पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
व्यवस्थाविवरण

व्यवस्थाविवरण अध्याय 19

सुरक्षा के लिए तीन नगर 1 “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको वह देश दे रहा है जो दूसरे राष्ट्रों का है। यहोवा उन राष्ट्रों को नष्ट करेगा। तुम वहाँ रहोगे जहाँ वे लोग रहते हैं। तुम उनके नगर और घरों को लोगे। जब ऐसा हो, 2 (2-3)तब तुम्हें भूमि को तीन भागों में बाँटना चाहिए। तब तुम्हें हर एक भाग में सभी लोगों के समीप पड़ने वाला नगर उस क्षेत्र में चुनना चाहिए और तुम्हें उन नगरों तक सड़कें बनानी चाहिए तब कोई भी व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को मारता है वहाँ भागकर जा सकता है। 3 4 “जो व्यक्ति किसी को मारता है और सुरक्षा के लिए इन तीन नगरों में से कहीं भागकर पहुँचता है उस व्यक्ति के लिए नियम यह हैः यह व्यक्ति वही हो जो संयोगवश किसी व्यक्ति को मार डाले। यह वही व्यक्ति हो जो मारे गए व्यक्ति से घृणा न करता हो। 5 एक उदाहरण हैः कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ जंगल में लकड़ी काटने जाता है। उस में से एक व्यक्ति लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी को एक पेड़ पर चलता है, किन्तु कुल्हाड़ी दस्ते से निकल जाती है। कुल्हाड़ी दूसरे व्यक्ति को लग जाती है और उसे मार डालती है। वह व्यक्ति, जिसने कुल्हाड़ी चलाई, उन नगरों में भाग सकता है और अपने को सुरक्षित कर सकता है। 6 किन्तु यदि नगर बहुत दूर होगा तो वह काफी तेज भाग नहीं सकेगा। मारे गए व्यक्ति का कोई सम्बन्धी उसका पीछा कर सकता है और नगर में उसके पहुँचने से पहले ही उसे पकड़ सकता है। सम्बन्धी बहुत क्रोधित हो सकता है और उस व्यक्ति की हत्या कर सकता है। किन्तु उस व्यक्ति को प्राण—दण्ड उचित नहीं है। वह उस व्यक्ति से घृणा नहीं करता था जो उसके हाथों मारा गया। 7 इसलिए मैं आदेश देता हूँ कि तीन विशेष नगरों को चुनो। यह नगर सबके लिए बन्द रहेंगे। 8 “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों को यह वचन दिया कि मैं तुम लोगों की सीमा का विस्तार करूँगा। वह तुम लोगों को सारा देश देगा जिसे दिने का वचन उसने तुम्हारे पूर्वजों को दिया। 9 वह यह करेगा, यदि तुम उन आदेशों का पालन पूरी तरह करोगे, जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ अर्थात् यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करोगे और उसके मार्ग पर चलते रहोगे। तब यदि यहोवा तुम्हारे देश को बड़ा बनाता है तो तुम्हें तीन अन्य नगर सुरक्षा के लिए चुनने चाहिए। वे प्रथम तीन नगरों के साथ जोड़े जाने चाहिए। 10 तब निर्दोष लोग उस देश में नहीं मारे जाएंगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें अपना बनाने के लिये दे रहा है और तुम किसी भी मृत्यु के लिये अपराधी नहीं होगे। 11 “किन्तु एक व्यक्ति किसी व्यक्ति से घृणा कर सकता है। वह व्यक्ति उस व्यक्ति को मारने के लिए प्रतीक्षा में छिपा रह सकता है जिसे वह घृणा करता है। वह उस व्यक्ति को मार सकता है और सुरक्षा के लिए चुने इन नगरों में भागकर पहुँच सकता है। 12 यदि ऐसा होता है तो उस व्यक्ति के नगर के बुजुर्ग किसी को उसे पकड़ने और सुरक्षा के नगर से बाहर लाने के लिए भेज सकते हैं। नगर के मुखिया तथा वरिष्ठ व्यक्ति उसे उस सम्बन्धी को देंगे जिसका कर्तव्य उसको दण्ड देना है। हत्यारा अवश्य मारा जाना चाहिए। 