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व्यवस्थाविवरण 28:46
1
यदि
तू
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
सब
आज्ञाएं,
जो
मैं
आज
तुझे
सुनाता
हूं,
चौकसी
से
पूरी
करने
का
चित्त
लगाकर
उसकी
सुने,
तो
वह
तुझे
पृथ्वी
की
सब
जातियों
में
श्रेष्ट
करेगा।
2
फिर
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
सुनने
के
कारण
ये
सब
आर्शीवाद
तुझ
पर
पूरे
होंगे।
3
धन्य
हो
तू
नगर
में,
धन्य
हो
तू
खेत
में।
4
धन्य
हो
तेरी
सन्तान,
और
तेरी
भूमि
की
उपज,
और
गाय
और
भेड़-बकरी
आदि
पशुओं
के
बच्चे।
5
धन्य
हो
तेरी
टोकरी
और
तेरी
कठौती।
6
धन्य
हो
तू
भीतर
आते
समय,
और
धन्य
हो
तू
बाहर
जाते
समय।
7
यहोवा
ऐसा
करेगा
कि
तेरे
शत्रु
जो
तुझ
पर
चढ़ाई
करेंगे
वे
तुझ
से
हार
जाएंगे;
वे
एक
मार्ग
से
तुझ
पर
चढ़ाई
करेंगे,
परन्तु
तेरे
साम्हने
से
सात
मार्ग
से
हो
कर
भाग
जाएंगे।
8
तेरे
खत्तों
पर
और
जितने
कामों
में
तू
हाथ
लगाएगा
उन
सभों
पर
यहोवा
आशीष
देगा;
इसलिये
जो
देश
तेरा
परमेश्वर
यहोवा
तुझे
देता
है
उस
में
वह
तुझे
आशीष
देगा।
9
यदि
तू
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
आज्ञाओं
को
मानते
हुए
उसके
मार्गों
पर
चले,
तो
वह
अपनी
शपथ
के
अनुसार
तुझे
अपनी
पवित्र
प्रजा
करके
स्थिर
रखेगा।
10
और
पृथ्वी
के
देश
देश
के
सब
लोग
यह
देखकर,
कि
तू
यहोवा
का
कहलाता
है,
तुझ
से
डर
जाएंगे।
11
और
जिस
देश
के
विषय
यहोवा
ने
तेरे
पूर्वजों
से
शपथ
खाकर
तुझे
देने
को
कहा,
था
उस
में
वह
तेरी
सन्तान
की,
और
भूमि
की
उपज
की,
और
पशुओं
की
बढ़ती
करके
तेरी
भलाई
करेगा।
12
यहोवा
तेरे
लिये
अपने
आकाशरूपी
उत्तम
भण्डार
को
खोल
कर
तेरी
भूमि
पर
समय
पर
मेंह
बरसाया
करेगा,
और
तेरे
सारे
कामों
पर
आशीष
देगा;
और
तू
बहुतेरी
जातियों
को
उधार
देगा,
परन्तु
किसी
से
तुझे
उधार
लेना
न
पड़ेगा।
13
और
यहोवा
तुझ
को
पूंछ
नहीं,
किन्तु
सिर
ही
ठहराएगा,
और
तू
नीचे
नहीं,
परन्तु
ऊपर
ही
रहेगा;
यदि
परमेश्वर
यहोवा
की
आज्ञाएं
जो
मैं
आज
तुझ
को
सुनाता
हूं,
तू
उनके
मानने
में
मन
लगाकर
चौकसी
करे;
14
और
जिन
वचनों
की
मैं
आज
तुझे
आज्ञा
देता
हूं
उन
में
से
किसी
से
दाहिने
वा
बाएं
मुड़के
पराये
देवताओं
के
पीछे
न
हो
ले,
और
न
उनकी
सेवा
करे॥
15
परन्तु
यदि
तू
