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गिनती 16:31 (07 10 pm)
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गिनती 16:31
1
कोरह
जो
लेवी
का
परपोता,
कहात
का
पोता,
और
यिसहार
का
पुत्र
था,
वह
एलीआब
के
पुत्र
दातान
और
अबीराम,
और
पेलेत
के
पुत्र
ओन,
2
इन
तीनों
रूबेनियों
से
मिलकर
मण्डली
के
अढ़ाई
सौ
प्रधान,
जो
सभासद
और
नामी
थे,
उन
को
संग
लिया;
3
और
वे
मूसा
और
हारून
के
विरुद्ध
उठ
खड़े
हुए,
और
उन
से
कहने
लगे,
तुम
ने
बहुत
किया,
अब
बस
करो;
क्योंकि
सारी
मण्डली
का
एक
एक
मनुष्य
पवित्र
है,
और
यहोवा
उनके
मध्य
में
रहता
है;
इसलिये
तुम
यहोवा
की
मण्डली
में
ऊंचे
पद
वाले
क्यों
बन
बैठे
हो?
4
यह
सुनकर
मूसा
अपने
मुंह
के
बल
गिरा;
5
फिर
उसने
कोरह
और
उसकी
सारी
मण्डली
से
कहा,
कि
बिहान
को
यहोवा
दिखला
देगा
कि
उसका
कौन
है,
और
पवित्र
कौन
है,
और
उसको
अपने
समीप
बुला
लेगा;
जिस
को
वह
आप
चुन
लेगा
उसी
को
अपने
समीप
बुला
भी
लेगा।
6
इसलिये,
हे
कोरह,
तुम
अपनी
सारी
मण्डली
समेत
यह
करो,
अर्थात
अपना
अपना
धूपदान
ठीक
करो;
7
और
कल
उन
में
आग
रखकर
यहोवा
के
साम्हने
धूप
देना,
तब
जिस
को
यहोवा
चुन
ले
वही
पवित्र
ठहरेगा।
हे
लेवियों,
तुम
भी
बड़ी
बड़ी
बातें
करते
हो,
अब
बस
करो।
8
फिर
मूसा
ने
कोरह
से
कहा,
हे
लेवियों,
सुनो,
9
क्या
यह
तुम्हें
छोटी
बात
जान
पड़ती
है,
कि
इस्त्राएल
के
परमेश्वर
ने
तुम
को
इस्त्राएल
की
मण्डली
से
अलग
करके
अपने
निवास
की
सेवकाई
करने,
और
मण्डली
के
साम्हने
खड़े
हो
कर
उसकी
भी
सेवा
टहल
करने
के
लिये
अपने
समीप
बुला
लिया
है;
10
और
तुझे
और
तेरे
सब
लेवी
भाइयों
को
भी
अपने
समीप
बुला
लिया
है?
फिर
भी
तुम
याजक
पद
के
भी
खोजी
हो?
11
और
इसी
कारण
तू
ने
अपनी
सारी
मण्डली
को
यहोवा
के
विरुद्ध
इकट्ठी
किया
है;
हारून
कौन
है
कि
तुम
उस
पर
बुड़बुड़ाते
हो?
12
फिर
मूसा
ने
एलीआब
के
पुत्र
दातान
और
अबीराम
को
बुलवा
भेजा;
और
उन्होंने
कहा,
हम
तेरे
पास
नहीं
आएंगे।
13
क्या
यह
एक
छोटी
बात
है,
कि
तू
हम
को
ऐसे
देश
से
जिस
में
दूध
और
मधु
की
धाराएं
बहती
है
इसलिये
निकाल
लाया
है,
कि
हमें
जंगल
में
मार
डाले,
फिर
क्या
तू
हमारे
ऊपर
प्रधान
भी
बनकर
अधिकार
जताता
है?
14
फिर
तू
हमें
ऐसे
देश
में
जहां
दूध
और
मधु
की
धाराएं
बहती
हैं
नहीं
पहुंचाया,
और
न
हमें
खेतोंऔर
दाख
की
बारियों
के
अधिकारी
किया।
क्या
तू
इन
लोगों
की
आंखों
में
धूलि
डालेगा?