13 उसके लिए तुम्हें दुःखी नहीं होना चाहिए। तुम्हें निर्दोष लोगों को मारने के अपराध से इस्राएल को स्वच्छ रखना चाहिए। तब सब कुछ तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा। सीमा चिन्ह 14 15 “तुम्हें अपने पड़ोसी के सीमा—चिन्हों को नहीं हटाना चाहिए। बीते समय में लोग यह सीमा—चिन्ह उस भूमि पर बनाते थे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए देगा और जो तुम्हारी होगी। गवाह 16 “यदि किसी व्यक्ति पर नियम के खिलाप कुछ करने का मुकदमा हो तो एक गवाह इसे प्रमाण करने के लिए काफी नहीं होगा कि वह दोषी है। उसने निचय ही बुरा किया है इसे प्रमाणित करने के लिए दो या तीन गवाह होने चाहिए। “कोई गवाह किसी व्यक्ति को झूठ बोलकर और यह कहकर कि उसने अपराध किया है उसे हानि पहुँचाने की कोशिश कर सकता है। 17 यदि ऐसा होता है तो आपर में वाद करने वाले व्यक्तियों को यहोवा के आवास पर जाना चाहिए और उनके मुकदमे का निर्णय याजकों एवं उस समय के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा होना चाहिए। 18 न्यायाधीशों को सावधानी के साथ प्रश्न पूछने चाहिए। वे पता लगा सकते हैं कि गवाह न दूसरे व्यक्ति के खिलाफ झूठ बोला है। यदि गवाह ने झूठ बोला है तो, 19 तुम्हें उसे दण्ड देना चाहिए। तुम्हें उसे वही हानि पहुँचानी चाहिए जो वह दूसरे व्यक्ति को पहुँचाना चाहता था। इस प्रकार तुम अपने बीच से कोई भी बुरी बात निकाल बाहर कर सकते हो। 20 दूसरे सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे और कोई भी फिर वैसी बुरी बात नहीं करेगा। 21 “तुम उस पर दया—दृष्टि न करना जिसे बुराई के लिए तुम दण्ड देते हो। जीवन के लिये जीवन, आँख के लिये आँख, दाँत के लिये दाँत, हाथ के लिये हाथ और पैर के लिये पैर लिया जाना चाहिए।
1. {#1सुरक्षा के लिए तीन नगर } “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको वह देश दे रहा है जो दूसरे राष्ट्रों का है। यहोवा उन राष्ट्रों को नष्ट करेगा। तुम वहाँ रहोगे जहाँ वे लोग रहते हैं। तुम उनके नगर और घरों को लोगे। जब ऐसा हो, 2. (2-3)तब तुम्हें भूमि को तीन भागों में बाँटना चाहिए। तब तुम्हें हर एक भाग में सभी लोगों के समीप पड़ने वाला नगर उस क्षेत्र में चुनना चाहिए और तुम्हें उन नगरों तक सड़कें बनानी चाहिए तब कोई भी व्यक्ति जो किसी दूसरे व्यक्ति को मारता है वहाँ भागकर जा सकता है। 3. 4. “जो व्यक्ति किसी को मारता है और सुरक्षा के लिए इन तीन नगरों में से कहीं भागकर पहुँचता है उस व्यक्ति के लिए नियम यह हैः यह व्यक्ति वही हो जो संयोगवश किसी व्यक्ति को मार डाले। यह वही व्यक्ति हो जो मारे गए व्यक्ति से घृणा न करता हो। 5. एक उदाहरण हैः कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ जंगल में लकड़ी काटने जाता है। उस में से एक व्यक्ति लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी को एक पेड़ पर चलता है, किन्तु कुल्हाड़ी दस्ते से निकल जाती है। कुल्हाड़ी दूसरे व्यक्ति को लग जाती है और उसे मार डालती है। वह व्यक्ति, जिसने कुल्हाड़ी चलाई, उन नगरों में भाग सकता है और अपने को सुरक्षित कर सकता है। 6. किन्तु यदि नगर बहुत दूर होगा तो वह काफी तेज भाग नहीं सकेगा। मारे गए व्यक्ति का कोई सम्बन्धी उसका पीछा कर सकता है और नगर में उसके पहुँचने से पहले ही उसे पकड़ सकता है। सम्बन्धी बहुत क्रोधित हो सकता है और उस व्यक्ति की हत्या कर सकता है। किन्तु उस व्यक्ति को प्राण—दण्ड उचित नहीं है। वह उस व्यक्ति से घृणा नहीं करता था जो उसके हाथों मारा गया। 