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यशायाह
यिर्मयाह
विलापगीत
यहेजकेल
दानिय्येल
होशे
योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहन्ना
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3 यूहन्ना
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यशायाह 14
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मीका
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लूका
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1 कुरिन्थियों
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यहेजकेल 47:23 (10 14 am)
नीतिवचन 10:29 (10 14 am)
यशायाह 14:0 (10 14 am)
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यशायाह 14
1
यहोवा
याकूब
पर
दया
करेगा,
और
इस्राएल
को
फिर
अपनाकर,
उन्हीं
के
देश
में
बसाएगा,
और
परदेशी
उन
से
मिल
जाएंगे
और
अपने
अपने
को
याकूब
के
घराने
से
मिला
लेंगे।
2
और
देश
देश
के
लोग
उन
को
उन्हीं
के
स्थान
में
पहुंचाएंगे,
और
इस्राएल
का
घराना
यहोवा
की
भूमि
पर
उनका
अधिकारी
हो
कर
उन
को
दास
और
दासियां
बनाएगा;
क्योंकि
वे
अपने
बंधुवाई
में
ले
जाने
वालों
को
बंधुआ
करेंगे,
और
जो
उन
पर
अत्याचार
करते
थे
उन
पर
वे
शासन
करेंगे॥
3
और
जिस
दिन
यहोवा
तुझे
तेरे
सन्ताप
और
घबराहट
से,
और
उस
कठिन
श्रम
से
जो
तुझ
से
लिया
गया
विश्राम
देगा,
4
उस
दिन
तू
बाबुल
के
राजा
पर
ताना
मार
कर
कहेगा
कि
परिश्रम
कराने
वाला
कैसा
नाश
हो
गया
है,
सुनहले
मन्दिरों
से
भरी
नगरी
कैसी
नाश
हो
गई
है!
5
यहोवा
ने
दुष्टों
के
सोंटे
को
और
अन्याय
से
शासन
करने
वालों
के
लठ
को
तोड़
दिया
है,
6
जिस
से
वे
मनुष्यों
को
लगातार
रोष
से
मारते
रहते
थे,
और
जाति
जाति
पर
क्रोध
से
प्रभुता
करते
और
लगातार
उनके
पीछे
पड़े
रहते
थे।
7
अब
सारी
पृथ्वी
को
विश्राम
मिला
है,
वह
चैन
से
है;
लोग
ऊंचे
स्वर
से
गा
उठे
हैं।
8
सनौवर
और
लबानोन
के
देवदार
भी
तुझ
पर
आनन्द
कर
के
कहते
हैं,
जब
से
तू
गिराया
गया
तब
से
कोई
हमें
काटने
को
नहीं
आया।
9
पाताल
के
नीचे
अधोलोक
में
तुझ
से
मिलने
के
लिये
हलचल
हो
रही
है;
वह
तेरे
लिये
मुर्दों
को
अर्थात
पृथ्वी
के
सब
सरदारों
को
जगाता
है,
और
वह
जाति
जाति
से
सब
राजाओं
को
उनके
सिंहासन
पर
से
उठा
खड़ा
करता
है।
10
वे
सब
तुझ
से
कहेंगे,
क्या
तू
भी
हमारी
नाईं
निर्बल
हो
गया
है?
क्या
तू
हमारे
समान
ही
बन
गया?
11
तेरा
वैभव
और
तेरी
सारंगियों
को
शब्द
अधोलोक
में
उतारा
गया
है;
कीड़े
तेरा
बिछौना
और
केंचुए
तेरा
ओढ़ना
हैं॥
12
हे
भोर
के
चमकने
वाले
तारे
तू
क्योंकर
आकाश
से
गिर
पड़ा
है?
तू
जो
जाति
जाति
को
हरा
देता
था,
तू
अब
कैसे
काट
कर
भूमि
पर
गिराया
गया
है?
13
तू
मन
में
कहता
तो
था
कि
मैं
स्वर्ग
पर
चढूंगा;
मैं
अपने
सिंहासन
को
ईश्वर
के
तारागण
से
अधिक
ऊंचा
करूंगा;
और
उत्तर
दिशा
की
छोर
पर
सभा
के
पर्वत
पर
बिराजूंगा;
14
मैं
मेघों
से
भी
ऊंचे
ऊंचे
स्थानों
के
ऊपर
चढूंगा,
मैं
परमप्रधान
के
तुल्य
हो
जाऊंगा।
15
परन्तु
तू
अधोलोक
में
उस
गड़हे
की
तह
तक
उतारा
जाएगा।
16
जो
तुझे
देखेंगे
तुझ
को
ताकते
हुए
तेरे
विषय
में
सोच
सोचकर
कहेंगे,
क्या
यह
वही
पुरूष
है
जो
पृथ्वी
को
चैन
से
रहने
न
देता
था
और
राज्य
राज्य
में
घबराहट
डाल
देता
था;
17
जो
जगत
को
जंगल
बनाता
और
उसके
नगरों
को
ढा
देता
था,
और
अपने
बंधुओं
को
घर
जाने
नहीं
देता
था?