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
बात
न
सुने,
और
उसकी
सारी
आज्ञाओं
और
विधियों
के
पालने
में
जो
मैं
आज
सुनाता
हूं
चौकसी
नहीं
करेगा,
तो
ये
सब
शाप
तुझ
पर
आ
पड़ेंगे।
16
अर्थात
शापित
हो
तू
नगर
में,
शापित
हो
तू
खेत
में।
17
शापित
हो
तेरी
टोकरी
और
तेरी
कठौती।
18
शापित
हो
तेरी
सन्तान,
और
भूमि
की
उपज,
और
गायों
और
भेड़-बकरियों
के
बच्चे।
19
शापित
हो
तू
भीतर
आते
समय,
और
शापित
हो
तू
बाहर
जाते
समय।
20
फिर
जिस
जिस
काम
में
तू
हाथ
लगाए,
उस
में
यहोवा
तब
तक
तुझ
को
शाप
देता,
और
भयातुर
करता,
और
धमकी
देता
रहेगा,
जब
तक
तू
मिट
न
जाए,
और
शीघ्र
नष्ट
न
हो
जाए;
यह
इस
कारण
होगा
कि
तू
यहोवा
को
त्यागकर
दुष्ट
काम
करेगा।
21
और
यहोवा
ऐसा
करेगा
कि
मरी
तुझ
में
फैलकर
उस
समय
तक
लगी
रहेगी,
जब
तक
जिस
भूमि
के
अधिकारी
होने
के
लिये
तू
जा
रहा
है
उस
से
तेरा
अन्त
न
हो
जाए।
22
यहोवा
तुझ
को
क्षयरोग
से,
और
ज्वर,
और
दाह,
और
बड़ी
जलन
से,
और
तलवार
से,
और
झुलस,
और
गेरूई
से
मारेगा;
और
ये
उस
समय
तक
तेरा
पीछा
किये
रहेंगे,
तब
तक
तू
सत्यानाश
न
हो
जाए।
23
और
तेरे
सिर
के
ऊपर
आकाश
पीतल
का,
और
तेरे
पांव
के
तले
भूमि
लोहे
की
हो
जाएगी।
24
यहोवा
तेरे
देश
में
पानी
के
बदले
बालू
और
धूलि
बरसाएगा;
वह
आकाश
से
तुझ
पर
यहां
तक
बरसेगी
कि
तू
सत्यानाश
हो
जाएगा।
25
यहोवा
तुझ
को
शत्रुओं
से
हरवाएगा;
और
तू
एक
मार्ग
से
उनका
साम्हना
करने
को
जाएगा,
परन्तु
सात
मार्ग
से
हो
कर
उनके
साम्हने
से
भाग
जाएगा;
और
पृथ्वी
के
सब
राज्यों
में
मारा
मारा
फिरेगा।
26
और
तेरी
लोथ
आकाश
के
भांति
भांति
के
पक्षियों,
और
धरती
के
पशुओं
का
आहार
होगी;
और
उनका
कोई
हाँकने
वाला
न
होगा।
27
यहोवा
तुझ
को
मिस्र
के
से
फोड़े,
और
बवासीर,
और
दाद,
और
खुजली
से
ऐसा
पीड़ित
करेगा,
कि
तू
चंगा
न
हो
सकेगा।
28
यहोवा
तुझे
पागल
और
अन्धा
कर
देगा,
और
तेरे
मन
को
अत्यन्त
घबरा
देगा;
29
और
जैसे
अन्धा
अन्धियारे
में
टटोलता
है
वैसे
ही
तू
दिन
दुपहरी
में
टटोलता
फिरेगा,
और
तेरे
काम
काज
सफल
न
होंगे;
और
तू
सदैव
केवल
अन्धेर
सहता
और
लुटता
ही
रहेगा,
और
तेरा
कोई
छुड़ाने
वाला
न
होगा।
30
तू
स्त्री
से
ब्याह
की
बात
लगाएगा,
परन्तु
दूसरा
पुरूष
उसको
भ्रष्ट
करेगा;
घर
तू
बनाएगा,
परन्तु
उस
में
बसने
न
पाएगा;
दाख
की
बारी
तू
