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विलापगीत
यहेजकेल
दानिय्येल
होशे
योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
1 पतरस
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1 यूहन्ना
2 यूहन्ना
3 यूहन्ना
यहूदा
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विलापगीत 2:1
उत्पत्ति
निर्गमन
लैव्यवस्था
गिनती
व्यवस्थाविवरण
यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
2 शमूएल
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योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
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1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
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फिलेमोन
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याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहन्ना
2 यूहन्ना
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यहूदा
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1
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विलापगीत 2:1 (04 36 am)
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विलापगीत 2:1
1
यहोवा
ने
सिय्योन
की
पुत्री
को
किस
प्रकार
अपने
कोप
के
बादलों
से
ढांप
दिया
है!
उसने
इस्राएल
की
शोभा
को
आकाश
से
धरती
पर
पटक
दिया;
और
कोप
के
दिन
अपने
पांवों
की
चौकी
को
स्मरण
नहीं
किया।
2
यहोवा
ने
याकूब
की
सब
बस्तियों
को
निठुरता
से
नष्ट
किया
है;
उसने
रोष
में
आकर
यहूदा
की
पुत्री
के
दृढ़
गढ़ों
को
ढाकर
मिट्टी
में
मिला
दिया
है;
उसने
हाकिमों
समेत
राज्य
को
अपवित्र
ठहराया
है।
3
उसने
क्रोध
में
आकर
इस्राएल
के
सींग
को
जड़
से
काट
डाला
है;
उसने
शत्रु
के
साम्हने
उनकी
सहायता
करने
से
अपना
दहिना
हाथ
खींच
लिया
हे;
उसने
चारों
ओर
भस्म
करती
हुई
लौ
की
नाईं
याकूब
को
जला
दिया
है।
4
उसने
शत्रु
बनकर
धनुष
चढ़ाया,
और
बैरी
बनकर
दाहिना
हाथ
बढ़ाए
हुए
खड़ा
है;
और
जितने
देखने
में
मनभावने
थे,
उन
सब
को
उसने
घात
किया;
सिय्योन
की
पुत्री
के
तम्बू
पर
उसने
आग
की
नाईं
अपनी
जलजलाहट
भड़का
दी
है।
5
यहोवा
शत्रु
बन
गया,
उसने
इस्राएल
को
निगल
लिया;
उसके
सारे
भवनों
को
उसने
मिटा
दिया,
और
उसके
दृढ़
गढ़ों
को
नष्ट
कर
डाला
है;
और
यहूदा
की
पुत्री
का
रोना-पीटना
बहुत
बढ़ाया
है।
6
उसने
अपना
मण्डप
बारी
के
मचान
की
नाईं
अचानक
गिरा
दिया,
अपने
मिलापस्थान
को
उसने
नाश
किया
है;
यहोवा
ने
सिय्योन
में
नियत
पर्व
और
विश्रामदिन
दोनों
को
भुला
दिया
है,
और
अपने
भड़के
हुए
कोप
से
राजा
और
याजक
दोनों
का
तिरस्कार
किया
है।
7
यहोवा
ने
अपनी
वेदी
मन
से
उतार
दी,
और
अपना
पवित्रस्थान
अपमान
के
साथ
तज
दिया
है;
उसके
भवनों
की
भीतों
को
उसने
शत्रुओं
के
वश
में
कर
दिया;
यहोवा
के
भवन
में
उन्होंने
ऐसा
कोलाहल
मचाया
कि
मानो
नियत
वर्ष
का
दिन
हो।
8
यहोवा
ने
सिय्योन
की
कुमारी
की
शहरपनाह
तोड़
डालने
को
ठाना
था:
उसने
डोरी
डाली
और
अपना
हाथ
उसे
नाश
करने
से
नहीं
खींचा;
उसने
किले
और
शहरपनाह
दोनों
से
विलाप
करवाया,
वे
दोनों
एक
साथ
गिराए
गए
हैं।
9
उसके
फाटक
भूमि
में
धंस
गए
हैं,
उनके
बेड़ों
को
उसने
तोड़
कर
नाश
किया।
उसके
राजा
और
हाकिम
अन्यजातियों
में
रहने
के
कारण
व्यवस्थारहित
हो
गए
हैं,
और
उसके
भविष्यद्वक्ता
यहोवा
से
दर्शन
नहीं
पाते
हैं।
10
सिय्योन
की
पुत्री
के
पुरनिये
भूमि
पर
चुपचाप
बैठे
हैं;
उन्होंने
अपने
सिर
पर
धूल
उड़ाई
और
टाट
का
फेंटा
बान्धा
है;
यरूशलेम
की
कुमारियों
ने
अपना
अपना
सिर
भूमि
तक
झुकाया
है।
11
मेरी
आंखें
आंसू
बहाते
बहाते
रह
गई
हैं;
मेरी
अन्तडिय़ां
ऐंठी
जाती
हैं;
मेरे
लोगों
की
पुत्री
के
विनाश
के
कारण
मेरा
कलेजा
फट
गया
है,
क्योंकि
बच्चे
वरन
दूधपिउवे
बच्चे
भी
नगर
के
चौकों
में
मूर्च्छित
होते
हैं।
12
वे
अपनी
अपनी
माता
से
रोकर
कहते
हैं,
अन्न
और
दाखमधु
कहां
हैं?
