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गलातियों
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1
यहोवा
ने
मूसा
से
कहा,
2
इस्राएलियों
को
आज्ञा
दे,
कि
वे
लौटकर
मिगदोल
और
समुद्र
के
बीच
पीहहीरोत
के
सम्मुख,
बालसपोन
के
साम्हने
अपने
डेरे
खड़े
करें,
उसी
के
साम्हने
समुद्र
के
तट
पर
डेरे
खड़े
करें।
3
तब
फिरौन
इस्राएलियों
के
विषय
में
सोचेगा,
कि
वे
देश
के
उलझनोंमें
बझे
हैं
और
जंगल
में
घिर
गए
हैं।
4
तब
मैं
फिरौन
के
मन
को
कठोर
कर
दूंगा,
और
वह
उनका
पीछा
करेगा,
तब
फिरौन
और
उसकी
सारी
सेना
के
द्वारा
मेरी
महिमा
होगी;
और
मिस्री
जान
लेंगे
कि
मैं
यहोवा
हूं।
और
उन्होंने
वैसा
ही
किया।
5
जब
मिस्र
के
राजा
को
यह
समाचार
मिला
कि
वे
लोग
भाग
गए,
तब
फिरौन
और
उसके
कर्मचारियों
का
मन
उनके
विरुद्ध
पलट
गया,
और
वे
कहने
लगे,
हम
ने
यह
क्या
किया,
कि
इस्राएलियों
को
अपनी
सेवकाई
से
छुटकारा
देकर
जाने
दिया?
6
तब
उसने
अपना
रथ
जुतवाया
और
अपनी
सेना
को
संग
लिया।
7
उसने
छ:
सौ
अच्छे
से
अच्छे
रथ
वरन
मिस्र
के
सब
रथ
लिए
और
उन
सभों
पर
सरदार
बैठाए।
8
और
यहोवा
ने
मिस्र
के
राजा
फिरौन
के
मन
को
कठोर
कर
दिया।
सो
उसने
इस्राएलियों
का
पीछा
किया;
परन्तु
इस्राएली
तो
बेखटके
निकले
चले
जाते
थे।
9
पर
फिरौन
के
सब
घोड़ों,
और
रथों,
और
सवारों
समेत
मिस्री
सेना
ने
उनका
पीछा
करके
उन्हें,
जो
पीहहीरोत
के
पास,
बालसपोन
के
साम्हने,
समुद्र
के
तीर
पर
डेरे
डाले
पड़े
थे,
जा
लिया॥
10
जब
फिरौन
निकट
आया,
तब
इस्राएलियों
ने
आंखे
उठा
कर
क्या
देखा,
कि
मिस्री
हमारा
पीछा
किए
चले
आ
रहे
हैं;
और
इस्राएली
अत्यन्त
डर
गए,
और
चिल्लाकर
यहोवा
की
दोहाई
दी।
11
और
वे
मूसा
से
कहने
लगे,
क्या
मिस्र
में
कबरें
न
थीं
जो
तू
हम
को
वहां
से
मरने
के
लिये
जंगल
में
ले
आया
है?
तू
ने
हम
से
यह
क्या
किया,
कि
हम
को
मिस्र
से
निकाल
लाया?
12
क्या
हम
तुझ
से
मिस्र
में
यही
बात
न
कहते
रहे,
कि
हमें
रहने
दे
कि
हम
मिस्रियों
की
सेवा
करें?
हमारे
लिये
जंगल
में
मरने
से
मिस्रियों
की
सेवा
करनी
अच्छी
थी।
13
मूसा
ने
लोगों
से
कहा,
डरो
मत,
खड़े
खड़े
वह
उद्धार
का
काम
देखो,
जो
यहोवा
आज
तुम्हारे
लिये
करेगा;
क्योंकि
जिन
मिस्रियों
को
तुम
आज
देखते
हो,
उन
को
फिर
कभी
न
देखोगे।
14
यहोवा
आप
ही
तुम्हारे
लिये
लड़ेगा,
इसलिये
तुम
चुपचाप
रहो॥
15
तब
यहोवा
ने
मूसा
से
कहा,
तू
क्यों
मेरी
दोहाई
दे
रहा
है?
