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यहेजकेल
दानिय्येल
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योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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न्यायियों 18
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न्यायियों 18:0 (02 54 am)
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न्यायियों 18
1
उन
दिनों
में
इस्राएलियों
का
कोई
राजा
न
था।
और
उन्हीं
दिनों
में
दानियों
के
गोत्र
के
लोग
रहने
के
लिये
कोई
भाग
ढूंढ़
रहे
थे;
क्योंकि
इस्राएली
गोत्रों
के
बीच
उनका
भाग
उस
समय
तक
न
मिला
था।
2
तब
दानियों
ने
अपने
सब
कुल
में
से
पांच
शूरवीरों
को
सोरा
और
एशताओल
से
देश
का
भेद
लेने
और
उस
में
देख
भाल
करने
के
लिये
यह
कहकर
भेज
दिया,
कि
जा
कर
देश
में
देख
भाल
करो।
इसलिये
वे
एप्रैम
के
पहाड़ी
देश
में
मीका
के
घर
तक
जा
कर
वहां
टिक
गए।
3
जब
वे
मीका
के
घर
के
पास
आए,
तब
उस
जवान
लेवीय
का
बोल
पहचाना;
इसलिये
वहां
मुड़कर
उस
से
पूछा,
तुझे
यहां
कौन
ले
आया?
और
तू
यहां
क्या
करता
है?
और
यहां
तेरे
पास
क्या
है?
4
उसने
उन
से
कहा,
मीका
ने
मुझ
से
ऐसा
ऐसा
व्यवहार
किया
है,
और
मुझे
नौकर
रखा
है,
और
मैं
उसका
पुरोहित
हो
गया
हूं।
5
उन्होंने
उस
से
कहा,
परमेश्वर
से
सलाह
ले,
कि
हम
जान
लें
कि
जो
यात्रा
हम
करते
हैं
वह
सफल
होगी
वा
नहीं।
6
पुरोहित
ने
उन
से
कहा,
कुशल
से
चले
जाओ।
जो
यात्रा
तुम
करते
हो
वह
ठीक
यहोवा
के
साम्हने
है।
7
तब
वे
पांच
मनुष्य
चल
निकले,
और
लैश
को
जा
कर
वहां
के
लोगों
को
देखा
कि
सीदोनियों
की
नाईं
निडर,
बेखटके,
और
शान्ति
से
रहते
हैं;
और
इस
देश
का
कोई
अधिकारी
नहीं
है,
जो
उन्हें
किसी
काम
में
रोके,
और
ये
सीदोनियों
से
दूर
रहते
हैं,
और
दूसरे
मनुष्यों
से
कुछ
व्यवहार
नहीं
रखते।
8
तब
वे
सोरा
और
एश्ताओल
को
अपने
भाइयों
के
पास
गए,
और
उनके
भाइयों
ने
उन
से
पूछा,
तुम
क्या
समाचार
ले
आए
हो?
9
उन्होंने
कहा,
आओ,
हम
उन
लोगों
पर
चढ़ाई
करें;
क्योंकि
हम
ने
उस
देश
को
देखा
कि
वह
बहुत
अच्छा
है।
तुम
क्यों
चुपचाप
रहते
हो?
वहां
चलकर
उस
देश
को
अपने
वंश
में
कर
लेने
में
आलस
न
करो।
10
वहां
पहुंचकर
तुम
निडर
रहते
हुए
लोगों
को,
और
लम्बा
चौड़ा
देश
पाओगे;
और
परमेश्वर
ने
उसे
तुम्हारे
हाथ
में
दे
दिया
है।
वह
ऐसा
स्थान
है
जिस
में
पृथ्वी
भर
के
किसी
पदार्थ
की
घटी
नहीं
है॥
11
तब
वहां
से
अर्थात
सोरा
और
एशताओल
से
दानियों
के
कुल
के
छ:
सौ
पुरूषों
ने
युद्ध
के
हथियार
बान्धकर
प्रस्थान
किया।
12
उन्होंने
जा
कर
यहूदा
देश
के
किर्य्यत्यारीम
नगर
में
डेरे
खड़े
किए।
इस
कारण
उस
स्थान
का
नाम
महनेदान
आज
तक
पड़ा
है,
वह
तो
किर्य्यत्यारीम
के
पश्चिम
की
ओर
है।
13
वहां
से
वे
आगे
बढ़कर
एप्रैम
के
पहाड़ी
देश
में
मीका
के
घर
के
पास
आए।
14
तब
जो
पांच
मनुष्य
लैश
के
देश
का
भेद
लेने
गए
थे,
वे
अपने
भाइयों
से
कहने
लगे,
क्या
तुम
जानते
हो
कि
इन
घरों
में
एक
एपोद,
कई
एक
गृहदेवता,
एक
खुदी
और
एक
ढली
हुई
मूरत
है?
