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योएल
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ओबद्दाह
योना
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नहूम
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सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
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मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
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1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
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यहोशू 24:30
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यहोशू 24:30 (05 17 am)
हमारे बारे में
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यहोशू 24:30
1
फिर
यहोशू
ने
इस्राएल
के
सब
गोत्रों
को
शकेम
में
इकट्ठा
किया,
और
इस्राएल
के
वृद्ध
लोगों,
और
मुख्य
पुरूषों,
और
न्यायियों,
और
सरदारों
को
बुलवाया;
और
वे
परमेश्वर
के
साम्हने
उपस्थित
हुए।
2
तब
यहोशू
ने
उन
सब
लोगों
से
कहा,
इस्राएल
का
परमेश्वर
यहोवा
इस
प्रकार
कहता
है,
कि
प्राचीन
काल
में
इब्राहीम
और
नाहोर
का
पिता
तेरह
आदि,
तुम्हारे
पुरखा
परात
महानद
के
उस
पार
रहते
हुए
दूसरे
देवताओं
की
उपासना
करते
थे।
3
और
मैं
ने
तुम्हारे
मूलपुरूष
इब्राहीम
को
महानद
के
उस
पार
से
ले
आकर
कनान
देश
के
सब
स्थानों
में
फिराया,
और
उसका
वंश
बढ़ाया।
और
उसे
इसहाक
को
दिया;
4
फिर
मैं
ने
इसहाक
को
याकूब
और
ऐसाव
दिया।
और
ऐसाव
को
मैं
ने
सेईर
नाम
पहाड़ी
देश
दिया
कि
वह
उसका
अधिकारी
हो,
परन्तु
याकूब
बेटों-पोतों
समेत
मिस्र
को
गया।
5
फिर
मैं
ने
मूसा
और
हारून
को
भेज
कर
उन
सब
कामों
के
द्वारा
जो
मैं
ने
मिस्र
में
किए
उस
देश
को
मारा;
और
उसके
बाद
तुम
को
निकाल
लाया।
6
और
मैं
तुम्हारे
पुरखाओं
को
मिस्र
में
से
निकाल
लाया,
और
तुम
समुद्र
के
पास
पहुंचे;
और
मिस्रियोंने
रथ
और
सवारों
को
संग
ले
कर
लाल
समुद्र
तक
तुम्हारा
पीछा
किया।
7
और
जब
तुम
ने
यहोवा
की
दोहाई
दी
तब
उसने
तुम्हारे
और
मिस्रियों
के
बीच
में
अन्धियारा
कर
दिया,
और
उन
पर
समुद्र
को
बहाकर
उन
को
डुबा
दिया;
और
जो
कुछ
मैं
ने
मिस्र
में
किया
उसे
तुम
लोगों
ने
अपनी
आंखों
से
देखा;
फिर
तुम
बहुत
दिन
तक
जंगल
में
रहे।
8
तब
मैं
तुम
को
उन
एमोरियों
के
देश
में
ले
आया,
जो
