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मत्ती
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1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
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फिलिप्पियों
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1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
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गिनती 22:28
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गिनती 22:28 (10 47 am)
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गिनती 22:28
1
तब
इस्त्राएलियों
ने
कूच
करके
यरीहो
के
पास
यरदन
नदी
के
इस
पार
मोआब
के
अराबा
में
डेरे
खड़े
किए॥
2
और
सिप्पोर
के
पुत्र
बालाक
ने
देखा
कि
इस्त्राएल
ने
एमोरियों
से
क्या
क्या
किया
है।
3
इसलिये
मोआब
यह
जानकर,
कि
इस्त्राएली
बहुत
हैं,
उन
लोगों
से
अत्यन्त
डर
गया;
यहां
तक
कि
मोआब
इस्त्राएलियों
के
कारण
अत्यन्त
व्याकुल
हुआ।
4
तब
मोआबियों
ने
मिद्यानी
पुरनियों
से
कहा,
अब
वह
दल
हमारे
चारों
ओर
के
सब
लोगों
को
चट
कर
जाएगा,
जिस
तरह
बैल
खेत
की
हरी
घास
को
चट
कर
जाता
है।
उस
समय
सिप्पोर
का
पुत्र
बालाक
मोआब
का
राजा
था;
5
और
इस
ने
पतोर
नगर
को,
जो
महानद
के
तट
पर
बोर
के
पुत्र
बिलाम
के
जातिभाइयों
की
भूमि
थी,
वहां
बिलाम
के
पास
दूत
भेजे,
कि
वे
यह
कहकर
उसे
बुला
लाएं,
कि
सुन
एक
दल
मिस्र
से
निकल
आया
है,
और
भूमि
उन
से
ढक
गई
है,
और
अब
वे
मेरे
साम्हने
ही
आकर
बस
गए
हैं।
6
इसलिये
आ,
और
उन
लोगों
को
मेरे
निमित्त
शाप
दे,
क्योंकि
वे
मुझ
से
अधिक
बलवन्त
हैं,
तब
सम्भव
है
कि
हम
उन
पर
जयवन्त
हों,
और
हम
सब
इन
को
अपने
देश
से
मारकर
निकाल
दें;
क्योंकि
यह
तो
मैं
जानता
हूं
कि
जिस
को
तू
आशीर्वाद
देता
है
वह
धन्य
होता
है,
और
जिस
को
तू
शाप
देता
है
वह
स्रापित
होता
है।
7
तब
मोआबी
और
मिद्यानी
पुरनिये
भावी
कहने
की
दक्षिणा
ले
कर
चले,
और
बिलाम
के
पास
पहुंचकर
बालाक
की
बातें
कह
सुनाईं।
8
उसने
उन
से
कहा,
आज
रात
को
यहां
टिको,
और
जो
बात
यहोवा
मुझ
से
कहेगा,
उसी
के
अनुसार
मैं
तुम
को
उत्तर
दूंगा;
तब
मोआब
के
हाकिम
बिलाम
के
यहां
ठहर
गए।
9
तब
परमेश्वर
ने
बिलाम
के
पास
आकर
पूछा,
कि
तेरे
यहां
ये
पुरूष
कौन
हैं?
