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यहेजकेल
दानिय्येल
होशे
योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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यहेजकेल 18:32
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यहोशू
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
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रोमियो
1 कुरिन्थियों
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1 थिस्सलुनीकियों
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यहेजकेल 18:32 (06 24 am)
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यहेजकेल 18:32
1
फिर
यहोवा
का
यह
वचन
मेरे
पास
पहुंचा,
2
तुम
लोग
जो
इस्राएल
के
देश
के
विषय
में
यह
कहावत
कहते
हो,
कि
जंगली
अंगूर
तो
पुरखा
लोग
खाते,
परन्तु
दांत
खट्टे
होते
हैं
लड़के-बालों
के।
इसका
क्या
अर्थ
है?
3
प्रभु
यहोवा
यों
कहता
है
कि
मेरे
जीवन
की
शपथ,
तुम
को
इस्राएल
में
फिर
यह
कहावत
कहने
का
अवसर
न
मिलेगा।
4
देखो,
सभों
के
प्राण
तो
मेरे
हैं;
जैसा
पिता
का
प्राण,
वैसा
ही
पुत्र
का
भी
प्राण
है;
दोनों
मेरे
ही
हैं।
इसलिये
जो
प्राणी
पाप
करे
वही
मर
जाएगा।
5
जो
कोई
धमीं
हो,
और
न्याय
और
धर्म
के
काम
करे,
6
और
न
तो
पहाड़ों
पर
भोजन
किया
हो,
न
इस्राएल
के
घराने
की
मूरतों
की
ओर
आंखें
उठाई
हों;
न
पराई
स्त्री
को
बिगाड़ा
हो,
और
न
ऋतुमती
के
पास
गया
हो,
7
और
न
किसी
पर
अन्धेर
किया
हो
वरन
ऋणी
को
उसकी
बन्धक
फेर
दी
हो,
न
किसी
को
लूटा
हो,
वरन
भूखे
को
अपनी
रोटी
दी
हो
और
नंगे
को
कपड़ा
ओढ़ाया
हो,
8
न
ब्याज
पर
रुपया
दिया
हो,
न
रुपए
की
बढ़ती
ली
हो,
और
अपना
हाथ
कुटिल
काम
से
रोका
हो,
मनुष्य
के
बीच
सच्चाई
से
न्याय
किया
हो,
9
और
मेरी
विधियों
पर
चलता
और
मेरे
नियमों
को
मानता
हुआ
सच्चाई
से
काम
किया
हो,
ऐसा
मनुष्य
धमीं
है,
वह
निश्चय
जीवित
रहेगा,
प्रभु
यहोवा
की
यही
वाणी
है।
10
परन्तु
यदि
उसका
पुत्र
डाकू,
हत्यारा,
वा
ऊपर
कहे
हुए
पापों
में
से
किसी
का
करने
वाला
हो,
11
और
ऊपर
कहे
हुए
उचित
कामों
का
करने
वाला
न
हो,
और
पहाड़ों
पर
भोजन
किया
हो,
पराई
स्त्री
को
बिगाड़ा
हो,
12
दीन
दरिद्र
पर
अन्धेर
किया
हो,
औरों
को
लूटा
हो,
बन्धक
न
फेर
दी
हो,
मूरतों
की
ओर
आंख
उठाई
हो,
घृणित
काम
किया
हो,
13
ब्याज
पर
रुपया
दिया
हो,
और
बढ़ती
ली
हो,
तो
क्या
वह
जीवित
रहेगा?
