HOV
6. बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जय जयकार करता है।
ERVHI
6. पापी स्वयं अपने जाल में फंसता है। किन्तु एक धर्मी गाता और प्रसन्न होता है।
IRVHI
6. बुरे मनुष्य का अपराध उसके लिए फंदा होता है, परन्तु धर्मी आनन्दित होकर जयजयकार करता है।
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