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अधिक
1 शमूएल 4:5
उत्पत्ति
निर्गमन
लैव्यवस्था
गिनती
व्यवस्थाविवरण
यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
2 शमूएल
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दानिय्येल
होशे
योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
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1 शमूएल 4:5 (08 47 pm)
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1 शमूएल 4:5
1
और
शमूएल
का
वचन
सारे
इस्राएल
के
पास
पहुंचा।
और
इस्राएली
पलिश्तियों
से
युद्ध
करने
को
निकले;
और
उन्होंने
तो
एबेनेजेर
के
आस-पास
छावनी
डाली,
और
पलिश्तियों
ने
अपेक
में
छावनी
डाली।
2
तब
पलिश्तियों
ने
इस्राएल
के
विरुद्ध
पांति
बान्धी,
और
जब
घमासान
युद्ध
होने
लगा
तब
इस्राएली
पलिश्तियों
से
हार
गए,
और
उन्होंने
कोई
चार
हजार
इस्राएली
सेना
के
पुरूषों
को
मैदान
ही
में
मार
डाला।
3
और
जब
वे
लोग
छावनी
में
लौट
आए,
तब
इस्राएल
के
वृद्ध
लोग
कहने
लगे,
कि
यहोवा
ने
आज
हमें
पलिश्तियों
से
क्यों
हरवा
दिया
है?
आओ,
हम
यहोवा
की
वाचा
का
सन्दूक
शीलो
से
मांग
ले
आएं,
कि
वह
हमारे
बीच
में
आकर
हमें
शत्रुओं
के
हाथ
से
बचाए।
4
तब
उन
लोगों
ने
शीलो
में
भेज
कर
वहां
से
करूबों
के
ऊपर
विराजने
वाले
सेनाओं
के
यहोवा
की
वाचा
का
सन्दूक
मंगा
लिया;
और
परमेश्वर
की
वाचा
के
सन्दूक
के
साथ
एली
के
दोनों
पुत्र,
होप्नी
और
पिनहास
भी
वहां
थे।
5
जब
यहोवा
की
वाचा
का
सन्दूक
छावनी
में
पहुंचा,
तब
सारे
इस्राएली
इतने
बल
से
ललकार
उठे,
कि
भूमि
गूंज
उठी।
6
इस
ललकार
का
शब्द
सुनकर
पलिश्तियों
ने
पूछा,
इब्रियों
की
छावनी
में
ऐसी
बड़ी
ललकार
का
क्या
कारण
है?
तब
उन्होंने
जान
लिया,
कि
यहोवा
का
सन्दूक
छावनी
में
आया
है।
7
तब
पलिश्ती
डरकर
कहने
लगे,
उस
छावनी
में
परमेश्वर
आ
गया
है।
फिर
उन्होंने
कहा,
हाय!
हम
पर
ऐसी
बात
पहिले
नहीं
हुई
थी।
8
हाय!
ऐसे
महाप्रतापी
देवताओं
के
हाथ
से
हम
को
कौन
बचाएगा?