लगाएगा,
परन्तु
उसके
फल
खाने
न
पाएगा।
31
तेरा
बैल
तेरी
आंखों
के
साम्हने
मारा
जाएगा,
और
तू
उसका
मांस
खाने
न
पाएगा;
तेरा
गदहा
तेरी
आंख
के
साम्हने
लूट
में
चला
जाएगा,
और
तुझे
फिर
न
मिलेगा;
तेरी
भेड़-बकरियां
तेरे
शत्रुओं
के
हाथ
लग
जाएंगी,
और
तेरी
ओर
से
उनका
कोई
छुड़ाने
वाला
न
होगा।
32
तेरे
बेटे-बेटियां
दूसरे
देश
के
लोगों
के
हाथ
लग
जाएंगे,
और
उनके
लिये
चाव
से
देखते
देखते
तेरी
आंखे
रह
जाएंगी;
और
तेरा
कुछ
बस
न
चलेगा।
33
तेरी
भूमि
की
उपज
और
तेरी
सारी
कमाई
एक
अनजाने
देश
के
लोगे
खा
जाएंगे;
और
सर्वदा
तू
केवल
अन्धेर
सहता
और
पीसा
जाता
रहेगा;
34
यहां
तक
कि
तू
उन
बातों
के
कारण
जो
अपनी
आंखों
से
देखेगा
पागल
हो
जाएगा।
35
यहोवा
तेरे
घुटनों
और
टांगों
में,
वरन
नख
से
शिख
तक
भी
असाध्य
फोड़े
निकाल
कर
तुझ
को
पीड़ित
करेगा।
36
यहोवा
तुझ
को
उस
राजा
समेत,
जिस
को
तू
अपने
ऊपर
ठहराएगा,
तेरी
और
तेरे
पूर्वजों
से
अनजानी
एक
जाति
के
बीच
पहुंचाएगा;
और
उसके
मध्य
में
रहकर
तू
काठ
और
पत्थर
के
दूसरे
देवताओं
की
उपासना
और
पूजा
करेगा।
37
और
उन
सब
जातियों
में
जिनके
मध्य
में
यहोवा
तुझ
को
पहुंचाएगा,
वहां
के
लोगों
के
लिये
तू
चकित
होने
का,
और
दृष्टान्त
और
शाप
का
कारण
समझा
जाएगा।
38
तू
खेत
में
बीज
तो
बहुत
सा
ले
जाएगा,
परन्तु
उपज
थोड़ी
ही
बटोरेगा;
क्योंकि
टिड्डियां
उसे
खा
जाएंगी।
39
तू
दाख
की
बारियां
लगाकर
उन
मे
काम
तो
करेगा,
परन्तु
उनकी
दाख
का
मधु
पीने
न
पाएगा,
वरन
फल
भी
तोड़ने
न
पाएगा;
क्योंकि
कीड़े
उन
को
खा
जाएंगे।
40
तेरे
सारे
देश
में
जलपाई
के
वृक्ष
तो
होंगे,
परन्तु
उनका
तेल
तू
अपने
शरीर
में
लगाने
न
पाएगा;
क्योंकि
वे
झड़
जाएंगे।
41
तेरे
बेटे-बेटियां
तो
उत्पन्न
होंगे,
परन्तु
तेरे
रहेंगे
नहीं;
क्योंकि
वे
बन्धुवाई
में
चले
जाएंगे।
42
तेरे
सब
वृक्ष
और
तेरी
भूमि
की
उपज
टिड्डियां
खा
जाएंगी।
43
जो
परदेशी
तेरे
मध्य
में
रहेगा
वह
तुझ
से
बढ़ता
जाएगा;
और
तू
आप
घटता
चला
जाएगा।
44
वह
तुझ
को
उधार
देगा,
परन्तु
तू
उसको
उधार
न
दे
सकेगा;
वह
तो
सिर
और
तू
पूंछ
ठहरेगा।
45
तू
जो
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
दी
हुई
आज्ञाओं
और
विधियों
के
मानने
को
उसकी
न
सुनेगा,
इस
कारण
ये
सब
शाप
तुझ
पर
आ
पड़ेंगे,
और
तेरे
पीछे
पड़े