7. इसलिए मैं आदेश देता हूँ कि तीन विशेष नगरों को चुनो। यह नगर सबके लिए बन्द रहेंगे। 8. “यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों को यह वचन दिया कि मैं तुम लोगों की सीमा का विस्तार करूँगा। वह तुम लोगों को सारा देश देगा जिसे दिने का वचन उसने तुम्हारे पूर्वजों को दिया। 9. वह यह करेगा, यदि तुम उन आदेशों का पालन पूरी तरह करोगे, जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ अर्थात् यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करोगे और उसके मार्ग पर चलते रहोगे। तब यदि यहोवा तुम्हारे देश को बड़ा बनाता है तो तुम्हें तीन अन्य नगर सुरक्षा के लिए चुनने चाहिए। वे प्रथम तीन नगरों के साथ जोड़े जाने चाहिए। 10. तब निर्दोष लोग उस देश में नहीं मारे जाएंगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें अपना बनाने के लिये दे रहा है और तुम किसी भी मृत्यु के लिये अपराधी नहीं होगे। 11. “किन्तु एक व्यक्ति किसी व्यक्ति से घृणा कर सकता है। वह व्यक्ति उस व्यक्ति को मारने के लिए प्रतीक्षा में छिपा रह सकता है जिसे वह घृणा करता है। वह उस व्यक्ति को मार सकता है और सुरक्षा के लिए चुने इन नगरों में भागकर पहुँच सकता है। 12. यदि ऐसा होता है तो उस व्यक्ति के नगर के बुजुर्ग किसी को उसे पकड़ने और सुरक्षा के नगर से बाहर लाने के लिए भेज सकते हैं। नगर के मुखिया तथा वरिष्ठ व्यक्ति उसे उस सम्बन्धी को देंगे जिसका कर्तव्य उसको दण्ड देना है। हत्यारा अवश्य मारा जाना चाहिए। 13. उसके लिए तुम्हें दुःखी नहीं होना चाहिए। तुम्हें निर्दोष लोगों को मारने के अपराध से इस्राएल को स्वच्छ रखना चाहिए। तब सब कुछ तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा। 14. {#1सीमा चिन्ह } 15. “तुम्हें अपने पड़ोसी के सीमा—चिन्हों को नहीं हटाना चाहिए। बीते समय में लोग यह सीमा—चिन्ह उस भूमि पर बनाते थे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिए देगा और जो तुम्हारी होगी। {#1गवाह } 16. “यदि किसी व्यक्ति पर नियम के खिलाप कुछ करने का मुकदमा हो तो एक गवाह इसे प्रमाण करने के लिए काफी नहीं होगा कि वह दोषी है। उसने निचय ही बुरा किया है इसे प्रमाणित करने के लिए दो या तीन गवाह होने चाहिए। “कोई गवाह किसी व्यक्ति को झूठ बोलकर और यह कहकर कि उसने अपराध किया है उसे हानि पहुँचाने की कोशिश कर सकता है। 17. यदि ऐसा होता है तो आपर में वाद करने वाले व्यक्तियों को यहोवा के आवास पर जाना चाहिए और उनके मुकदमे का निर्णय याजकों एवं उस समय के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा होना चाहिए। 18. न्यायाधीशों को सावधानी के साथ प्रश्न पूछने चाहिए। वे पता लगा सकते हैं कि गवाह न दूसरे व्यक्ति के खिलाफ झूठ बोला है। यदि गवाह ने झूठ बोला है तो, 19. तुम्हें उसे दण्ड देना चाहिए। तुम्हें उसे वही हानि पहुँचानी चाहिए जो वह दूसरे व्यक्ति को पहुँचाना चाहता था। इस प्रकार तुम अपने बीच से कोई भी बुरी बात निकाल बाहर कर सकते हो। 20. दूसरे सभी लोग इसे सुनेंगे और भयभीत होंगे और कोई भी फिर वैसी बुरी बात नहीं करेगा। 21. “तुम उस पर दया—दृष्टि न करना जिसे बुराई के लिए तुम दण्ड देते हो। जीवन के लिये जीवन, आँख के लिये आँख, दाँत के लिये दाँत, हाथ के लिये हाथ और पैर के लिये पैर लिया जाना चाहिए।
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