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मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
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गलातियों
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तीतुस
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यशायाह 57:4
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यहोशू
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रूत
1 शमूएल
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योना
मीका
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सपन्याह
हाग्गै
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मलाकी
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लूका
यूहन्ना
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यशायाह 57:4 (07 19 am)
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यशायाह 57:4
1
धर्मी
जन
नाश
होता
है,
और
कोई
इस
बात
की
चिन्ता
नहीं
करता;
भक्त
मनुष्य
उठा
लिए
जाते
हैं,
परन्तु
कोई
नहीं
सोचता।
धर्मी
जन
इसलिये
उठा
लिया
गया
कि
आने
वाली
आपत्ति
से
बच
जाए,
2
वह
शान्ति
को
पहुंचता
है;
जो
सीधी
चाल
चलता
है
वह
अपनी
खाट
पर
विश्राम
करता
है॥
3
परन्तु
तुम,
हे
जादूगरनी
के
पुत्रों,
हे
व्यभिचारी
और
व्यभिचारिणी
की
सन्तान,
यहां
निकट
आओ।
4
तुम
किस
पर
हंसी
करते
हो?
तुम
किस
पर
मुंह
खोल
कर
जीभ
निकालते
हो?
क्या
तुम
पाखण्डी
और
झूठे
के
वंश
नहीं
हो,
5
तुम,
जो
सब
हरे
वृक्षों
के
तले
देवताओं
के
कारण
कामातुर
होते
और
नालों
में
और
चट्टानों
की
दरारों
के
बीच
बाल-बच्चों
को
वध
करते
हो?
6
नालों
के
चिकने
पत्थर
ही
तेरा
भाग
और
अंश
ठहरे;
तू
ने
उनके
लिये
तपावन
दिया
और
अन्नबलि
चढ़ाया
है।
क्या
मैं
इन
बातों
से
शान्त
हो
जाऊं?
7
एक
बड़े
ऊंचे
पहाड़
पर
तू
ने
अपना
बिछौना
बिछाया
है,
वहीं
तू
बलि
चढ़ाने
को
चढ़
गई।
8
तू
ने
अपनी
चिन्हानी
अपने
द्वार
के
किवाड़
और
चौखट
की
आड़
ही
में
रखी;
मुझे
छोड़
कर
तू
औरों
को
अपने
तईं
दिखाने
के
लिये
चली,
तू
ने
अपनी
खाट
चौड़ी
की
और
उन
से
वाचा
बान्ध
ली,
तू
ने
उनकी
खाट
को
जहां
देखा,
पसन्द
किया।
9
तू
तेल
लिए
हुए
राजा
के
पास
गई
और
बहुत
सुगन्धित
तेल
अपने
काम
में
लाई;
अपने
दूत
तू
ने
दूर
तक
भेजे
और
अधोलोक
तक
अपने
को
नीचा
किया।
10
तू
अपनी
यात्रा
की
लम्बाई
के
कारण
थक
गई,
तौभी
तू
ने
न
कहा
कि
यह
व्यर्थ
है;
तेरा
बल
कुछ
अधिक
हो
गया,
इसी
कारण
तू
नहीं
थकी॥
11
तू
ने
किस
के
डर
से
झूठ
कहा,
और
किसका
भय
मानकर
ऐसा
किया
कि
मुझ
को
स्मरण
नहीं
रखा
न
मुझ
पर
ध्यान
दिया?
क्या
मैं
बहुत
काल
से
चुप
नहीं
रहा?
इस
कारण
तू
मेरा
भय
नहीं
मानती।
12
मैं
आप
तेरे
धर्म
और
कर्मों
का
वर्णन
करूंगा,
परन्तु,
उन
से
तुझे
कुछ
लाभ
न
होगा।
13
जब
तू
दोहाई
दे,
तब
जिन
मूर्तियों
को
तू
ने
जमा
किया
है
वह
ही
तुझे
छुड़ाएं!
वे
तो
सब
की
सब
वायु
से
वरन
एक
ही
फूंक
से
उड़
जाएंगी।
परन्तु
जो
मेरी
शरण
लेगा
वह
देश
का
अधिकारी
होगा,
और
मेरे
पवित्र
पर्वत
को
भी
अधिकारी
होगा॥
14
और
यह
कहा
जाएगा,
पांति
बान्ध
बान्धकर
राजमार्ग
बनाओ,
मेरी
प्रजा
के
मार्ग
में
से
हर
एक
ठोकर
दूर
करो।
15
क्योंकि
जो
महान
और
उत्तम
और
सदैव
स्थिर
रहता,
और
जिसका
नाम
पवित्र
है,
वह
यों
कहता
है,
मैं
ऊंचे
पर
और
पवित्र
स्थान
में
निवास
करता
हूं,
और
उसके
संग
भी
रहता
हूं,
जो
खेदित
और
नम्र
हैं,
कि,
नम्र
लोगों
के
हृदय
और
खेदित
लोगों
के
मन
को
हषिर्त
करूं।
16
मैं
सदा
मुकद्दमा
न
लड़ता
रहूंगा,
न
सर्वदा
क्रोधित
रहूंगा;
क्योंकि
आत्मा
मेरे
बनाए
हुए
हैं
और
जीव
मेरे
साम्हने
मूच्छिर्त
हो
जाते
हैं।
17
उसके
लोभ
के
पाप
के
कारण
मैं
ने
क्रोधित
हो
कर
उसको
दु:ख
दिया
था,
और
क्रोध
के
मारे
उस
से
मुंह
छिपाया
था;
परन्तु
वह
अपने
मनमाने
मार्ग
में
दूर
भटकता
चला
गया
था।
18
मैं
उसकी
चाल
देखता
आया
हूं,
तौभी
अब
उसको
चंगा
करूंगा;
मैं
उसे
ले
चलूंगा
और
विशेष
कर
के
उसके
शोक
करने
वालों
को
शान्ति
दूंगा।
19
मैं
मुंह
के
फल
का
सृजनहार
हूं;
यहोवा
ने
कहा
है,
जो
दूर
और
जो
निकट
हैं,
दोनों
को
पूरी
शान्ति
मिले;
और
मैं
उसको
चंगा
करूंगा।
20
परन्तु
दुष्ट
तो
लहराते
समुद्र
के
समान
है
जो
स्थिर
नहीं
रह
सकता;
और
उसका
जल
मैल
और
कीच
उछालता
है।
21
दुष्टों
के
लिये
शान्ति
नहीं
है,
मेरे
परमेश्वर
का
यही
वचन
है॥
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