पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
नीतिवचन
HOV
25. धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं॥

ERVHI
25. धर्मी जन, मन से खाते और पूर्ण तृप्त होते हैं किन्तु दुष्ट का पेट तो कभी नहीं भरता है।

IRVHI
25. धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं।



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  • धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं॥
  • ERVHI

    धर्मी जन, मन से खाते और पूर्ण तृप्त होते हैं किन्तु दुष्ट का पेट तो कभी नहीं भरता है।
  • IRVHI

    धर्मी पेट भर खाने पाता है, परन्तु दुष्ट भूखे ही रहते हैं।
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