इसलिये
अब
सोचो,
कि
क्या
करना
चाहिये।
15
वे
उधर
मुड़कर
उस
जवान
लेवीय
के
घर
गए,
जो
मीका
का
घर
था,
और
उसका
कुशल
क्षेम
पूछा।
16
और
वे
छ:
सौ
दानी
पुरूष
फाटक
में
हथियार
बान्धे
हुए
खड़े
रहे।
17
और
जो
पांच
मनुष्य
देश
का
भेद
लेने
गए
थे,
उन्होंने
वहां
घुसकर
उस
खुदी
हुई
मूरत,
और
एपोद,
और
गृहदेवताओं,
और
ढली
हुई
मूरत
को
ले
लिया,
और
वह
पुरोहित
फाटक
में
उन
हथियार
बान्धे
हुए
छ:
सौ
पुरूषों
के
संग
खड़ा
था।
18
जब
वे
पांच
मनुष्य
मीका
के
घर
में
घुसकर
खुदी
हुई
मूरत,
एपोद,
गृहदेवता,
और
ढली
हुई
मूरत
को
ले
आए
थे,
तब
पुरोहित
ने
उन
से
पूछा,
यह
तुम
क्या
करते
हो?
19
उन्होंने
उस
से
कहा,
चुप
रह,
अपने
मुंह
को
हाथ
से
बन्दकर,
और
हम
लोगों
के
संग
चलकर,
हमारे
लिये
पिता
और
पुरोहित
बन।
तेरे
लिये
क्या
अच्छा
है?
यह,
कि
एक
ही
मनुष्य
के
घराने
का
पुरोहित
हो,
वा
यह,
कि
इस्राएलियों
के
एक
गोत्र
और
कुल
का
पुरोहित
हो?
20
तब
पुरोहित
प्रसन्न
हुआ,
सो
वह
एपोद,
गृहदेवता,
और
खुदी
हुई
मूरत
को
ले
कर
उन
लोगों
के
संग
चला
गया।
21
तब
वे
मुड़े,
और
बाल-बच्चों,
पशुओं,
और
सामान
को
अपने
आगे
करके
चल
दिए।
22
जब
वे
मीका
के
घर
से
दूर
निकल
गए
थे,
तब
जो
मनुष्य
मीका
के
घर
के
पास
वाले
घरों
में
रहते
थे
उन्होंने
इकट्ठे
हो
कर
दानियों
को
जा
लिया।
23
और
दानियों
को
पुकारा,
तब
उन्होंने
मुंह
फेर
के
मीका
से
कहा,
तुझे
क्या
हुआ
कि
तू
इतना
बड़ा
दल
लिए
आता
है?
24
उसने
कहा,
तुम
तो
मेरे
बनवाए
हुए
देवताओं
और
पुरोहित
को
ले
चले
हो;
फिर
मेरे
पास
क्या
रह
गया?
तो
तुम
मुझ
से
क्यों
पूछते
हो?
कि
तुझे
क्या
हुआ
है?
25
दानियों
ने
उस
से
कहा,
तेरा
बोल
हम
लोगों
में
सुनाईं
न
दे,
कहीं
ऐसा
न
हो
कि
क्रोधी
जन
तुम
लोगों
पर
प्रहार
करें?
और
तू
अपना
और
अपने
घर
के
लोगों
के
भी
प्राण
को
खो
दे।
26
तब
दानियों
ने
अपना
मार्ग
लिया;
और
मीका
यह
देखकर
कि
वे
मुझ
से
अधिक
बलवन्त
हैं
फिर
के
अपने
घर
लौट
गया।
27
और
वे
मीका
के
बनवाए
हुए
पदार्थों
और
उसके
पुरोहित
को
साथ
ले
लैश
के
पास
आए,
जिसके
लोग
शान्ति
से
और
बिना
खटके
रहते
थे,
और
उन्होंने
उन
को
तलवार
से
मार
डाला,
और
नगर
को
आग
लगाकर
फूंक
दिया।
28
और
कोई
बचाने
वाला
न
था,
क्योंकि
वह
सीदोन
से
दूर
था,
और
वे
और
मनुष्यों
से
कुछ
व्यवहार
न
रखते
थे।
और
वह
बेत्रहोब
की
तराई
में
था।
तब
उन्होंने
नगर
को
दृढ़
किया,
और
उस
में
रहने
लगे।
29
और
उन्होंने
उस
नगर
का
नाम
इस्राएल
के
एक
पुत्र
अपने
मूलपुरूष
दान
के
नाम
पर
दान
रखा;
परन्तु
पहिले
तो
उस
नगर
का
नाम
लैश
था।
30
तब
दानियों
ने
उस
खुदी
हुई
मूरत
को
खड़ा
कर
लिया;
और
देश
की
बन्धुआई
के
समय
वह
योनातान
जो
गेर्शोम
का
पुत्र
और
मूसा
का
पोता
था,
वह
और
उसके
वंश
के
लोग
दान
गोत्र
के
पुरोहित
बने
रहे।
31
और
जब
तक
परमेश्वर
का
भवन
शीलो
में
बना
रहा,
तब
तक
वे
मीका
की
खुदवाई
हुई
मूरत
को
स्थापित
किए
रहे॥
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