1. हे परमेश्वर, मेरी विनती की ओर से [QBR2] अपने कान तू मत मूँद! [QBR]
2. दुष्ट जन मेरे विषय में झूठी बातें कर रहे हैं। [QBR2] वे दुष्ट लोग ऐसा कह रहें जो सच नहीं है। [QBR]
3. लोग मेरे विषय में घिनौनी बातें कह रहे हैं। [QBR2] लोग मुझ पर व्यर्थ ही बात कर रहे हैं। [QBR]
4. मैंने उन्हें प्रेम किया, वे मुझसे बैर करते हैं। [QBR2] इसलिए, परमेश्वर अब मैं तुझ से प्रार्थना कर रहा हूँ। [QBR]
5. मैंने उन व्यक्तियों के साथ भला किया था। [QBR2] किन्तु वे मेरे लिये बुरा कर रहे हैं। [QBR] मैंने उन्हें प्रेम किया, [QBR2] किन्तु वे मुझसे बैर रखते हैं।
6. मेरे उस शत्रु ने जो बुरे काम किये हैं उसको दण्ड दे। [QBR2] ऐसा कोई व्यक्ति ढूँढ जो प्रमाणित करे कि वह सही नहीं है। [QBR]
7. न्यायाधीश न्याय करे कि शत्रु ने मेरा बुरा किया है, और मेरे शत्रु जो भी कहे वह अपराधी है [QBR2] और उसकी बातें उसके ही लिये बिगड़ जायें। [QBR]
8. मेरे शत्रु को शीघ्र मर जाने दे। [QBR2] मेरे शत्रु का काम किसी और को लेने दे। [QBR]
9. मेरे शत्रु की सन्तानों को अनाथ कर दे और उसकी पत्नी को तू विधवा कर दे। [QBR]
10. उनका घर उनसे छूट जायें [QBR2] और वे भिखारी हो जायें। [QBR]
11. कुछ मेरे शत्रु का हो उसका लेनदार छीन कर ले जायें। [QBR2] उसके मेहनत का फल अनजाने लोग लूट कर ले जायें। [QBR]
12. मेरी यही कामना है, मेरे शत्रु पर कोई दया न दिखाये, [QBR2] और उसके सन्तानों पर कोई भी व्यक्ति दया नहीं दिखलाये। [QBR]
13. पूरी तरह नष्ट कर दे मेरे शत्रु को। [QBR2] आने वाली पीढ़ी को हर किसी वस्तु से उसका नाम मिटने दे। [QBR]
14. मेरी कामना यह है कि मेरे शत्रु के पिता [QBR2] और माता के पापों को यहोवा सदा ही याद रखे। [QBR]
15. यहोवा सदा ही उन पापों को याद रखे [QBR2] और मुझे आशा है कि वह मेरे शत्रु की याद मिटाने को लोगों को विवश करेगा। [QBR]
16. क्यों क्योंकि उस दुष्ट ने कोई भी अच्छा कर्म कभी भी नहीं किया। [QBR2] उसने किसी को कभी भी प्रेम नहीं किया। [QBR2] उसने दीनों असहायों का जीना कठिन कर दिया। [QBR]
17. उस दुष्ट लोगों को शाप देना भाता था। [QBR2] सो वही शाप उस पर लौट कर गिर जाये। [QBR] उस बुरे व्यक्ति ने कभी आशीष न दी कि लोगों के लिये कोई भी अच्छी बात घटे। [QBR2] सो उसके साथ कोई भी भली बात मत होने दे। [QBR]
18. वह शाप को वस्त्रों सा ओढ़ लें। [QBR2] शाप ही उसके लिये पानी बन जाये [QBR] वह जिसको पीता रहे। [QBR2] शाप ही उसके शरीर पर तेल बनें। [QBR]
19. शाप ही उस दुष्ट जन का वस्त्र बने जिनको वह लपेटे, [QBR2] और शाप ही उसके लिये कमर बन्द बने।
20. मुझको यह आशा है कि यहोवा मेरे शत्रु के साथ इन सभी बातों को करेगा। [QBR2] मुझको यह आशा है कि यहोवा इन सभी बातों को उनके साथ करेगा जो मेरी हत्या का जतन कर रहे है। [QBR]
21. यहोवा तू मेरा स्वामी है। सो मेरे संग वैसा बर्ताव कर जिससे तेरे नाम का यश बढ़े। [QBR2] तेरी करूणा महान है, सो मेरी रक्षा कर। [QBR]
22. मैं बस एक दीन, असहाय जन हूँ। [QBR2] मैं सचमुच दु:खी हूँ। मेरा मन टूट चुका है। [QBR]
23. मुझे ऐसा लग रहा जैसे मेरा जीवन साँझ के समय की लम्बी छाया की भाँति बीत चुका है। [QBR2] मुझे ऐसा लग रहा जैसे किसी खटमल को किसी ने बाहर किया। [QBR]
24. क्योंकि मैं भूखा हूँ इसलिए मेरे घुटने दुर्बल हो गये हैं। [QBR2] मेरा भार घटता ही जा रहा है, और मैं सूखता जा रहा हूँ। [QBR]
25. बुरे लोग मुझको अपमानित करते। [QBR2] वे मुझको घूरते और अपना सिर मटकाते हैं।। [QBR]
26. यहोवा मेरा परमेश्वर, मुझको सहारा दे! [QBR2] अपना सच्चा प्रेम दिखा और मुझको बचा ले! [QBR]
27. फिर वे लोग जान जायेंगे कि तूने ही मुझे बचाया है। [QBR2] उनको पता चल जायेगा कि वह तेरी शक्ति थी जिसने मुझको सहारा दिया। [QBR]
28. वे लोग मुझे शाप देते रहे। किन्तु यहोवा मुझको आशीर्वाद दे सकता है। [QBR2] उन्होंने मुझ पर वार किया, सो उनको हरा दे। [QBR2] तब मैं, तेरा दास, प्रसन्न हो जाऊँगा। [QBR]
29. मेरे शत्रुओं को अपमानित कर! [QBR2] वे अपने लाज से ऐसे ढक जायें जैसे परिधान का आवरण ढक लेता। [QBR]
30. मैं यहोवा का धन्यवाद करता हूँ। [QBR2] बहुत लोगों के सामने मैं उसके गुण गाता हूँ। [QBR]
31. क्यों? क्योंकि यहोवा असहाय लोगों का साथ देता है। [QBR2] परमेश्वर उनको दूसरे लोगों से बचाता है, जो प्राणदण्ड दिलवाकर उनके प्राण हरने का यत्न करते हैं। [PE]