1. यहोवा का धन्यवाद करो, [QBR] क्योंकि वह भला है, [QBR] और उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
2. जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
3. जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
4. उसको छोड़कर कोई बड़े-बड़े आश्चर्यकर्म नहीं करता, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
5. उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
6. उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
7. उसने बड़ी-बड़ी ज्योतियाँ बनाईं, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
8. दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
9. और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
10. उसने मिस्रियों के पहलौठों को मारा, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
11. और उनके बीच से इस्राएलियों को निकाला, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
12. बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से निकाल लाया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
13. उसने लाल समुद्र को विभाजित कर दिया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
14. और इस्राएल को उसके बीच से पार कर दिया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है; [QBR]
15. और फ़िरौन को उसकी सेना समेत लाल समुद्र में डाल दिया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
16. वह अपनी प्रजा को जंगल में ले चला, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
17. उसने बड़े-बड़े राजा मारे, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
18. उसने प्रतापी राजाओं को भी मारा, [QBR] उसकी करुणा सदा की है' [QBR]
19. एमोरियों के राजा सीहोन को, [QBR] उसकी करुणा सदा की है; [QBR]
20. और बाशान के राजा ओग को घात किया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
21. और उनके देश को भाग होने के लिये, [QBR] उसकी करुणा सदा की है; [QBR]
22. अपने दास इस्राएलियों के भाग होने के लिये दे दिया, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
23. उसने हमारी दुर्दशा में हमारी सुधि ली*, [QBR] उसकी करुणा सदा की है; [QBR]
24. और हमको द्रोहियों से छुड़ाया है, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
25. वह सब प्राणियों को आहार देता है*, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [QBR]
26. स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद करो, [QBR] उसकी करुणा सदा की है। [PE]