ये
तो
वे
ही
देवता
हैं
जिन्होंने
मिस्रियों
पर
जंगल
में
सब
प्रकार
की
विपत्तियां
डाली
थीं।
9
हे
पलिश्तियों,
तुम
हियाव
बान्धो,
और
पुरूषार्थ
जगाओ,
कहीं
ऐसा
न
हो
कि
जैसे
इब्री
तुम्हारे
आधीन
हो
गए
वैसे
तुम
भी
उनके
आधीन
हो
जाओ;
पुरूषार्थ
करके
संग्राम
करो।
10
तब
पलिश्ती
लड़ाई
के
मैदान
में
टूट
पड़े,
और
इस्राएली
हार
कर
अपने
अपने
डेरे
को
भागने
लगे;
और
ऐसा
अत्यन्त
संहार
हुआ,
कि
तीस
हजार
इस्राएली
पैदल
खेत
आए।
11
और
परमेश्वर
का
सन्दूक
छीन
लिया
गया;
और
एली
के
दोनों
पुत्र,
होप्नी
और
पीनहास,
भी
मारे
गए।
12
तब
एक
बिन्यामीनी
मनुष्य
ने
सेना
में
से
दौड़कर
उसी
दिन
अपने
वस्त्र
फाड़े
और
सिर
पर
मिट्टी
डाले
हुए
शीलो
में
पहुंचा।
13
वह
जब
पहुंचा
उस
समय
एली,
जिसका
मन
परमेश्वर
के
सन्दूक
की
चिन्ता
से
थरथरा
रहा
था,
वह
मार्ग
के
किनारे
कुर्सी
पर
बैठा
बाट
जोह
रहा
था।
और
ज्योंही
उस
मनुष्य
ने
नगर
में
पहुंचकर
वह
समाचार
दिया
त्योंही
सारा
नगर
चिल्ला
उठा।
14
चिल्लाने
का
शब्द
सुनकर
एली
ने
पूछा,
ऐसे
हुल्लड़
और
हाहाकार
मचने
का
क्या
कारण
है?
और
उस
मनुष्य
ने
जट
जा
कर
एली
को
पूरा
हाल
सुनाया।
15
एली
तो
अट्ठानवे
वर्ष
का
था,
और
उसकी
आंखें
धुन्धली
पड़
गई
थीं,
और
उसे
कुछ
सूझता
न
था।
16
उस
मनुष्य
ने
एली
से
कहा,
मैं
वही
हूं
जो
सेना
में
से
आया
हूं;
और
मैं
सेना
से
आज
ही
भाग
आया।
वह
बोला,
हे
मेरे
बेटे,
क्या
समाचार
है?
17
उस
समाचार
देने
वाले
ने
उत्तर
दिया,
कि
इस्राएली
पलिश्तियों
के
साम्हने
से
भाग
गए
हैं,
और
लोगों
का
बड़ा
भयानक
संहार
भी
हुआ
है,
और
तेरे
दोनों
पुत्र
होप्नी
और
पीनहास
भी
मारे
गए,
और
परमेश्वर
का
सन्दूक
भी
छीन
लिया
गया
है।
18
ज्योंही
उसने
परमेश्वर
के
सन्दूक
का
नाम
लिया
त्योंही
एली
फाटक
के
पास
कुर्सी
पर
से
पछाड़
खाकर
गिर
पड़ा;
और
बूढ़े
और
भारी
होने
के
कारण
उसकी
गर्दन
टूट
गई,
और
वह
मर
गया।
उसने
तो
इस्राएलियों
का
न्याय
चालीस
वर्ष
तक
किया
था।
19
उसकी
बहू
पीनहास
की
स्त्री
गर्भवती
थी,
और
उसका
समय
समीप
था।
और
जब
उसने
परमेश्वर
के
सन्दूक
के
छीन
लिए
जाने,
और
अपने
ससुर
और
पति
के
मरने
का
समाचार
सुना,
तब
उसको
जच्चा
का
दर्द
उठा,
और
वह
दुहर
गई,
और
उसके
एक
पुत्र
उत्पन्न
हुआ।
20
उसके
मरते
मरते
उन
स्त्रियों
ने
जो
उसके
आस
पास
खड़ी
थीं
उस
से
कहा,
मत
डर,
क्योंकि
तेरे
पुत्र
उत्पन्न
हुआ
है।
परन्तु
उसने
कुछ
उत्तर
न
दिया,
और
न
कुछ
ध्यान
दिया।
21
और
परमेश्वर
के
सन्दूक
के
छीन
लिए
जाने
और
अपने
ससुर
और
पति
के
कारण
उसने
यह
कहकर
उस
बालक
का
नाम
ईकाबोद
रखा,
कि
इस्राएल
में
से
महिमा
उठ
गई!
22
फिर
उसने
कहा,
इस्राएल
में
से
महिमा
उठ
गई
है,
क्योंकि
परमेश्वर
का
सन्दूक
छीन
लिया
गया
है॥
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