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निर्गमन 12:35
1
फिर
यहोवा
ने
मिस्र
देश
में
मूसा
और
हारून
से
कहा,
2
कि
यह
महीना
तुम
लोगों
के
लिये
आरम्भ
का
ठहरे;
अर्थात
वर्ष
का
पहिला
महीना
यही
ठहरे।
3
इस्राएल
की
सारी
मण्डली
से
इस
प्रकार
कहो,
कि
इसी
महीने
के
दसवें
दिन
को
तुम
अपने
अपने
पितरों
के
घरानों
के
अनुसार,
घराने
पीछे
एक
एक
मेम्ना
ले
रखो।
4
और
यदि
किसी
के
घराने
में
एक
मेम्ने
के
खाने
के
लिये
मनुष्य
कम
हों,
तो
वह
अपने
सब
से
निकट
रहने
वाले
पड़ोसी
के
साथ
प्राणियों
की
गिनती
के
अनुसार
एक
मेम्ना
ले
रखे;
और
तुम
हर
एक
के
खाने
के
अनुसार
मेम्ने
का
हिसाब
करना।
5
तुम्हारा
मेम्ना
निर्दौष
और
पहिले
वर्ष
का
नर
हो,
और
उसे
चाहे
भेड़ों
में
से
लेना
चाहे
बकरियों
में
से।
6
और
इस
महीने
के
चौदहवें
दिन
तक
उसे
रख
छोड़ना,
और
उस
दिन
गोधूलि
के
समय
इस्राएल
की
सारी
मण्डली
के
लोग
उसे
बलि
करें।
7
तब
वे
उसके
लोहू
में
से
कुछ
ले
कर
जिन
घरों
में
मेम्ने
को
खाएंगे
उनके
द्वार
के
दोनों
अलंगोंऔर
चौखट
के
सिरे
पर
लगाएं।
8
और
वे
उसके
मांस
को
उसी
रात
आग
में
भूंजकर
अखमीरी
रोटी
और
कड़वे
सागपात
के
साथ
खाएं।
9
उसको
सिर,
पैर,
और
अतडिय़ों
समेत
आग
में
भूंजकर
खाना,
कच्चा
वा
जल
में
कुछ
भी
पकाकर
न
खाना।
10
और
उस
में
से
कुछ
बिहान
तक
न
रहने
देना,
और
यदि
कुछ
बिहान
तक
रह
भी
जाए,
तो
उसे
आग
में
जला
देना।
11
और
उसके
खाने
की
यह
विधि
है;
कि
कमर
बान्धे,
पांव
में
जूती
पहिने,
और
हाथ
में
लाठी
लिए
हुए
उसे
फुर्ती
से
खाना;
वह
तो
यहोवा
का
पर्ब्ब
होगा।
12
क्योंकि
उस
रात
को
मैं
मिस्र
देश
के
बीच
में
से
हो
कर
जाऊंगा,
और
मिस्र
देश
के
क्या
मनुष्य
क्या
पशु,
सब
के
पहिलौठों
को
मारूंगा;
और
मिस्र
के
सारे
देवताओं
को
भी
मैं
दण्ड
दूंगा;
मैं
तो
यहोवा
हूं।
13
और
जिन
घरों
में
तुम
रहोगे
उन
पर
वह
लोहू
तुम्हारे
निमित्त
चिन्ह
ठहरेगा;
अर्थात
मैं
उस
लोहू
को
देखकर
तुम
को
छोड़
जाऊंगा,
और
जब
मैं
मिस्र
देश
के
लोगों
को
मारूंगा,
तब
वह
विपत्ति
तुम
पर
न
पड़ेगी
और
तुम
नाश
न
होगे।
14
और
वह
दिन
तुम
को
स्मरण
दिलाने
वाला
ठहरेगा,
और
तुम
उसको
यहोवा
के
लिये
पर्ब्ब
करके
मानना;
वह
दिन
तुम्हारी
पीढिय़ों
में
सदा
की
विधि
जानकर
पर्ब्ब
माना
जाए।
15
सात
दिन
तक
अखमीरी
रोटी
खाया
करना,
उन
में
से
पहिले
ही
दिन
अपने
अपने
घर
में
से
खमीर
उठा
डालना,
वरन
जो
पहिले
दिन
से
ले
कर
सातवें
दिन
तक
कोई
खमीरी
वस्तु
खाए,
वह
प्राणी
इस्राएलियों
में
से
नाश
किया
जाए।
16
और
पहिले
दिन
एक
पवित्र
सभा,
और
सातवें
दिन
भी
एक
पवित्र
सभा
करना;
उन
दोनों
दिनों
मे
कोई
काम
न
किया
जाए;
केवल
जिस
प्राणी
का
जो
खाना
हो
उसके
काम