रहेंगे,
और
तुझ
को
पकड़ेंगे,
और
अन्त
में
तू
नष्ट
हो
जाएगा।
46
और
वे
तुझ
पर
और
तेरे
वंश
पर
सदा
के
लिये
बने
रहकर
चिन्ह
और
चमत्कार
ठहरेंगे;
47
तू
जो
सब
पदार्थ
की
बहुतायत
होने
पर
भी
आनन्द
और
प्रसन्नता
के
साथ
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
सेवा
नहीं
करेगा,
48
इस
कारण
तुझ
को
भूखा,
प्यासा,
नंगा,
और
सब
पदार्थों
से
रहित
हो
कर
अपने
उन
शत्रुओं
की
सेवा
करनी
पड़ेगी
जिन्हें
यहोवा
तेरे
विरुद्ध
भेजेगा;
और
जब
तक
तू
नष्ट
न
हो
जाए
तब
तक
वह
तेरी
गर्दन
पर
लोहे
का
जूआ
डाल
रखेगा।
49
यहोवा
तेरे
विरुद्ध
दूर
से,
वरन
पृथ्वी
के
छोर
से
वेग
उड़ने
वाले
उकाब
सी
एक
जाति
को
चढ़ा
लाएगा
जिसकी
भाषा
को
तू
न
समझेगा;
50
उस
जाति
के
लोगों
का
व्यवहार
क्रूर
होगा,
वे
न
तो
बूढ़ों
का
मुंह
देखकर
आदर
करेंगे,
और
न
बालकों
पर
दया
करेंगे;
51
और
वे
तेरे
पशुओं
के
बच्चे
और
भूमि
की
उपज
यहां
तक
खा
जांएगे
कि
तू
नष्ट
हो
जाएगा;
और
वे
तेरे
लिये
न
अन्न,
और
न
नया
दाखमधु,
और
न
टटका
तेल,
और
न
बछड़े,
न
मेम्ने
छोड़ेंगे,
यहां
तक
कि
तू
नाश
हो
जाएगा।
52
और
वे
तेरे
परमेश्वर
यहोवा
के
दिये
हुए
सारे
देश
के
सब
फाटकों
के
भीतर
तुझे
घेर
रखेंगे;
वे
तेरे
सब
फाटकों
के
भीतर
तुझे
उस
समय
तक
घेरेंगे,
जब
तक
तेरे
सारे
देश
में
तेरी
ऊंची
ऊंची
और
दृढ़
शहरपनाहें
जिन
पर
तू
भरोसा
करेगा
गिर
न
जाएं।
53
तब
घिर
जाने
और
उस
सकेती
के
समय
जिस
में
तेरे
शत्रु
तुझ
को
डालेंगे,
तू
अपने
निज
जन्माए
बेटे-बेटियों
का
मांस
जिन्हें
तेरा
परमेश्वर
यहोवा
तुझ
को
देगा
खाएगा।
54
और
तुझ
में
जो
पुरूष
कोमल
और
अति
सुकुमार
हो
वह
भी
अपने
भाई,
और
अपनी
प्राणप्यारी,
और
अपने
बचे
हुए
बालकों
को
क्रूर
दृष्टि
से
देखेगा;
55
और
वह
उन
में
से
किसी
को
भी
अपने
बालकों
के
मांस
में
से
जो
वह
आप
खाएगा
कुछ
न
देगा,
क्योंकि
घिर
जाने
और
उस
सकेती
में,
जिस
में
तेरे
शत्रु
तेरे
सारे
फाटकों
के
भीतर
तुझे
घेर
डालेंगे,
उसके
पास
कुछ
न
रहेगा।
56
और
तुझ
में
जो
स्त्री
यहां
तक
कोमल
और
सुकुमार
हो
कि
सुकुमारपन
के
और
कोमलता
के
मारे
भूमि
पर
पांव
धरते
भी
डरती
हो,
वह
भी
अपने
प्राणप्रिय
पति,
और
बेटे,
और
बेटी
को,
57
अपनी
खेरी,
वरन
अपने
जने
हुए
बच्चों
को
क्रूर
दृष्टि
से
देखेगी,
क्योंकि
घिर
जाने
और
सकेती
के
समय
जिस