18
जाति
जाति
के
सब
राजा
अपने
अपने
घर
पर
महिमा
के
साथ
आराम
से
पड़े
हैं;
19
परन्तु
तू
निकम्मी
शाख
की
नाईं
अपनी
कबर
में
से
फेंका
गया;
तू
उन
मारे
हुओं
की
लोथों
से
घिरा
है
जो
तलवार
से
बिधकर
गड़हे
में
पत्थरों
के
बीच
में
लताड़ी
हुई
लोथ
के
समान
पड़े
है।
20
तू
उनके
साथ
कब्र
में
न
गाड़ा
जाएगा,
क्योंकि
तू
ने
अपने
देश
को
उजाड़
दिया,
और
अपनी
प्रजा
का
घात
किया
है।
कुकमिर्यों
के
वंश
का
नाम
भी
कभी
न
लिया
जाएगा।
21
उनके
पूर्वजों
के
अधर्म
के
कारण
पुत्रों
के
घात
की
तैयारी
करो,
ऐसा
न
हो
कि
वे
फिर
उठ
कर
पृथ्वी
के
अधिकारी
हो
जाएं,
और
जगत
में
बहुत
से
नगर
बसाएं॥
22
सेनाओं
के
यहोवा
की
यह
वाणी
है
कि
मैं
उनके
विरुद्ध
उठूंगा,
और
बाबुल
का
नाम
और
निशान
मिटा
डालूंगा,
और
बेटों-पोतों
को
काट
डालूंगा,
यहोवा
की
यही
वाणी
है।
23
मैं
उसको
साही
की
मान्द
और
जल
की
झीलें
कर
दूंगा,
और
मैं
उसे
सत्यानाश
के
झाडू
से
जाड़
डालूंगा,
सेनाओं
के
यहोवा
की
यही
वाणी
है॥
24
सेनाओं
के
यहोवा
ने
यह
शपथ
खाई
है,
नि:सन्देह
जैसा
मैं
ने
ठाना
है,
वैसा
ही
हो
जाएगा,
और
जैसी
मैं
ने
युक्ति
की
है,
वैसी
ही
पूरी
होगी,
25
कि
मैं
अश्शूर
को
अपने
ही
देश
में
तोड़
दूंगा,
और
अपने
पहाड़ों
पर
उसे
कुचल
डालूंगा;
तब
उसका
जूआ
उनकी
गर्दनों
पर
से
और
उसका
बोझ
उनके
कंधों
पर
से
उतर
जाएगा।
26
यही
युक्ति
सारी
पृथ्वी
के
लिये
ठहराई
गई
है;
और
यह
वही
हाथ
है
जो
सब
जातियों
पर
बढ़ा
हुआ
है।
27
क्योंकि
सेनाओं
के
यहोवा
ने
युक्ति
की
है
और
कौन
उसका
टाल
सकता
है?
उसका
हाथ
बढ़ाया
गया
है,
उसे
कौन
रोक
सकता
है?
28
जिस
वर्ष
में
आहाज
राजा
मर
गया
उसी
वर्ष
यह
भारी
भविष्यद्वाणी
हुई:
29
हे
सारे
पलिश्तीन
तू
इसलिये
आनन्द
न
कर,
कि
तेरे
मारने
वाले
की
लाठी
टूट
गई,
क्योंकि
सर्प
की
जड़
से
एक
काला
नाग
उत्पन्न
होगा,
और
उसका
फल
एक
उड़ने
वाला
और
तेज
विष
वाला
अग्निसर्प
होगा।
30
तब
कंगालों
के
जेठे
खाएंगे
और
दरिद्र
लोग
निडर
बैठने
पाएंगे,
परन्तु
मैं
तेरे
वंश
को
भूख
से
मार
डालूंगा,
और
तेरे
बचे
हुए
लोग
घात
किए
जाएंगे।
31
हे
फाटक,
तू
हाय
हाय
कर;
हे
नगर,
तू
चिल्ला;
हे
पलिश्तीन
तू
सब
का
सब
पिघल
जा!
क्योंकि
उत्तर
से
एक
धूआं
उठेगा
और
उसकी
सेना
में
से
कोई
पीछे
न
रहेगा॥
32
तब
अन्यजातियों
के
दूतों
को
क्या
उत्तर
दिया
जाएगा?
यह
कि
यहोवा
ने
सिय्योन
की
नेव
डाली
है,
और
उसकी
प्रजा
के
दीन
लोग
उस
में
शरण
लेंगे॥
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