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1 शमूएल 16
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1 शमूएल 16:0 (12 11 am)
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1 शमूएल 16
1
और
यहोवा
ने
शमूएल
से
कहा,
मैं
ने
शाऊल
को
इस्राएल
पर
राज्य
करने
के
लिये
तुच्छ
जाना
है,
तू
कब
तक
उसके
विषय
विलाप
करता
रहेगा?
अपने
सींग
में
तेल
भर
के
चल;
मैं
तुझ
को
बेतलेहेमी
यिशै
के
पास
भेजता
हूं,
क्योंकि
मैं
ने
उसके
पुत्रों
में
से
एक
को
राजा
होने
के
लिये
चुना
है।
2
शमूएल
बोला,
मैं
क्योंकर
जा
सकता
हूं?
यदि
शाऊल
सुन
लेगा,
तो
मुझे
घात
करेगा।
यहोवा
ने
कहा,
एक
बछिया
साथ
ले
जा
कर
कहना,
कि
मैं
यहोवा
के
लिये
यज्ञ
करने
को
आया
हूं।
3
और
यज्ञ
पर
यिशै
को
न्योता
देना,
तब
मैं
तुझे
जता
दूंगा
कि
तुझ
को
क्या
करना
है;
और
जिस
को
मैं
तुझे
बताऊं
उसी
को
मेरी
ओर
से
अभिषेक
करना।
4
तब
शमूएल
ने
यहोवा
के
कहने
के
अनुसार
किया,
और
बेतलहेम
को
गया।
उस
नगर
के
पुरनिये
थरथराते
हुए
उस
से
मिलने
को
गए,
और
कहने
लगे,
क्या
तू
मित्रभाव
से
आया
है
कि
नहीं?
5
उसने
कहा,
हां,
मित्रभाव
से
आया
हूं;
मैं
यहोवा
के
लिये
यज्ञ
करने
को
आया
हूं;
तुम
अपने
अपने
को
पवित्र
करके
मेरे
साथ
यज्ञ
में
आओ।
तब
उसने
यिशै
और
उसके
पुत्रों
को
पवित्र
करके
यज्ञ
में
आने
का
न्योता
दिया।
6
जब
वे
आए,
तब
उसने
एलीआब
पर
दृष्टि
करके
सोचा,
कि
निश्चय
जो
यहोवा
के
साम्हने
है
वही
उसका
अभिषिक्त
होगा।
7
परन्तु
यहोवा
ने
शमूएल
से
कहा,
न
तो
उसके
रूप
पर
दृष्टि
कर,
और
न
उसके
डील
की
ऊंचाई
पर,
क्योंकि
मैं
ने
उसे
अयोग्य
जाना
है;
क्योंकि
यहोवा
का
देखना
मनुष्य
का
सा
नहीं
है;
मनुष्य
तो
बाहर
का
रूप
देखता
है,
परन्तु
यहोवा
की
दृष्टि
मन
पर
रहती
है।
8
तब
यिशै
ने
अबीनादाब
को
बुलाकर
शमूएल
के
साम्हने
भेजा।
और
उस
से
कहा,
यहोवा
ने
इस
को
भी
नहीं
चुना।
9
फिर
यिशै
ने
शम्मा
को
साम्हने
भेजा।
और
उसने
कहा,
यहोवा
ने
इस
को
भी
नहीं
चुना।
10
योंही
यिशै
ने
अपने
सात
पुत्रों
को
शमूएल
के
साम्हने
भेजा।
और
शमूएल
यिशै
से
कहता
गया,
यहोवा
ने
इन्हें
नहीं
चुना।
11
तब
शमूएल
ने
यिशै
से
कहा,
क्या
सब
लड़के
आ
गए?
