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ओबद्दाह
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नहूम
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मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
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1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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न्यायियों 11:1 (06 22 pm)
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न्यायियों 11:1
1
यिप्तह
नाम
गिलादी
बड़ा
शूरवीर
था,
और
वह
वेश्या
का
बेटा
था;
और
गिलाद
से
यिप्तह
उत्पन्न
हुआ
था।
2
गिलाद
की
स्त्री
के
भी
बेटे
उत्पन्न
हुए;
और
जब
वे
बड़े
हो
गए
तब
यिप्तह
को
यह
कहकर
निकाल
दिया,
कि
तू
तो
पराई
स्त्री
का
बेटा
है;
इस
कारण
हमारे
पिता
के
घराने
में
कोई
भाग
न
पाएगा।
3
तब
यिप्तह
अपने
भाइयों
के
पास
से
भागकर
तोब
देश
में
रहने
लगा;
और
यिप्तह
के
पास
लुच्चे
मनुष्य
इकट्ठे
हो
गए;
और
उसके
संग
फिरने
लगे॥
4
और
कुछ
दिनों
के
बाद
अम्मोनी
इस्राएल
से
लड़ने
लगे।
5
जब
अम्मोनी
इस्राएल
से
लड़ते
थे,
तब
गिलाद
के
वृद्ध
लोग
यिप्तह
को
तोब
देश
से
ले
आने
को
गए;
6
और
यिप्तह
से
कहा,
चलकर
हमारा
प्रधान
हो
जा,
कि
हम
अम्मोनियों
से
लड़
सकें।
7
यिप्तह
ने
गिलाद
के
वृद्ध
लोगों
से
कहा,
क्या
तुम
ने
मुझ
से
बैर
करके
मुझे
मेरे
पिता
के
घर
से
निकाल
न
दिया
था?
फिर
अब
संकट
में
पड़कर
मेरे
पास
क्यों
आए
हो?
8
गिलाद
के
वृद्ध
लोगों
ने
यिप्तह
से
कहा,
इस
कारण
हम
अब
तेरी
ओर
फिरे
हैं,
कि
तू
हमारे
संग
चलकर
अम्मोनियों
से
लड़े;
तब
तू
हमारी
ओर
से
गिलाद
के
सब
निवासियों
का
प्रधान
ठहरेगा।
9
यिप्तह
ने
गिलाद
के
वृद्ध
लोगों
से
पूछा,
यदि
तुम
मुझे
अम्मोनियों
से
लड़ने
को
फिर
मेरे
घर
ले
चलो,
और
यहोवा
उन्हें
मेरे
हाथ
कर
दे,
तो
क्या
मैं
तुम्हारा
प्रधान
ठहरूंगा?
10
गिलाद
के
वृद्ध
लोगों
ने
यिप्तह
से
कहा,
निश्चय
हम
तेरी
इस
बाते
के
अनुसार
करेंगे;
यहोवा
हमारे
और
तेरे
बीच
में
इन
वचनों
का
सुननेवाला
है।
11
तब
यिप्तह
गिलाद
के
वृद्ध
लोगों
के
संग
चला,
और
लोगों
ने
उसको
अपने
ऊपर
मुखिया
और
प्रधान
ठहराया;
और
यिप्तह
ने
अपनी
सब
बातें
मिस्पा
में
यहोवा
के
सम्मुख
कह
सुनाईं॥
12
तब
यिप्तह
ने
अम्मोनियों
के
राजा
के
पास
दूतों
से
यह
कहला
भेजा,
कि
तुझे
मुझ
से
क्या
काम,
कि
तू
मेरे
देश
में
लड़ने
को
आया
है?
