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अधिक
सभोपदेशक 8:1
उत्पत्ति
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यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
2 शमूएल
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योना
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
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1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
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सभोपदेशक 8:1 (01 54 pm)
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सभोपदेशक 8:1
1
बुद्धिमान
के
तुल्य
कौन
है?
और
किसी
बात
का
अर्थ
कौन
लगा
सकता
है?
मनुष्य
की
बुद्धि
के
कारण
उसका
मुख
चमकता,
और
उसके
मुख
की
कठोरता
दूर
हो
जाती
है।
2
मैं
तुझे
सम्मति
देता
हूं
कि
परमेश्वर
की
शपथ
के
कारण
राजा
की
आज्ञा
मान।
3
राजा
के
साम्हने
से
उतावली
के
साथ
न
लौटना
और
न
बुरी
बात
पर
हठ
करना,
क्योंकि
वह
जो
कुछ
चाहता
है
करता
है।
4
क्योंकि
राजा
के
वचन
में
तो
सामर्थ्य
रहती
है,
और
कौन
उस
से
कह
सकता
है
कि
तू
क्या
करता
है?
5
जो
आज्ञा
को
मानता
है,
वह
जोखिम
से
बचेगा,
और
बुद्धिमान
का
मन
समय
और
न्याय
का
भेद
जानता
है।
6
क्योंकि
हर
एक
विषय
का
समय
और
नियम
होता
है,
यद्यिप
मनुष्य
का
दु:ख
उसके
लिये
बहुत
भारी
होता
है।
7
वह
नहीं
जानता
कि
क्या
होने
वाला
है,
और
कब
होगा?
यह
उसको
कौन
बता
सकता
है?
8
ऐसा
कोई
मनुष्य
नहीं
जिसका
वश
प्राण
पर
चले
कि
वह
उसे
निकलते
समय
रोक
ले,
और
न
कोई
मृत्यु
के
दिन
पर
अधिकारी
होता
है;
और
न
उसे
लड़ाई
से
छृट्टी
मिल
सकती
है,
और
न
दुष्ट
लोग
अपनी
दुष्टता
के
कारण
बच
सकते
हैं।
9
जितने
काम
धरती
पर
किए
जाते
हैं
उन
सब
को
ध्यानपूर्वक
देखने
में
यह
सब
कुछ
मैं
ने
देखा,
और
यह
भी
देखा
कि
एक
मनुष्य
दूसरे
मनुष्य
पर
अधिकारी
हो
कर
अपने
ऊपर
हानि
लाता
है॥
10
तब
मैं
ने
दुष्टों
को
गाड़े
जाते
देखा;
अर्थात
उनकी
तो
कब्र
बनी,
परन्तु
जिन्होंने
ठीक
काम
किया
था
वे
पवित्रस्थान
से
निकल
गए
और
उनका
स्मरण
भी
नगर
में
न
रहा;
यह
भी
व्यर्थ
ही
है।
11
बुरे
काम
के
दण्ड
की
आज्ञा
फुर्ती
से
नहीं
दी
जाती;
इस
कारण
मनुष्यों
का
मन
बुरा
काम
करने
की
इच्छा
से
भरा
रहता
है।
12
चाहे
पापी
सौ
बार
पाप
करे
अपने
दिन
भी
बढ़ाए,
तौभी
मुझे
निश्चय
है
कि
जो
परमेश्वर
से
डरते
हैं
और
अपने
तईं
उसको
सम्मुख
जानकर
भय
से
चलते
हैं,
उनका
भला
ही
होगा;
13
परन्तु
दुष्ट
का
भला
नहीं
होने
का,
और
न
उसकी
जीवनरूपी
छाया
लम्बी
होने
पाएगी,
क्योंकि
वह
परमेश्वर
का
भय
नहीं
मानता॥
14
एक
व्यर्थ
बात
पृथ्वी
पर
होती
है,
अर्थात
ऐसे
धर्मी
हैं
जिनकी
वह
दशा
होती
है
जो
दुष्टों
की
होनी
चाहिये,
और
ऐसे
दुष्ट
हैं
जिनकी
वह
दशा
होती
है
हो
धर्मियों
की
होनी
चाहिये।
मैं
ने
कह
कि
यह
भी
व्यर्थ
ही
है।
15
तब
मैं
ने
आनन्द
को
सराहा,
क्योंकि
सूर्य
के
नीचे
मनुष्य
के
लिये
खाने-पीने
और
आनन्द
करने
को
छोड़
और
कुछ
भी
अच्छा
नहीं,
क्योंकि
यही
उसके
जीवन
भर
जो
परमेश्वर
उसके
लिये
धरती
पर
ठहराए,
उसके
परिश्रम
में
उसके
संग
बना
रहेगा॥
16
जब
मैं
ने
बुद्धि
प्राप्त
करने
और
सब
काम
देखने
के
लिये
जो
पृथ्वी
पर
किए
जाते
हैं
अपना
मन
लगाया,
कि
कैसे
मनुष्य
रात-दिन
जागते
रहते
हैं;
17
तब
मैं
ने
परमेश्वर
का
सारा
काम
देखा
जो
सूर्य
के
नीचे
किया
जाता
है,
उसकी
थाह
मनुष्य
नहीं
पा
सकता।
चाहे
मनुष्य
उसकी
खोज
में
कितना
भी
परिश्रम
करे,
तौभी
उसको
न
जान
पाएगा;
और
यद्यिप
बुद्धिमान
कहे
भी
कि
मैं
उसे
समझूंगा,
तौभी
वह
उसे
न
पा
सकेगा॥
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