वे
नगर
के
चौकों
में
घायल
किए
हुए
मनुष्य
की
नाईं
मूर्च्छित
हो
कर
अपने
प्राण
अपनी
अपनी
माता
की
गोद
में
छोड़ते
हैं।
13
हे
यरूशलेम
की
पुत्री,
मैं
तुझ
से
क्या
कहूं?
मैं
तेरी
उपमा
किस
से
दूं?
हे
सिय्योन
की
कुमारी
कन्या,
मैं
कौन
सी
वस्तु
तेरे
समान
ठहरा
कर
तुझे
शान्ति
दूं?
क्योंकि
तेरा
दु:ख
समुद्र
सा
अपार
है;
तुझे
कौन
चंगा
कर
सकता
है?
14
तेरे
भविष्यद्वक्ताओं
ने
दर्शन
का
दावा
कर
के
तुझ
से
व्यर्थ
और
मूर्खता
की
बातें
कही
हैं;
उन्होंने
तेरा
अधर्म
प्रगट
नहीं
किया,
नहीं
तो
तेरी
बंधुआई
न
होने
पाती;
परन्तु
उन्होंने
तुझे
व्यर्थ
के
और
झूठे
वचन
बताए।
जो
तेरे
लिये
देश
से
निकाल
दिए
जाने
का
कारण
हुए।
15
सब
बटोही
तुझ
पर
ताली
बजाते
हैं;
वे
यरूशलेम
की
पुत्री
पर
यह
कह
कर
ताली
बजाते
और
सिर
हिलाते
हैं,
क्या
यह
वही
नगरी
है
जिसे
परमसुन्दरी
और
सारी
पृथ्वी
के
हर्ष
का
कारण
कहते
थे?
16
तेरे
सब
शत्रुओं
ने
तुझ
पर
मुंह
पसारा
है,
वे
ताली
बजाते
और
दांत
पीसते
हैं,
वे
कहते
हैं,
हम
उसे
निगल
गए
हैं!
जिस
दिन
की
बाट
हम
जोहते
थे,
वह
यही
है,
वह
हम
को
मिल
गया,
हम
उसको
देख
चुके
हैं!
17
यहोवा
ने
जो
कुछ
ठाना
था
वही
किया
भी
है,
जो
वचन
वह
प्राचीनकाल
से
कहता
आया
है
वही
उसने
पूरा
भी
किया
है;
उसने
निठुरता
से
तुझे
ढा
दिया
है,
उसने
शत्रुओं
को
तुझ
पर
आनन्दित
किया,
और
तेरे
द्रोहियों
के
सींग
को
ऊंचा
किया
हे।
18
वे
प्रभु
की
ओर
तन
मन
से
पुकारते
हैं!
हे
सिय्योन
की
कुमारी
(की
शहरपनाह),
अपने
आंसू
रात
दिन
नदी
की
नाईं
बहाती
रह!
तनिक
भी
विश्राम
न
ले,
न
तेरी
आंख
की
पुतली
चैन
ले!
19
रात
के
हर
पहर
के
आरम्भ
में
उठ
कर
चिल्लाया
कर!
प्रभु
के
सम्मुख
अपने
मन
की
बातों
को
धारा
की
नाईं
उण्डेल!
तेरे
बाल-बच्चे
जो
हर
एक
सड़क
के
सिरे
पर
भूख
के
कारण
मूर्च्छित
हो
रहे
हैं,
उनके
प्राण
के
निमित्त
अपने
हाथ
उसकी
ओर
फैला।
20
हे
यहोवा
दृष्टि
कर,
और
ध्यान
से
देख
कि
तू
ने
यह
सब
दु:ख
किस
को
दिया
है?
क्या
स्त्रियां
अपना
फल
अर्थात
अपनी
गोद
के
बच्चों
को
खा
डालें?
हे
प्रभु,
क्या
याजक
और
भविष्यद्वक्ता
तेरे
पवित्रस्थान
में
घात
किए
जएं?
21
सड़कों
में
लड़के
और
बूढ़े
दोनों
भूमि
पर
पड़े
हैं;
मेरी
कुमारियां
और
जवान
लोग
तलवार
से
गिर
गए
हैं;
तू
ने
कोप
करने
के
दिन
उन्हें
घात
किया;
तू
ने
निठुरता
के
साथ
उनका
वध
किया
है।
22
तू
ने
मेरे
भय
के
कारणों
को
नियत
पर्व
की
भीड़
के
समान
चारों
ओर
से
बुलाया
है;
और
यहोवा
के
कोप
के
दिन
न
तो
कोई
भाग
निकला
और
न
कोई
बच
रहा
है;
जिन
को
मैं
ने
गोद
में
लिया
और
पाल-पोसकर
बढ़ाया
था,
मेरे
शत्रु
ने
उनका
अन्त
कर
डाला
है।
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