यरदन
के
उस
पार
बसे
थे;
और
वे
तुम
से
लड़े
और
मैं
ने
उन्हें
तुम्हारे
वश
में
कर
दिया,
और
तुम
उनके
देश
के
अधिकारी
हो
गए,
और
मैं
ने
उन
को
तुम्हारे
साम्हने
से
सत्यानाश
कर
डाला।
9
फिर
मोआब
के
राजा
सिप्पोर
का
पुत्र
बालाक
उठ
कर
इस्राएल
से
लड़ा;
और
तुम्हें
शाप
देने
के
लिये
बोर
के
पुत्र
बिलाम
को
बुलवा
भेजा,
10
परन्तु
मैं
ने
बिलाम
की
सुनने
के
लिये
नाहीं
की;
वह
तुम
को
आशीष
ही
आशीष
देता
गया;
इस
प्रकार
मैं
ने
तुम
को
उसके
हाथ
से
बचाया।
11
तब
तुम
यरदन
पार
हो
कर
यरीहो
के
पास
आए,
और
जब
यरीहो
के
लोग,
और
एमोरी,
परिज्जी,
कनानी,
हित्ती,
गिर्गाशी,
हिब्बी,
और
यबूसी
तुम
से
लड़े,
तब
मैं
ने
उन्हें
तुम्हारे
वश
में
कर
दिया।
12
और
मैं
ने
तुम्हारे
आगे
बर्रों
को
भेजा,
और
उन्होंने
एमोरियों
के
दोनों
राजाओं
को
तुम्हारे
साम्हने
से
भगा
दिया;
देखो,
यह
तुम्हारी
तलवार
वा
धनुष
का
काम
नहीं
हुआ।
13
फिर
मैं
ने
तुम्हें
ऐसा
देश
दिया
जिस
में
तुम
ने
परिश्रम
न
किया
था,
और
ऐसे
नगर
भी
दिए
हैं
जिन्हें
तुम
ने
न
बसाया
था,
और
तुम
उन
में
बसे
हो;
और
जिन
दाख
और
जलपाई
के
बगीचों
के
फल
तुम
खाते
हो
उन्हें
तुम
ने
नहीं
लगाया
था।
14
इसलिये
अब
यहोवा
का
भय
मानकर
उसकी
सेवा
खराई
और
सच्चाई
से
करो;
और
जिन
देवताओं
की
सेवा
तुम्हारे
पुरखा
महानद
के
उस
पार
और
मिस्र
में
करते
थे,
उन्हें
दूर
करके
यहोवा
की
सेवा
करो।
15
और
यदि
यहोवा
की
सेवा
करनी
तुम्हें
बुरी
लगे,
तो
आज
चुन
लो
कि
तुम
किस
की
सेवा
करोगे,
चाहे
उन
देवताओं
की
जिनकी
सेवा
तुम्हारे
पुरखा
महानद
के
उस
पार
करते
थे,
और
चाहे
एमोरियों
के
देवताओं
की
सेवा
करो
जिनके
देश
में
तुम
रहते
हो;
परन्तु
मैं
तो
अपने
घराने
समेत
यहोवा
की
सेवा
नित
करूंगा।
16
तब
लोगों
ने
उत्तर
दिया,
यहोवा
को
त्यागकर
दूसरे
देवताओं
की
सेवा
करनी
हम
से
दूर
रहे;
17
क्योंकि
हमारा
परमेश्वर
यहोवा
वही
है
जो
हम
को
और
हमारे
पुरखाओं
को
दासत्व
के
घर,
अर्थात
मिस्र
देश
से
निकाल
ले
आया,
और
हमारे
देखते
बड़े
बड़े
आश्चर्य
कर्म
किए,
और
जिस
मार्ग
पर
और
जितनी
जातियों
के
मध्य
में
से
हम
चले
आते
थे
उन
में
हमारी
रक्षा
की;
18
और
हमारे
साम्हने
से
इस
देश
में
रहनेवाली
एमोरी
आदि
सब
जातियों
को
निकाल
दिया
है;
इसलिये
हम
भी
यहोवा
की
सेवा
करेंगे,
क्योंकि
हमारा
परमेश्वर
वही
है।
19
यहोशू
ने
लोगों
से
कहा,
तुम
से
यहोवा
की
सेवा
नहीं
हो
सकती;
क्योंकि
वह
पवित्र
परमेश्वर