करने
की
आज्ञा
है।
17
इसलिये
तुम
बिना
खमीर
की
रोटी
का
पर्ब्ब
मानना,
क्योंकि
उसी
दिन
मानो
मैं
ने
तुम
को
दल
दल
करके
मिस्र
देश
से
निकाला
है;
इस
कारण
वह
दिन
तुम्हारी
पीढिय़ों
में
सदा
की
विधि
जान
कर
माना
जाए।
18
पहिले
महीने
के
चौदहवें
दिन
की
सांझ
से
ले
कर
इक्कीसवें
दिन
की
सांझ
तक
तुम
अखमीरी
रोटी
खाया
करना।
19
सात
दिन
तक
तुम्हारे
घरों
में
कुछ
भी
खमीर
न
रहे,
वरन
जो
कोई
किसी
खमीरी
वस्तु
को
खाए,
चाहे
वह
देशी
हो
चाहे
परदेशी,
वह
प्राणी
इस्राएलियों
की
मण्डली
से
नाश
किया
जाए।
20
कोई
खमीरी
वस्तु
न
खाना;
अपने
सब
घरों
में
बिना
खमीर
की
रोटी
खाया
करना॥
21
तब
मूसा
ने
इस्राएल
के
सब
पुरनियों
को
बुलाकर
कहा,
तुम
अपने
अपने
कुल
के
अनुसार
एक
एक
मेम्ना
अलग
कर
रखो,
और
फसह
का
पशु
बलि
करना।
22
और
उसका
लोहू
जो
तसले
में
होगा
उस
में
जूफा
का
एक
गुच्छा
डुबाकर
उसी
तसले
में
के
लोहू
से
द्वार
के
चौखट
के
सिरे
और
दोनों
अलंगों
पर
कुछ
लगाना;
और
भोर
तक
तुम
में
से
कोई
घर
से
बाहर
न
निकले।
23
क्योंकि
यहोवा
देश
के
बीच
हो
कर
मिस्रियों
को
मारता
जाएगा;
इसलिये
जहां
जहां
वह
चौखट
के
सिरे,
और
दोनों
अलंगों
पर
उस
लोहू
को
देखेगा,
वहां
वहां
वह
उस
द्वार
को
छोड़
जाएगा,
और
नाश
करने
वाले
को
तुम्हारे
घरों
में
मारने
के
लिये
न
जाने
देगा।
24
फिर
तुम
इस
विधि
को
अपने
और
अपने
वंश
के
लिये
सदा
की
विधि
जानकर
माना
करो।
25
जब
तुम
उस
देश
में
जिसे
यहोवा
अपने
कहने
के
अनुसार
तुम
को
देगा
प्रवेश
करो,
तब
वह
काम
किया
करना।
26
और
जब
तुम्हारे
लड़केबाले
तुम
से
पूछें,
कि
इस
काम
से
तुम्हारा
क्या
मतलब
है?
27
तब
तुम
उन
को
यह
उत्तर
देना,
कि
यहोवा
ने
जो
मिस्रियों
के
मारने
के
समय
मिस्र
में
रहने
वाले
हम
इस्राएलियों
के
घरों
को
छोड़कर
हमारे
घरों
को
बचाया,
इसी
कारण
उसके
फसह
का
यह
बलिदान
किया
जाता
है।
तब
लोगों
ने
सिर
झुका
कर
दण्डवत
की।
28
और
इस्राएलियों
ने
जा
कर,
जो
आज्ञा
यहोवा
ने
मूसा
और
हारून
को
दी
थी,
उसी
के
अनुसार
किया॥
29
और
ऐसा
हुआ
कि
आधी
रात
को
यहोवा
ने
मिस्र
देश
में
सिंहासन
पर
विराजने
वाले
फिरौन
से
ले
कर
गड़हे
में
पड़े
हुए
बन्धुए
तक
सब
के
पहिलौठों
को,
वरन
पशुओं
तक
के
सब
पहिलौठों
को
मार
डाला।
30
और
फिरौन
रात
ही
को
उठ
बैठा,
और
उसके
सब
कर्मचारी,
वरन
सारे
मिस्री
उठे;
और
मिस्र
में
बड़ा
हाहाकार
मचा,
क्योंकि
एक
भी
ऐसा
घर
न
था
जिसमें
कोई
मरा
न
हो।
31
तब
फिरौन
ने
रात
ही
रात
में
मूसा
और
हारून
को
बुलवाकर
कहा,
तुम
इस्राएलियों
समेत
मेरी
प्रजा
के
बीच
से
निकल
जाओ;
और
अपने
कहने
के
अनुसार
जा
कर
यहोवा
की
उपासना
करो।
32
अपने
कहने
के
अनुसार
अपनी
भेड़-बकरियोंऔर
गाय-बैलों
को
साथ
ले
जाओ;
और