इस्राएलियों
को
आज्ञा
दे
कि
यहां
से
कूच
करें।
16
और
तू
अपनी
लाठी
उठा
कर
अपना
हाथ
समुद्र
के
ऊपर
बढ़ा,
और
वह
दो
भाग
हो
जाएगा;
तब
इस्राएली
समुद्र
के
बीच
हो
कर
स्थल
ही
स्थल
पर
चले
जाएंगे।
17
और
सुन,
मैं
आप
मिस्रियों
के
मन
को
कठोर
करता
हूं,
और
वे
उनका
पीछा
करके
समुद्र
में
घुस
पड़ेंगे,
तब
फिरौन
और
उसकी
सेना,
और
रथों,
और
सवारों
के
द्वारा
मेरी
महिमा
होगी,
तब
मिस्री
जान
लेंगे
कि
मैं
यहोवा
हूं।
18
और
जब
फिरौन,
और
उसके
रथों,
और
सवारों
के
द्वारा
मेरी
महिमा
होगी,
तब
मिस्री
जान
लेंगे
कि
मैं
यहोवा
हूं।
19
तब
परमेश्वर
का
दूत
जो
इस्राएली
सेना
के
आगे
आगे
चला
करता
था
जा
कर
उनके
पीछे
हो
गया;
और
बादल
का
खम्भा
उनके
आगे
से
हटकर
उनके
पीछे
जा
ठहरा।
20
इस
प्रकार
वह
मिस्रियों
की
सेना
और
इस्राएलियों
की
सेना
के
बीच
में
आ
गया;
और
बादल
और
अन्धकार
तो
हुआ,
तौभी
उससे
रात
को
उन्हें
प्रकाश
मिलता
रहा;
और
वे
रात
भर
एक
दूसरे
के
पास
न
आए।
21
और
मूसा
ने
अपना
हाथ
समुद्र
के
ऊपर
बढ़ाया;
और
यहोवा
ने
रात
भर
प्रचण्ड
पुरवाई
चलाई,
और
समुद्र
को
दो
भाग
करके
जल
ऐसा
हटा
दिया,
जिससे
कि
उसके
बीच
सूखी
भूमि
हो
गई।
22
तब
इस्राएली
समुद्र
के
बीच
स्थल
ही
स्थल
पर
हो
कर
चले,
और
जल
उनकी
दाहिनी
और
बाईं
ओर
दीवार
का
काम
देता
था।
23
तब
मिस्री,
अर्थात
फिरौन
के
सब
घोड़े,
रथ,
और
सवार
उनका
पीछा
किए
हुए
समुद्र
के
बीच
में
चले
गए।
24
और
रात
के
पिछले
पहर
में
यहोवा
ने
बादल
और
आग
के
खम्भे
में
से
मिस्रियों
की
सेना
पर
दृष्टि
करके
उन्हें
घबरा
दिया।
25
और
उसने
उनके
रथों
के
पहियों
को
निकाल
डाला,
जिससे
उनका
चलना
कठिन
हो
गया;
तब
मिस्री
आपस
में
कहने
लगे,
आओ,
हम
इस्राएलियों
के
साम्हने
से
भागें;
क्योंकि
यहोवा
उनकी
ओर
से
मिस्रियों
के
विरुद्ध
युद्ध
कर
रहा
है॥
26
फिर
यहोवा
ने
मूसा
से
कहा,
अपना
हाथ
समुद्र
के
ऊपर
बढ़ा,
कि
जल
मिस्रियों,
और
उनके
रथों,
और
सवारों
पर
फिर
बहने
लगे।
27
तब
मूसा
ने
अपना
हाथ
समुद्र
के
ऊपर
बढ़ाया,
और
भोर
होते
होते
क्या
हुआ,
कि
समुद्र
फिर
ज्यों
का
त्योंअपने
बल
पर
आ
गया;
और
मिस्री
उलटे
भागने
लगे,
परन्तु
यहोवा
ने
उन
को
समुद्र
के
बीच
ही
में
झटक
दिया।
28
और
जल
के
पलटने
से,
जितने
रथ
और
सवार
इस्राएलियों
के
पीछे
समुद्र
में
आए
थे,
सो
सब
वरन
फिरौन
की
सारी
सेना
उस
में
डूब
गई,
और
उस
में
से
एक
भी
न
बचा।
29
परन्तु
इस्राएली
समुद्र
के
बीच
स्थल
ही
स्थल
पर
हो
कर
चले
गए,
और
जल
उनकी
दाहिनी
और
बाईं
दोनों
ओर
दीवार
का
काम
देता
था।
30
और
यहोवा
ने
उस
दिन
इस्राएलियों
को
मिस्रियों
के
वश
से
इस
प्रकार
छुड़ाया;
और
इस्राएलियों
ने
मिस्रियों
को
समुद्र
के
तट
पर
मरे
पड़े
हुए
देखा।
31
और
यहोवा
ने
मिस्रियों
पर
जो
अपना
पराक्रम
दिखलाता
था,
उसको
देखकर
इस्राएलियों
ने
यहोवा
का
भय
माना
और
यहोवा
की
और
उसके
दास
मूसा
की
भी
प्रतीति
की॥
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