला
काटा,
और
कड़कने
वाली
बिजली
के
लिये
मार्ग
बनाया
है,
26
कि
निर्जन
देश
में
और
जंगल
में
जहां
कोई
मनुष्य
नहीं
रहता
मेंह
बरसाकर,
27
उजाड़
ही
उजाड़
देश
को
सींचे,
और
हरी
घास
उगाए?
28
क्या
मेंह
का
कोई
पिता
है,
और
ओस
की
बूंदें
किस
ने
उत्पन्न
की?
29
किस
के
गर्भ
से
बर्फ
निकला
है,
और
आकाश
से
गिरे
हुए
पाले
को
कौन
उत्पन्न
करता
है?
30
जल
पत्थर
के
समान
जम
जाता
है,
और
गहिरे
पानी
के
ऊपर
जमावट
होती
है।
31
क्या
तू
कचपचिया
का
गुच्छा
गूंथ
सकता
वा
मृगशिरा
के
बन्धन
खोल
सकता
है?
32
क्या
तू
राशियों
को
ठीक
ठीक
समय
पर
उदय
कर
सकता,
वा
सप्तर्षि
को
साथियों
समेत
लिए
चल
सकता
है?
33
क्या
तू
आकाशमण्डल
की
विधियां
जानता
और
पृथ्वी
पर
उनका
अधिकार
ठहरा
सकता
है?
34
क्या
तू
बादलों
तक
अपनी
वाणी
पहुंचा
सकता
है
ताकि
बहुत
जल
बरस
कर
तुझे
छिपा
ले?
35
क्या
तू
बिजली
को
आज्ञा
दे
सकता
है,
कि
वह
जाए,
और
तुझ
से
कहे,
मैं
उपस्थित
हूँ?
36
किस
ने
अन्त:करण
में
बुद्धि
उपजाई,
और
मन
में
समझने
की
शक्ति
किस
ने
दी
है?
37
कौन
बुद्धि
से
बादलों
को
गिन
सकता
है?
और
कौन
आकाश
के
कुप्पों
को
उण्डेल
सकता
है,
38
जब
धूलि
जम
जाती
है,
और
ढेले
एक
दूसरे
से
सट
जाते
हैं?
39
क्या
तू
सिंहनी
के
लिये
अहेर
पकड़
सकता,
और
जवान
सिंहों
का
पेट
भर
सकता
है,
40
जब
वे
मांद
में
बैठे
हों
और
आड़
में
घात
लगाए
दबक
कर
बैठे
हों?
41
फिर
जब
कौवे
के
बच्चे
ईश्वर
की
दोहाई
देते
हुए
निराहार
उड़ते
फिरते
हैं,
तब
उन
को
आहार
कौन
देता
है?
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