में
तेरे
शत्रु
तुझे
तेरे
फाटकों
के
भीतर
घेरकर
रखेंगे,
वह
सब
वस्तुओं
की
घटी
के
मारे
उन्हें
छिप
के
खाएगी।
58
यदि
तू
इन
व्यवस्था
के
सारे
वचनों
के
पालने
में,
जो
इस
पुस्तक
में
लिखें
है,
चौकसी
करके
उस
आदरनीय
और
भययोग्य
नाम
का,
जो
यहोवा
तेरे
परमेश्वर
का
है
भय
न
माने,
59
तो
यहोवा
तुझ
को
और
तेरे
वंश
को
अनोखे
अनोखे
दण्ड
देगा,
वे
दुष्ट
और
बहुत
दिन
रहने
वाले
रोग
और
भारी
भारी
दण्ड
होंगे।
60
और
वह
मिस्र
के
उन
सब
रोगों
को
फिर
तेरे
ऊपर
लगा
देगा,
जिन
से
तू
भय
खाता
था;
और
वे
तुझ
में
लगे
रहेंगे।
61
और
जितने
रोग
आदि
दण्ड
इस
व्यवस्था
की
पुस्तक
में
नहीं
लिखे
हैं,
उन
सभों
को
भी
यहोवा
तुझ
को
यहां
तक
लगा
देगा,
कि
तू
सत्यानाश
हो
जाएगा।
62
और
तू
जो
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
न
मानेगा,
इस
कारण
आकाश
के
तारों
के
समान
अनगिनित
होने
की
सन्ती
तुझ
में
से
थोड़े
ही
मनुष्य
रह
जाएंगे।
63
और
जैसे
अब
यहोवा
की
तुम्हारी
भलाई
और
बढ़ती
करने
से
हर्ष
होता
है,
वैसे
ही
तब
उसको
तुम्हें
नाश
वरन
सत्यानाश
करने
से
हर्ष
होगा;
और
जिस
भूमि
के
अधिकारी
होने
को
तुम
जा
रहे
हो
उस
पर
से
तुम
उखाड़े
जाओगे।
64
और
यहोवा
तुझ
को
पृथ्वी
के
इस
छोर
से
ले
कर
उस
छोर
तक
के
सब
देशों
के
लोगों
में
तित्तर
बित्तर
करेगा;
और
वहां
रहकर
तू
अपने
और
अपने
पुरखाओं
के
अनजाने
काठ
और
पत्थर
के
दूसरे
देवताओं
की
उपासना
करेगा।
65
और
उन
जातियों
में
तू
कभी
चैन
न
पाएगा,
और
न
तेरे
पांव
को
ठिकाना
मिलेगा;
क्योंकि
वहां
यहोवा
ऐसा
करेगा
कि
तेरा
हृदय
कांपता
रहेगा,
और
तेरी
आंखे
धुंधली
पड़
जाएगीं,
और
तेरा
मन
कलपता
रहेगा;
66
और
तुझ
को
जीवन
का
नित्य
सन्देह
रहेगा;
और
तू
दिन
रात
थरथराता
रहेगा,
और
तेरे
जीवन
का
कुछ
भरोसा
न
रहेगा।
67
तेरे
मन
में
जो
भय
बना
रहेगा,
उसके
कारण
तू
भोर
को
आह
मार
के
कहेगा,
कि
सांझ
कब
होगी!
और
सांझ
को
आह
मार
के
कहेगा,
कि
भोर
कब
होगा।
68
और
यहोवा
तुझ
को
नावों
पर
चढ़ाकर
मिस्र
में
उस
मार्ग
से
लौटा
देगा,
जिसके
विषय
में
मैं
ने
तुझ
से
कहा
था,
कि
वह
फिर
तेरे
देखने
में
न
आएगा;
और
वहाँ
तुम
अपने
शत्रुओं
के
हाथ
दास-दासी
होने
के
लिये
बिकाऊ
तो
रहोगे,
परन्तु
तुम्हारा
कोई
ग्राहक
न
होगा॥
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