हम
तो
नहीं
आएंगे।
15
तब
मूसा
का
कोप
बहुत
भड़क
उठा,
और
उसने
यहोवा
से
कहा,
उन
लोगों
की
भेंट
की
ओर
दृष्टि
न
कर।
मैं
ने
तो
उन
से
एक
गदहा
भी
नहीं
लिया,
और
न
उन
में
से
किसी
की
हानि
की
है।
16
तब
मूसा
ने
कोरह
से
कहा,
कल
तू
अपनी
सारी
मण्डली
को
साथ
ले
कर
हारून
के
साथ
यहोवा
के
साम्हने
हाजिर
होना;
17
और
तुम
सब
अपना
अपना
धूपदान
ले
कर
उन
में
धूप
देना,
फिर
अपना
अपना
धूपदान
जो
सब
समेत
अढ़ाई
सौ
होंगे
यहोवा
के
साम्हने
ले
जाना;
विशेष
करके
तू
और
हारून
अपना
अपना
धूपदान
ले
जाना।
18
सो
उन्होंने
अपना
अपना
धूपदान
ले
कर
और
उन
में
आग
रखकर
उन
पर
धूप
डाला;
और
मूसा
और
हारून
के
साथ
मिलापवाले
तम्बू
के
द्वार
पर
खड़े
हुए।
19
और
कोरह
ने
सारी
मण्डली
को
उनके
विरुद्ध
मिलापवाले
तम्बू
के
द्वार
पर
इकट्ठा
कर
लिया।
तब
यहोवा
का
तेज
सारी
मण्डली
को
दिखाई
दिया॥
20
तब
यहोवा
ने
मूसा
और
हारून
से
कहा,
21
उस
मण्डली
के
बीच
में
से
अलग
हो
जाओ।
कि
मैं
उन्हें
पल
भर
में
भस्म
कर
डालूं।
22
तब
वे
मुंह
के
बल
गिरके
कहने
लगे,
हे
ईश्वर,
हे
सब
प्राणियों
के
आत्माओं
के
परमेश्वर,
क्या
एक
पुरूष
के
पाप
के
कारण
तेरा
क्रोध
सारी
मण्डली
पर
होगा?
23
यहोवा
ने
मूसा
से
कहा,
24
मण्डली
के
लोगों
से
कह,
कि
कोरह,
दातान,
और
अबीराम
के
तम्बुओं
के
आसपास
से
हट
जाओ।
25
तब
मूसा
उठ
कर
दातान
और
अबीराम
के
पास
गया;
और
इस्त्राएलियों
के
वृद्ध
लोग
उसके
पीछे
पीछे
गए।
26
और
उसने
मण्डली
के
लोगों
से
कहा,
तुम
उन
दुष्ट
मनुष्यों
के
डेरों
के
पास
से
हट
जाओ,
और
उनकी
कोई
वस्तु
न
छूओ,
कहीं
ऐसा
न
हो
कि
तुम
भी
उनके
सब
पापों
में
फंसकर
मिट
जाओ।
27
यह
सुन
वे
कोरह,
दातान,
और
अबीराम
के
तम्बुओं
के
आसपास
से
हट
गए;
परन्तु
दातान
और
अबीराम
निकलकर
अपनी
पत्नियों,
बेंटों,
और
बाल-बच्चों
समेत
अपने
अपने
डेरे
के
द्वार
पर
खड़े
हुए।
28
तब
मूसा
ने
कहा,
इस
से
तुम
जान
लोगे
कि
यहोवा
ने
मुझे
भेजा
है
कि
यह
सब
काम
करूं,
क्योंकि
मैं
ने
अपनी
इच्छा
से
कुछ
नहीं
किया।
29
यदि
उन
मनुष्यों
की
मृत्यु
और
सब
मनुष्यों
के
समान
हो,
और
उनका
दण्ड
सब
मनुष्यों
के
समान
हो,
तब
जानों
कि
मैं
यहोवा
का
भेजा
हुआ
नहीं
हूं।
30
परन्तु
यदि
यहोवा
अपनी
अनोखी
शक्ति
प्रकट
करे,
और
पृथ्वी
अपना
मुंह
पसारकर
उन
को,
और
उनका
सब
कुछ
निगल
जाए,
और
वे
जीते
जी
अधोलोक
में
जा
पड़ें,
तो
तुम
समझ
लो
कि
इन
मनुष्यों
ने
यहोवा
का
अपमान
किया
है।
31
वह
ये
सब
बातें
कह
ही
चुका
था,
कि
भूमि
उन
लोगों
के
पांव
के
नीचे
फट
गई;
32
और
पृथ्वी
ने
अपना
मुंह
खोल
दिया
और
उनका
और
उनका
घरद्वार
का
सामान,
और
कोरह
के
सब
मनुष्यों
और
उनकी
सारी
सम्पत्ति
को
भी
निगल
लिया।
33
और
वे
और
उनका
सारा
घरबार
जीवित
ही
अधोलोक
में
जा
पड़े;
और
पृथ्वी
ने
उन
को
ढांप
लिया,
और
वे
मण्डली
के
बीच
में
से
नष्ट
हो
गए।
34
और
जितने
इस्त्राएली
उनके
चारों
ओर
थे
वे
उनका
चिल्लाना
सुन
यह
कहते
हुए
भागे,
कि
कहीं
पृथ्वी
हम
को
भी
निगल
न
ले!