वह
बोला,
नहीं,
लहुरा
तो
रह
गया,
और
वह
भेड़-बकरियों
को
चरा
रहा
है।
शमूएल
ने
यिशै
से
कहा,
उसे
बुलवा
भेज;
क्योंकि
जब
तक
वह
यहां
न
आए
तब
तक
हम
खाने
को
न
बैठेंगे।
12
तब
वह
उसे
बुलाकर
भीतर
ले
आया।
उसके
तो
लाली
झलकती
थी,
और
उसकी
आंखें
सुन्दर,
और
उसका
रूप
सुडौल
था।
तब
यहोवा
ने
कहा,
उठ
कर
इस
का
अभिषेक
कर:
यही
है।
13
तब
शमूएल
ने
अपना
तेल
का
सींग
ले
कर
उसके
भाइयों
के
मध्य
में
उसका
अभिषेक
किया;
और
उस
दिन
से
ले
कर
भविष्य
को
यहोवा
का
आत्मा
दाऊद
पर
बल
से
उतरता
रहा।
तब
शमूएल
उठ
कर
रामा
को
चला
गया॥
14
और
यहोवा
का
आत्मा
शाऊल
पर
से
उठ
गया,
और
यहोवा
की
ओर
से
एक
दुष्ट
आत्मा
उसे
घबराने
लगा।
15
और
शाऊल
के
कर्मचारियों
ने
उस
से
कहा,
सुन,
परमेश्वर
की
ओर
से
एक
दुष्ट
आत्मा
तुझे
घबराता
है।
16
हमारा
प्रभु
अपने
कर्मचारियों
को
जो
उपस्थित
हैं
आज्ञा
दे,
कि
वे
किसी
अच्छे
वीणा
बजाने
वाले
को
ढूंढ़
ले
आएं;
और
जब
जब
परमेश्वर
की
ओर
से
दुष्ट
आत्मा
तुझ
पर
चढ़े,
तब
तब
वह
अपने
हाथ
से
बजाए,
और
तू
अच्छा
हो
जाए।
17
शाऊल
ने
अपने
कर्मचारियों
से
कहा,
अच्छा,
एक
उत्तम
बजवैया
देखो,
और
उसे
मेरे
पास
लाओ।
18
तब
एक
जवान
ने
उत्तर
देके
कहा,
सुन,
मैं
ने
बेतलहमी
यिशै
के
एक
पुत्र
को
देखा
जो
वीणा
बजाना
जानता
है,
और
वह
वीर
योद्धा
भी
है,
और
बात
करने
में
बुद्धिमान
और
रूपवान
भी
है;
और
यहोवा
उसके
साथ
रहता
है।
19
तब
शाऊल
ने
दूतों
के
हाथ
यिशै
के
पास
कहला
भेजा,
कि
अपने
पुत्र
दाऊद
को
जो
भेड़-बकरियों
के
साथ
रहता
है
मेरे
पास
भेज
दे।
20
तब
यिशै
ने
रोटी
से
लदा
हुआ
एक
गदहा,
और
कुप्पा
भर
दाखमधु,
और
बकरी
का
एक
बच्चा
ले
कर
अपने
पुत्र
दाऊद
के
हाथ
से
शाऊल
के
पास
भेज
दिया।
21
और
दाऊद
शाऊल
के
पास
जा
कर
उसके
साम्हने
उपस्थित
रहने
लगा।
और
शाऊल
उस
से
बहुत
प्रीति
करने
लगा,
और
वह
उसका
हथियार
ढोने
वाला
हो
गया।
22
तब
शाऊल
ने
यिशै
के
पास
कहला
भेजा,
कि
दाऊद
को
मेरे
साम्हने
उपस्थित
रहने
दे,
क्योंकि
मैं
उस
से
बहुत
प्रसन्न
हूं।
23
और
जब
जब
परमेश्वर
की
ओर
से
वह
आत्मा
शाऊल
पर
चढ़ता
था,
तब
तब
दाऊद
वीणा
ले
कर
बजाता;
और
शाऊल
चैन
पाकर
अच्छा
हो
जाता
था,
और
वह
दुष्ट
आत्मा
उस
में
से
हट
जाता
था॥
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