10
बिलाम
ने
परमेश्वर
से
कहा
सिप्पोर
के
पुत्र
मोआब
के
राजा
बालाक
ने
मेरे
पास
यह
कहला
भेजा
है,
11
कि
सुन,
जो
दल
मिस्र
से
निकल
आया
है
उससे
भूमि
ढंप
गई
है;
इसलिये
आकर
मेरे
लिये
उन्हें
शाप
दे;
सम्भव
है
कि
मैं
उनसे
लड़कर
उन
को
बरबस
निकाल
सकूंगा।
12
परमेश्वर
ने
बिलाम
से
कहा,
तू
इनके
संग
मत
जा;
उन
लोगों
को
शाप
मत
दे,
क्योंकि
वे
आशीष
के
भागी
हो
चुके
हैं।
13
भोर
को
बिलाम
ने
उठ
कर
बालाक
के
हाकिमों
से
कहा,
तुम
अपने
देश
को
चले
जाओ;
क्योंकि
यहोवा
मुझे
तुम्हारे
साथ
जाने
की
आज्ञा
नहीं
देता।
14
तब
मोआबी
हाकिम
चले
गए
और
बालाक
के
पास
जा
कर
कहा,
कि
बिलाम
ने
हमारे
साथ
आने
से
नाह
किया
है।
15
इस
पर
बालाक
ने
फिर
और
हाकिम
भेजे,
जो
पहिलों
से
प्रतिष्ठित
और
गिनती
में
भी
अधिक
थे।
16
उन्होंने
बिलाम
के
पास
आकर
कहा,
कि
सिप्पोर
का
पुत्र
बालाक
यों
कहता
है,
कि
मेरे
पास
आने
से
किसी
कारण
नाह
न
कर;
17
क्योंकि
मैं
निश्चय
तेरी
बड़ी
प्रतिष्ठा
करूंगा,
और
जो
कुछ
तू
मुझ
से
कहे
वही
मैं
करूंगा;
इसलिये
आ,
और
उन
लोगों
को
मेरे
निमित्त
शाप
दे।
18
बिलाम
ने
बालाक
के
कर्मचारियों
को
उत्तर
दिया,
कि
चाहे
बालाक
अपने
घर
को
सोने
चांदी
से
भरकर
मुझे
दे
दे,
तौभी
मैं
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
आज्ञा
को
पलट
नहीं
सकता,
कि
उसे
घटाकर
वा
बढ़ाकर
मानूं।
19
इसलिये
अब
तुम
लोग
आज
रात
को
यहीं
टिके
रहो,
ताकि
मैं
जान
लूं,
कि
यहोवा
मुझ
से
और
क्या
कहता
है।
20
और
परमेश्वर
ने
रात
को
बिलाम
के
पास
आकर
कहा,
यदि
वे
पुरूष
तुझे
बुलाने
आए
हैं,
तो
तू
उठ
कर
उनके
संग
जा;
परन्तु
जो
बात
मैं
तुझ
से
कहूं
उसी
के
अनुसार
करना।
21
तब
बिलाम
भोर
को
उठा,
और
अपनी
गदही
पर
काठी
बान्धकर
मोआबी
हाकिमों
के
संग
चल
पड़ा।
22
और
उसके
जाने
के
कारण
परमेश्वर
का
कोप
भड़क
उठा,
और
यहोवा
का
दूत
उसका
विरोध
करने
के
लिये
मार्ग
रोककर
खड़ा
हो
गया।
वह
तो
अपनी
गदही
पर
सवार
हो
कर
जा
रहा
था,
और
उसके
संग
उसके
दो
सेवक
भी
थे।
23
और
उस
गदही
को
यहोवा
का
दूत
हाथ
में
नंगी
तलवार
लिये
हुए
मार्ग
में
खड़ा
दिखाई
पड़ा;
तब
गदही
मार्ग
छोड़कर
खेत
में
चली
गई;
तब
बिलाम
ने
गदही
को
मारा,
कि
वह
मार्ग
पर
फिर
आ
जाए।
24
तब
यहोवा
का
दूत
दाख
की
बारियों
के
बीच
की
गली
में,
जिसके
दोनों
ओर
बारी
की
दीवार
थी,
खड़ा
हुआ।
25
यहोवा
के
दूत
को
देखकर
गदही
दीवार
से
ऐसी
सट
गई,
कि
बिलाम
का
पांव
दीवार
से
दब
गया;
तब
उसने
उसको
फिर
मारा।
26
तब
यहोवा
का
दूत
आगे
बढ़कर
एक
सकेत
स्थान
पर
खड़ा
हुआ,
जहां
न
तो
दाहिनी
ओर
हटने
की
जगह
थी
और
न
बाईं
ओर।
27
वहां
यहोवा
के
दूत
को
देखकर
गदही
बिलाम
को
लिये
दिये
बैठ
गई;
फिर
तो
बिलाम
का
कोप
भड़क
उठा,
और
उसने
गदही
को
लाठी
से
मारा।
28
तब
यहोवा
ने
गदही
का
मुंह
खोल
दिया,
और
वह
बिलाम
से
कहने
लगी,
मैं
ने
तेरा
क्या
किया
है,
कि
तू
ने
मुझे
तीन
बार
मारा?