13
अम्मोनियों
के
राजा
ने
यिप्तह
के
दूतों
से
कहा,
कारण
यह
है,
कि
जब
इस्राएली
मिस्र
से
आए,
तब
अर्नोन
से
यब्बोक
और
यरदन
तक
जो
मेरा
देश
था
उसको
उन्होंने
छीन
लिया;
इसलिये
अब
उसको
बिना
झगड़ा
किए
फेर
दे।
14
तब
यिप्तह
ने
फिर
अम्मोनियों
के
राजा
के
पास
यह
कहने
को
दूत
भेजे,
15
कि
यिप्तह
तुझ
से
यों
कहता
है,
कि
इस्राएल
ने
न
तो
मोआब
का
देश
ले
लिया
और
न
अम्मोनियों
का,
16
वरन
जब
वे
मिस्र
से
निकले,
और
इस्राएली
जंगल
में
होते
हुए
लाल
समुद्र
तक
चले,
और
कादेश
को
आए,
17
तब
इस्राएल
ने
एदोम
के
राजा
के
पास
दूतों
से
यह
कहला
भेजा,
कि
मुझे
अपने
देश
में
हो
कर
जाने
दे;
और
एदोम
के
राजा
ने
उनकी
न
मानी।
इसी
रीति
उसने
मोआब
के
राजा
से
भी
कहला
भेजा,
और
उसने
भी
न
माना।
इसलिये
इस्राएल
कादेश
में
रह
गया।
18
तब
उसने
जंगल
में
चलते
चलते
एदोम
और
मोआब
दोनों
देशों
के
बाहर
बाहर
घूमकर
मोआब
देश
की
पूर्व
ओर
से
आकर
अर्नोन
के
इसी
पार
अपने
डेरे
डाले;
और
मोआब
के
सिवाने
के
भीतर
न
गया,
क्योंकि
मोआब
का
सिवाना
अर्नोन
था।
19
फिर
इस्राएल
ने
एमोरियों
के
राजा
सीहोन
के
पास
जो
हेश्बोन
का
राजा
था
दूतों
से
यह
कहला
भेजा,
कि
हमें
अपने
देश
में
से
हो
कर
हमारे
स्थान
को
जाने
दे।
20
परन्तु
सीहोन
ने
इस्राएल
का
इतना
विश्वास
न
किया
कि
उसे
अपने
देश
में
से
हो
कर
जाने
देता;
वरन
अपनी
सारी
प्रजा
को
इकट्ठी
कर
अपने
डेरे
यहस
में
खड़े
करके
इस्राएल
से
लड़ा।
21
और
इस्राएल
के
परमेश्वर
यहोवा
ने
सीहोन
को
सारी
प्रजा
समेत
इस्राएल
के
हाथ
में
कर
दिया,
और
उन्होंने
उन
को
मार
लिया;
इसलिये
इस्राएल
उस
देश
के
निवासी
एमोरियों
के
सारे
देश
का
अधिकारी
हो
गया।
22
अर्थात
वह
अनौन
से
यब्बोक
तक
और
जंगल
से
ले
यरदन
तक
एमोरियों
के
सारे
देश
का
अधिकारी
हो
गया।
23
इसलिये
अब
इस्राएल
के
परमेश्वर
यहोवा
ने
अपनी
इस्राएली
प्रजा
के
साम्हने
से
एमोरियों
को
उनके
देश
से
निकाल
दिया
है;
फिर
क्या
तू
उसका
अधिकारी
होने
पाएगा?
24
क्या
तू
उसका
अधिकारी
न
होगा,
जिसका
तेरा
कमोश
देवता
तुझे
अधिकारी
कर
दे?
इसी
प्रकार
से
जिन
लोगों
को
हमारा
परमेश्वर
यहोवा
हमारे
साम्हने
से
निकाले,
उनके
देश
के
अधिकारी
हम
होंगे।
25
फिर
क्या
तू
मोआब
के
राजा
सिप्पोर
के
पुत्र
बालाक
से
कुछ
अच्छा
है?
क्या
उसने
कभी
इस्राएलियों
से
कुछ
भी
झगड़ा
किया?
क्या
वह
उन
से
कभी
लड़ा?
26
जब
कि
इस्राएल
हेश्बोन
और
उसके
गावों
में,
और
अरोएल
और
उसके
गावों
में,
और
अर्नोन
के
किनारे
के
सब
नगरों
में
तीन
सौ
वर्ष
से
बसा
है,
तो
इतने
दिनों
में
तुम
लोगों
ने
उसको
क्यों
नहीं
छुड़ा
लिया?