है;
वह
जलन
रखनेवाला
ईश्वर
है;
वह
तुम्हारे
अपराध
और
पाप
क्षमा
न
करेगा।
20
यदि
तुम
यहोवा
को
त्यागकर
पराए
देवताओं
की
सेवा
करने
लगोगे,
तो
यद्दपि
वह
तुम्हारा
भला
करता
आया
है
तौभी
वह
फिरकर
तुम्हारी
हानि
करेगा
और
तुम्हारा
अन्त
भी
कर
डालेगा।
21
लोगों
ने
यहोशू
से
कहा,
नहीं;
हम
यहोवा
ही
की
सेवा
करेंगे।
22
यहोशू
ने
लोगों
से
कहा,
तुम
आप
ही
अपने
साक्षी
हो
कि
तुम
ने
यहोवा
की
सेवा
करनी
अंगीकार
कर
ली
है।
उन्होंने
कहा,
हां,
हम
साक्षी
हैं।
23
यहोशू
ने
कहा,
अपने
बीच
पराए
देवताओं
को
दूर
करके
अपना
अपना
मन
इस्राएल
के
परमेश्वर
की
ओर
लगाओ।
24
लोगों
ने
यहोशू
से
कहा,
हम
तो
अपने
परमेश्वर
यहोवा
ही
की
सेवा
करेंगे,
और
उसी
की
बात
मानेंगे।
25
तब
यहोशू
ने
उसी
दिन
उन
लोगों
से
वाचा
बन्धाई,
और
शकेम
में
उनके
लिये
विधि
और
नियम
ठहराया॥
26
यह
सारा
वृत्तान्त
यहोशू
ने
परमेश्वर
की
व्यवस्था
की
पुस्तक
में
लिख
दिया;
और
एक
बड़ा
पत्थर
चुनकर
वहां
उस
बांज
वृक्ष
के
तले
खड़ा
किया,
जो
यहोवा
के
पवित्र
स्थान
में
था।
27
तब
यहोशू
ने
सब
लोगों
से
कहा,
सुनो,
यह
पत्थर
हम
लोगों
का
साक्षी
रहेगा,
क्योंकि
जितने
वचन
यहोवा
ने
हम
से
कहें
हैं
उन्हें
इस
ने
सुना
है;
इसलिये
यह
तुम्हारा
साक्षी
रहेगा,
ऐसा
न
हो
कि
तुम
अपने
परमेश्वर
से
मुकर
जाओ।
28
तब
यहोशू
ने
लोगों
को
अपने
अपने
निज
भाग
पर
जाने
के
लिये
विदा
किया॥
29
इन
बातों
के
बाद
यहोवा
का
दास,
नून
का
पुत्र
यहोशू,
एक
सौ
दस
वर्ष
का
हो
कर
मर
गया।
30
और
उसको
तिम्नत्सेरह
में,
जो
एप्रैम
के
पहाड़ी
देश
में
गाश
नाम
पहाड़
की
उत्तर
अलंग
पर
है,
उसी
के
भाग
में
मिट्टी
दी
गई।
31
और
यहोशू
के
जीवन
भर,
और
जो
वृद्ध
लोग
यहोशू
के
मरने
के
बाद
जीवित
रहे
और
जानते
थे
कि
यहोवा
ने
इस्राएल
के
लिये
कैसे
कैसे
काम
किए
थे,
उनके
भी
जीवन
भर
इस्राएली
यहोवा
ही
की
सेवा
करते
रहे।
32
फिर
यूसुफ
की
हड्डियां
जिन्हें
इस्राएली
मिस्र
से
ले
आए
थे
वे
शकेम
की
भूमि
के
उस
भाग
में
गाड़ी
गईं,
जिसे
याकूब
ने
शकेम
के
पिता
हामोर
से
एक
सौ
चांदी
के
सिक्कों
में
मोल
लिया
था;
इसलिये
वह
यूसुफ
की
सन्तान
का
निज
भाग
हो
गया।
33
और
हारून
का
पुत्र
एलीआज़र
भी
मर
गया;
और
उसको
एप्रैम
के
पहाड़ी
देश
में
उस
पहाड़ी
पर
मिट्टी
दी
गई,
जो
उसके
पुत्र
पीनहास
के
नाम
पर
गिबत्पीनहास
कहलाती
है
और
उसको
दे
दी
गई
थी॥
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