29
बिलाम
ने
गदही
से
कहा,
यह
कि
तू
ने
मुझ
से
नटखटी
की।
यदि
मेरे
हाथ
में
तलवार
होती
तो
मैं
तुझे
अभी
मार
डालता।
30
गदही
ने
बिलाम
से
कहा
क्या
मैं
तेरी
वही
गदही
नहीं
जिस
पर
तू
जन्म
से
आज
तक
चढ़ता
आया
है?
क्या
मैं
तुझ
से
कभी
ऐसा
करती
थी?
वह
बोला,
नहीं।
31
तब
यहोवा
ने
बिलाम
की
आंखे
खोलीं,
और
उसको
यहोवा
का
दूत
हाथ
में
नंगी
तलवार
लिये
हुए
मार्ग
में
खड़ा
दिखाई
पड़ा;
तब
वह
झुक
गया,
और
मुंह
के
बल
गिरके
दण्डवत
की।
32
यहोवा
के
दूत
ने
उससे
कहा,
तू
ने
अपनी
गदही
को
तीन
बार
क्यों
मारा?
सुन,
तेरा
विरोध
करने
को
मैं
ही
आया
हूं,
इसलिये
कि
तू
मेरे
साम्हने
उलटी
चाल
चलता
है;
33
और
यह
गदही
मुझे
देखकर
मेरे
साम्हने
से
तीन
बार
हट
गई।
जो
वह
मेरे
साम्हने
से
हट
न
जाती,
तो
नि:सन्देह
मैं
अब
तक
तुझ
को
मार
ही
डालता,
परन्तु
उसको
जीवित
छोड़
देता।
34
तब
बिलाम
ने
यहोवा
के
दूत
से
कहा,
मैं
ने
पाप
किया
है;
मैं
नहीं
जानता
था
कि
तू
मेरा
साम्हना
करने
को
मार्ग
में
खड़ा
है।
इसलिये
अब
यदि
तुझे
बुरा
लगता
है,
तो
मैं
लौट
जाता
हूं।
35
यहोवा
के
दूत
ने
बिलाम
से
कहा,
इन
पुरूषों
के
संग
तू
चला
जा;
परन्तु
केवल
वही
बात
कहना
जो
मैं
तुझ
से
कहूंगा।
तब
बिलाम
बालाक
के
हाकिमों
के
संग
चला
गया।
36
यह
सुनकर,
कि
बिलाम
आ
रहा
है,
बालाक
उससे
भेंट
करने
के
लिये
मोआब
के
उस
नगर
तक
जो
उस
देश
के
अर्नोन
वाले
सिवाने
पर
है
गया।
37
बालाक
ने
बिलाम
से
कहा,
क्या
मैं
ने
बड़ी
आशा
से
तुझे
नहीं
बुलवा
भेजा
था?
फिर
तू
मेरे
पास
क्यों
नहीं
चला
आया?
क्या
मैं
इस
योग्य
नहीं
कि
सचमुच
तेरी
उचित
प्रतिष्ठा
कर
सकता?
38
बिलाम
ने
बालाक
से
कहा,
देख
मैं
तेरे
पास
आया
तो
हूं!
परन्तु
अब
क्या
मैं
कुछ
कर
सकता
हूं?
जो
बात
परमेश्वर
मेरे
मुंह
में
डालेगा
वही
बात
मैं
कहूंगा।
39
तब
बिलाम
बालाक
के
संग
संग
चला,
और
वे
किर्यथूसोत
तक
आए।
40
और
बालाक
ने
बैल
और
भेड़-बकरियों
को
बलि
किया,
और
बिलाम
और
उसके
साथ
के
हाकिमों
के
पास
भेजा।
41
बिहान
को
बालाक
बिलाम
को
बालू
के
ऊंचे
स्थानों
पर
चढ़ा
ले
गया,
और
वहां
से
उसको
सब
इस्त्राएली
लोग
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पड़े॥
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