27
मैं
ने
तेरा
अपराध
नहीं
किया;
तू
ही
मुझ
से
युद्ध
छेड़कर
बुरा
व्यवहार
करता
है;
इसलिये
यहोवा
जो
न्यायी
है,
वह
इस्राएलियों
और
अम्मोनियों
के
बीच
में
आज
न्याय
करे।
28
तौभी
अम्मोनियों
के
राजा
ने
यिप्तह
की
ये
बातें
न
मानीं
जिन
को
उसने
कहला
भेजा
था॥
29
तब
यहोवा
का
आत्मा
यिप्तह
में
समा
गया,
और
वह
गिलाद
और
मनश्शे
से
हो
कर
गिलाद
के
मिस्पे
में
आया,
और
गिलाद
के
मिस्पे
से
हो
कर
अम्मोनियों
की
ओर
चला।
30
और
यिप्तह
ने
यह
कहकर
यहोवा
की
मन्नत
मानी,
कि
यदि
तू
नि:सन्देह
अम्मोनियों
को
मेरे
हाथ
में
कर
दे,
31
तो
जब
मैं
कुशल
के
साथ
अम्मोनियों
के
पास
से
लौट
आऊं
तब
जो
कोई
मेरे
भेंट
के
लिये
मेरे
घर
के
द्वार
से
निकले
वह
यहोवा
का
ठहरेगा,
और
मैं
उसे
होमबलि
करके
चढ़ाऊंगा।
32
तब
यिप्तह
अम्मोनियों
से
लड़ने
को
उनकी
ओर
गया;
और
यहोवा
ने
उन
को
उसके
हाथ
में
कर
दिया।
33
और
वह
अरोएर
से
ले
मिन्नीत
तक,
जो
बीस
नगर
हैं,
वरन
आबेलकरामीम
तक
जीतते
जीतते
उन्हें
बहुत
बड़ी
मार
से
मारता
गया।
और
अम्मोनी
इस्राएलियों
से
हार
गए॥
34
जब
यिप्तह
मिस्पा
को
अपने
घर
आया,
तब
उसकी
बेटी
डफ
बजाती
और
नाचती
हुई
उसकी
भेंट
के
लिये
निकल
आई;
वह
उसकी
एकलौती
थी;
उसको
छोड़
उसके
न
तो
कोई
बेटा
था
और
कोई
न
बेटी।
35
उसको
देखते
ही
उसने
अपने
कपड़े
फाड़कर
कहा,
हाथ,
मेरी
बेटी!
तू
ने
कमर
तोड़
दी,
और
तू
भी
मेरे
कष्ट
देने
वालों
में
हो
गई
है;
क्योंकि
मैंने
यहोवा
को
वचन
दिया
है,
और
उसे
टाल
नहीं
सकता।
36
उसने
उस
से
कहा,
हे
मेरे
पिता,
तू
ने
जो
यहोवा
को
वचन
दिया
है,
तो
जो
बात
तेरे
मुंह
से
निकली
है
उसी
के
अनुसार
मुझ
से
बर्ताव
कर,
क्योंकि
यहोवा
ने
तेरे
अम्मोनी
शत्रुओं
से
तेरा
पलटा
लिया
है।
37
फिर
उसने
अपने
पिता
से
कहा,
मेरे
लिये
यह
किया
जाए,
कि
दो
महीने
तक
मुझे
छोड़े
रह,
कि
मैं
अपनी
सहेलियों
सहित
जा
कर
पहाड़ों
पर
फिरती
हुई
अपनी
कुंवारीपन
पर
रोती
रहूं।
38
उसने
कहा,
जा।
तब
उसने
उसे
दो
महिने
की
छुट्टी
दी;
इसलिये
वह
अपनी
सहेलियों
सहित
चली
गई,
और
पहाड़ों
पर
अपनी
कुंवारीपन
पर
रोती
रही।
39
दो
महीने
के
बीतने
पर
वह
अपने
पिता
के
पास
लौट
आई,
और
उसने
उसके
विषय
में
अपनी
मानी
हुइ
मन्नत
को
पूरी
किया।
और
उस
कन्या
ने
पुरूष
का
मुंह
कभी
न
देखा
था।
इसलिये
इस्राएलियों
में
यह
रीति
चली
40
कि
इस्राएली
स्त्रियां
प्रतिवर्ष
यिप्तह
गिलादी
की
बेटी
का
यश
गाने
को
वर्ष
में
चार
दिन
तक
जाया
करती
थीं॥
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