पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
भजन संहिता
1. {#3पहला भाग [BR]भजन 1—41 }{परमेश्‍वर की व्यवस्था में सच्चा सुख } [QS]क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर* नहीं चलता, [QE][QS]और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; [QE][QS]और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है! [QE]
2. [QS]परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता; [QE][QS]और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है। [QE]
3. [QS]वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है* [QE][QS]और अपनी ऋतु में फलता है, [QE][QS]और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। [QE][QS]और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है। [QE]
4. [QS]दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, [QE][QS]वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। [QE]
5. [QS]इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, [QE][QS]और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; [QE]
6. [QS]क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, [QE][QS]परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा। [QE]
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पहला भाग
भजन 1—41

1 {परमेश्‍वर की व्यवस्था में सच्चा सुख } क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर* नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है! 2 परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है। 3 वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है* और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है। 4 दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 5 इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 6 क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।
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