मुझे
आशीर्वाद
दे
जाओ।
33
और
मिस्री
जो
कहते
थे,
कि
हम
तो
सब
मर
मिटे
हैं,
उन्होंने
इस्राएली
लोगों
पर
दबाव
डालकर
कहा,
कि
देश
से
झटपट
निकल
जाओ।
34
तब
उन्होंने
अपने
गून्धे
गुन्धाए
आटे
को
बिना
खमीर
दिए
ही
कठौतियों
समेत
कपड़ों
में
बान्ध
के
अपने
अपने
कन्धे
पर
डाल
लिया।
35
और
इस्राएलियों
ने
मूसा
के
कहने
के
अनुसार
मिस्रियों
से
सोने
चांदी
के
गहने
और
वस्त्र
मांग
लिये।
36
और
यहोवा
ने
मिस्रियों
को
अपनी
प्रजा
के
लोगों
पर
ऐसा
दयालु
किया,
कि
उन्होंने
जो
जो
मांगा
वह
सब
उन
को
दिया।
इस
प्रकार
इस्राएलियों
ने
मिस्रियों
को
लूट
लिया॥
37
तब
इस्राएली
रामसेस
से
कूच
करके
सुक्कोत
को
चले,
और
बालबच्चों
को
छोड़
वे
कोई
छ:
लाख
पुरूष
प्यादे
थे।
38
और
उनके
साथ
मिली
जुली
हुई
एक
भीड़
गई,
और
भेड़-बकरी,
गाय-बैल,
बहुत
से
पशु
भी
साथ
गए।
39
और
जो
गून्धा
आटा
वे
मिस्र
से
साथ
ले
गए
उसकी
उन्होंने
बिना
खमीर
दिए
रोटियां
बनाईं;
क्योंकि
वे
मिस्र
से
ऐसे
बरबस
निकाले
गए,
कि
उन्हें
अवसर
भी
न
मिला
की
मार्ग
में
खाने
के
लिये
कुछ
पका
सकें,
इसी
कारण
वह
गून्धा
हुआ
आटा
बिना
खमीर
का
था।
40
मिस्र
में
बसे
हुए
इस्राएलियों
को
चार
सौ
तीस
वर्ष
बीत
गए
थे।
41
और
उन
चार
सौ
तीस
वर्षों
के
बीतने
पर,
ठीक
उसी
दिन,
यहोवा
की
सारी
सेना
मिस्र
देश
से
निकल
गई।
42
यहोवा
इस्राएलियों
को
मिस्र
देश
से
निकाल
लाया,
इस
कारण
वह
रात
उसके
निमित्त
मानने
के
अति
योग्य
है;
यह
यहोवा
की
वही
रात
है
जिसका
पीढ़ी
पीढ़ी
में
मानना
इस्राएलियों
के
लिये
अति
अवश्य
है॥
43
फिर
यहोवा
ने
मूसा
और
हारून
से
कहा,
पर्ब्ब
की
विधि
यह
है;
कि
कोई
परदेशी
उस
में
से
न
खाए;
44
पर
जो
किसी
का
मोल
लिया
हुआ
दास
हो,
और
तुम
लोगों
ने
उसका
खतना
किया
हो,
वह
तो
उस
में
से
खा
सकेगा।
45
पर
परदेशी
और
मजदूर
उस
में
से
न
खाएं।
46
उसका
खाना
एक
ही
घर
में
हो;
अर्थात
तुम
उसके
मांस
में
से
कुछ
घर
से
बाहर
न
ले
जाना;
और
बलिपशु
की
कोई
हड्डी
न
तोड़ना।
47
पर्ब्ब
को
मानना
इस्राएल
की
सारी
मण्डली
का
कर्तव्य
कर्म
है।
48
और
यदि
कोई
परदेशी
तुम
लोगों
के
संग
रहकर
यहोवा
के
लिये
पर्ब्ब
को
मानना
चाहे,
तो
वह
अपने
यहां
के
सब
पुरूषों
का
खतना
कराए,
तब
वह
समीप
आकर
उसको
माने;
और
वह
देशी
मनुष्य
के
तुल्य
ठहरेगा।
पर
कोई
खतनारहित
पुरूष
उस
में
से
न
खाने
पाए।
49
उसकी
व्यवस्था
देशी
और
तुम्हारे
बीच
में
रहने
वाले
परदेशी
दोनों
के
लिये
एक
ही
हो।
50
यह
आज्ञा
जो
यहोवा
ने
मूसा
और
हारून
को
दी
उसके
अनुसार
सारे
इस्राएलियों
ने
किया।
51
और
ठीक
उसी
दिन
यहोवा
इस्राएलियों
को
मिस्र
देश
से
दल
दल
करके
निकाल
ले
गया॥
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