35
तब
यहोवा
के
पास
से
आग
निकली,
और
उन
अढ़ाई
सौ
धूप
चढ़ाने
वालों
को
भस्म
कर
डाला॥
36
तब
यहोवा
ने
मूसा
से
कहा,
37
हारून
याजक
के
पुत्र
एलीआजार
से
कह,
कि
उन
धूपदानों
को
आग
में
से
उठा
ले;
और
आग
के
अंगारों
को
उधर
ही
छितरा
दे,
क्योंकि
वे
पवित्र
हैं।
38
जिन्होंने
पाप
करके
अपने
ही
प्राणों
की
हानि
की
है,
उनके
धूपदानों
के
पत्तर
पीट
पीटकर
बनाए
जाएं
जिस
से
कि
वह
वेदी
के
मढ़ने
के
काम
आवे;
क्योंकि
उन्होंने
यहोवा
के
साम्हने
रखा
था;
इस
से
वे
पवित्र
हैं।
इस
प्रकार
वह
इस्त्राएलियों
के
लिये
एक
निशान
ठहरेगा।
39
सो
एलीआजर
याजक
ने
उन
पीतल
के
धूपदानों
को,
जिन
में
उन
जले
हुए
मनुष्यों
ने
धूप
चढ़ाया
था,
ले
कर
उनके
पत्तर
पीटकर
वेदी
के
मढ़ने
के
लिये
बनवा
दिए,
40
कि
इस्त्राएलियों
को
इस
बात
का
स्मरण
रहे
कि
कोई
दूसरा,
जो
हारून
के
वंश
का
न
हो,
यहोवा
के
साम्हने
धूप
चढ़ाने
को
समीप
न
जाए,
ऐसा
न
हो
कि
वह
भी
कोरह
और
उसकी
मण्डली
के
समान
नष्ट
हो
जाए,
जैसे
कि
यहोवा
ने
मूसा
के
द्वारा
उसको
आज्ञा
दी
थी॥
41
दूसरे
दिन
इस्त्राएलियों
की
सारी
मण्डली
यह
कहकर
मूसा
और
हारून
पर
बुड़बुड़ाने
लगी,
कि
यहोवा
की
प्रजा
को
तुम
ने
मार
डाला
है।
42
और
जब
मण्डली
के
लोग
मूसा
और
हारून
के
विरुद्ध
इकट्ठे
हो
रहे
थे,
तब
उन्होंने
मिलापवाले
तम्बू
की
ओर
दृष्टि
की;
और
देखा,
कि
बादल
ने
उसे
छा
लिया
है,
और
यहोवा
का
तेज
दिखाई
दे
रहा
है।
43
तब
मूसा
और
हारून
मिलापवाले
तम्बू
के
साम्हने
आए,
44
तब
यहोवा
ने
मूसा
और
हारून
से
कहा,
45
तुम
उस
मण्डली
के
लोगों
के
बीच
से
हट
जाओ,
कि
मैं
उन्हें
पल
भर
में
भस्म
कर
डालूं।
तब
वे
मुंह
के
बल
गिरे।
46
और
मूसा
ने
हारून
से
कहा,
धूपदान
को
ले
कर
उस
में
वेदी
पर
से
आग
रखकर
उस
पर
धूप
डाल,
मण्डली
के
पास
फुरती
से
जा
कर
उसके
लिये
प्रायश्चित्त
कर;
क्योंकि
यहोवा
का
कोप
अत्यन्त
भड़का
है,
और
मरी
फैलने
लगी
है।
47
मूसा
की
आज्ञा
के
अनुसार
हारून
धूपदान
ले
कर
मण्डली
के
बीच
में
दौड़ा
गया;
और
यह
देखकर
कि
लोगों
में
मरी
फैलने
लगी
है,
उसने
धूप
जलाकर
लोगों
के
लिये
प्रायश्चित्त
किया।
48
और
वह
मुर्दों
और
जीवित
के
मध्य
में
खड़ा
हुआ;
तब
मरी
थम
गई।
49
और
जो
कोरह
के
संग
भागी
हो
कर
मर
गए
थे,
उन्हें
छोड़
जो
लोग
इस
मरी
से
मर
गए
वे
चौदह
हजार
सात
सौ
थे।
50
तब
हारून
मिलापवाले
तम्बू
के
द्वार
पर
मूसा
के
पास
लौट
गया,
और
मरी
थम
गई॥
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