1. {अन्याय के खिलाफ प्रार्थना} PS हे मनुष्यों, क्या तुम सचमुच धर्म की बात बोलते हो?
और हे मनुष्य वंशियों क्या तुम सिधाई से न्याय करते हो? |
6. हे परमेश्वर, उनके मुँह में से दाँतों को तोड़ दे;
हे यहोवा, उन जवान सिंहों की दाढ़ों को उखाड़ डाल! |
8. वे घोंघे के समान हो जाएँ जो घुलकर नाश हो जाता है,
और स्त्री के गिरे हुए गर्भ के समान हो जिस ने सूरज को देखा ही नहीं। |
9. इससे पहले कि तुम्हारी हाँड़ियों में काँटों की आँच लगे,
हरे व जले, दोनों को वह बवण्डर से उड़ा ले जाएगा। |
11. तब मनुष्य कहने लगेंगे, निश्चय धर्मी के लिये फल है;
निश्चय परमेश्वर है, जो पृथ्वी पर न्याय करता है। PE |