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सपन्याह
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
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2 कुरिन्थियों
गलातियों
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1 शमूएल 13
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1 शमूएल 13:0 (12 04 am)
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1 शमूएल 13
1
शाऊल
तीस
वर्ष
का
हो
कर
राज्य
करने
लगा,
और
उसने
इस्राएलियों
पर
दो
वर्ष
तक
राज्य
किया।
2
फिर
शाऊल
ने
इस्राएलियों
में
से
तीन
हजार
पुरूषों
को
अपने
लिये
चुन
लिया;
और
उन
में
से
दो
हजार
शाऊल
के
साथ
मिकमाश
में
और
बेतेल
के
पहाड़
पर
रहे,
और
एक
हजार
योनातान
के
साथ
बिन्यामीन
के
गिबा
में
रहे;
और
दूसरे
सब
लोगों
को
उसने
अपने
अपने
डेरे
में
जाने
को
विदा
किया।
3
तब
योनातान
ने
पलिश्तियों
की
उस
चौकी
को
जो
गिबा
में
थी
मार
लिया;
और
इसका
समाचार
पलिश्तियों
के
कानों
में
पड़ा।
तब
शाऊल
ने
सारे
देश
में
नरसिंगा
फुंकवाकर
यह
कहला
भेजा,
कि
इब्री
लोग
सुनें।
4
और
सब
इस्राएलियों
ने
यह
समाचार
सुना
कि
शाऊल
ने
पलिश्तियों
की
चौकी
को
मारा
है,
और
यह
भी
कि
पलिश्ती
इस्राएल
से
घृणा
करने
लगे
हैं।
तब
लोग
शाऊल
के
पीछे
चलकर
गिलगाल
में
इकट्ठे
हो
गए॥
5
और
पलिश्ती
इस्राएल
से
युद्ध
करने
के
लिये
इकट्ठे
हो
गए,
अर्थात
तीस
हजार
रथ,
और
छ:
हजार
सवार,
और
समुद्र
के
तीर
की
बालू
के
किनकों
के
समान
बहुत
से
लोग
इकट्ठे
हुए;
और
बेतावेन
के
पूर्व
की
ओर
जा
कर
मिकमाश
में
छावनी
डाली।
6
जब
इस्राएली
पुरूषों
ने
देखा
कि
हम
सकेती
में
पड़े
हैं
(और
सचमुच
लोग
संकट
में
पड़े
थे),
तब
वे
लोग
गुफाओं,
झाड़ियों,
चट्टानों,
गढिय़ों,
और
गढ़हों
में
जा
छिपे।
7
और
कितने
इब्री
यरदन
पार
हो
कर
गाद
और
गिलाद
के
देशों
में
चले
गए;
परन्तु
शाऊल
गिलगाल
ही
में
रहा,
और
सब
लोग
थरथराते
हुए
उसके
पीछे
हो
लिए॥
8
वह
शमूएल
के
ठहराए
हुए
समय,
अर्थात
सात
दिन
तक
बाट
जोहता
रहा;
परन्तु
शमूएल
गिलगाल
में
न
आया,
और
लोग
उसके
पास
से
इधर
उधर
होने
लगे।
9
तब
शाऊल
ने
कहा,
होमबलि
और
मेलबलि
मेरे
पास
लाओ।
तब
उसने
होमबलि
को
चढ़ाया।
10
ज्योंही
वह
होमबलि
को
चढ़ा
चुका,
तो
क्या
देखता
है
कि
शमूएल
आ
पहुंचा;
और
शाऊल
उस
से
मिलने
और
नमस्कार
करने
को
निकला।
11
शमूएल
ने
पूछा,
तू
ने
क्या
किया?
शाऊल
ने
कहा,
जब
मैं
ने
देखा
कि
लोग
मेरे
पास
से
इधर
उधर
हो
चले
हैं,
और
तू
ठहराए
हुए
दिनों
के
भीतर
नहीं
आया,
और
पलिश्ती
मिकपाश
में
इकट्ठे
हुए
हैं,
12
तब
मैं
ने
सोचा
कि
पलिश्ती
गिलगाल
में
मुझ
पर
अभी
आ
पड़ेंगे,
और
मैं
ने
यहोवा
से
बिनती
भी
नहीं
की
है;
सो
मैं
ने
अपनी
इच्छा
न
रहते
भी
होमबलि
चढ़ाया।
13
शमूएल
ने
शाऊल
से
कहा,
तू
ने
मूर्खता
का
काम
किया
है;
तू
ने
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
आज्ञा
को
नहीं
माना;
नहीं
तो
यहोवा
तेरा
राज्य
इस्राएलियों
के
ऊपर
सदा
स्थिर
रखता।
14
परन्तु
अब
तेरा
राज्य
बना
न
रहेगा;
यहोवा
ने
अपने
लिये
एक
ऐसे
पुरूष
को
ढूंढ़
लिया
है
जो
उसके
मन
के
अनुसार
है;
और
यहोवा
ने
उसी
को
अपनी
प्रजा
पर
प्रधान
होने
को
ठहराया
है,
क्योंकि
तू
ने
यहोवा
की
आज्ञा
को
नहीं
माना॥
15
तब
शमूएल
चल
निकला,
और
गिलगाल
से
बिन्यामीन
के
गिबा
को
गया।
और
शाऊल
ने
अपने
साथ
के
लोगों
को
गिनकर
कोई
छ:
सौ
पाए।
16
और
शाऊल
और
उसका
पुत्र
योनातान
और
जो
लोग
उनके
साथ
थे
वे
बिन्यामीन
के
गिबा
में
रहे;
और
पलिश्ती
मिकमाश
में
डेरे
डाले
पड़े
रहे।
17
और
पलिश्तियों
की
छावनी
से
नाश
करने
वाले
तीन
दल
बान्धकर
निकल;
एक
दल
ने
शूआल
नाम
देश
की
ओर
फिर
के
ओप्रा
का
मार्ग
लिया,
18
एक
और
दल
ने
मुड़कर
बेथोरोन
का
मार्ग
लिया,
और
एक
और
दल
ने
मुड़कर
उस
देश
का
मार्ग
लिया
जो
सबोईम
नाम
तराई
की
ओर
जंगल
की
तरफ
है॥
19
और
इस्राएल
के
पूरे
देश
में
लोहार
कहीं
नहीं
मिलता
था,
क्योंकि
पलिश्तियों
ने
कहा
था,
कि
इब्री
तलवार
वा
भाला
बनाने
न
पांए;
20
इसलिये
सब
इस्राएली
अपने
अपने
हल
की
फली,
और
भाले,
और
कुल्हाड़ी,
और
हंसुआ
तेज
करने
के
लिये
पलिश्तियों
के
पास
जाते
थे;
21
परन्तु
उनके
हंसुओं,
फालों,
खेती
के
त्रिशूलों,
और
कुल्हाडिय़ों
की
धारें,
और
पैनों
की
नोकें
ठीक
करने
के
लिये
वे
रेती
रखते
थे।
22
सो
युद्ध
के
दिन
शाऊल
और
योनातान
के
साथियों
में
से
किसी
के
पास
न
तो
तलवार
थी
और
न
भाला,
वे
केवल
शाऊल
और
उसके
पुत्र
योनातान
के
पास
रहे।
23
और
पलिश्तियों
की
चौकी
के
सिपाही
निकलकर
मिकमाश
की
घाटी
को
गए॥
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