वह
जीवित
न
रहेगा;
इसलिये
कि
उसने
ये
सब
घिनौने
काम
किए
हैं
वह
निश्चय
मरेगा
और
उसका
खून
उसी
के
सिर
पड़ेगा।
14
फिर
यदि
ऐसे
मनुष्य
के
पुत्र
हों
और
वह
अपने
पिता
के
ये
सब
पाप
देखकर
भय
के
मारे
उनके
समान
न
करता
हो।
15
अर्थात
न
तो
पहाड़ों
पर
भोजन
किया
हो,
न
इस्राएल
के
घराने
की
मूरतों
की
ओर
आंख
उठाई
हो,
न
पराई
स्त्री
को
बिगाड़ा
हो,
16
न
किसी
पर
अन्धेर
किया
हो,
न
कुछ
बन्धक
लिया
हो,
न
किसी
को
लूटा
हो,
वरन
अपनी
रोटी
भूखे
को
दी
हो,
नंगे
को
कपड़ा
ओढ़ाया
हो,
17
दीन
जन
की
हानि
करने
से
हाथ
रोका
हो,
ब्याज
और
बढ़ती
न
ली
हो,
मेरे
नियमों
को
माना
हो,
और
मेरी
विधियों
पर
चला
हो,
तो
वह
अपने
पिता
के
अधर्म
के
कारण
न
मरेगा,
वरन
जीवित
ही
रहेगा।
18
उसका
पिता,
जिसने
अन्धेर
किया
और
लूटा,
और
अपने
भाइयों
के
बीच
अनुचित
काम
किया
है,
वही
अपने
अधर्म
के
कारण
मर
जाएगा।
19
तौभी
तुम
लोग
कहते
हो,
क्यों?
क्या
पुत्र
पिता
के
अधर्म
का
भार
नहीं
उठाता?
जब
पुत्र
ने
न्याय
और
धर्म
के
काम
किए
हों,
और
मेरी
सब
विधियों
का
पालन
कर
उन
पर
चला
हो,
तो
वह
जीवित
ही
रहेगा।
20
जो
प्राणी
पाप
करे
वही
मरेगा,
न
तो
पुत्र
पिता
के
अधर्म
का
भार
उठाएगा
और
न
पिता
पुत्र
का;
धमीं
को
अपने
ही
धर्म
का
फल,
और
दुष्ट
को
अपनी
ही
दुष्टता
का
फल
मिलेगा।
21
परन्तु
यदि
दुष्ट
जन
अपने
सब
पापों
से
फिर
कर,
मेरी
सब
विधियों
का
पालन
करे
और
न्याय
और
धर्म
के
काम
करे,
तो
वह
न
मरेगा;
वरन
जीवित
ही
रहेगा।
22
उसने
जितने
अपराध
किए
हों,
उन
में
से
किसी
का
स्मरण
उसके
विरुद्ध
न
किया
जाएगा;
जो
धर्म
का
काम
उसने
किया
हो,
उसके
कारण
वह
जीवित
रहेगा।
23
प्रभु
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
क्या
मैं
दुष्ट
के
मरने
से
कुछ
भी
प्रसन्न
होता
हूँ?
क्या
मैं
इस
से
प्रसन्न
नहीं
होता
कि
वह
अपने
मार्ग
से
फिरकर
जीवित
रहे?
24
परन्तु
जब
धमीं
अपने
धर्म
से
फिरकर
टेढ़े
काम,
वरन
दुष्ट
के
सब
घृणित
कामों
के
अनुसार
करने
लगे,
तो
क्या
वह
जीवित
रहेगा?
जितने
धर्म
के
काम
उसने
किए
हों,
उन
में
से
किसी
का
स्मरण
न
किया
जाएगा।
जो
विश्वासघात
और
पाप
उसने
किया
हो,
उसके
कारण
वह
मर
जाएगा।
25
तौभी
तुम
लोग
कहते
हो,
कि
प्रभु
की
गति
एकसी
नहीं।
हे
इस्राएल
के
घराने,
देख,
क्या
मेरी
गति
एकसी
नहीं?
क्या
तुम्हारी
ही
गति
अनुचित
नहीं
है?
26
जब
धमीं
अपने
धर्म
से
फिर
कर,
टेढ़े
काम
करने
लगे,
तो
वह
उनके
कारण
मरेगा,
अर्थात
वह
अपने
टेढ़े
काम
ही
के
कारण
मर
जाएगा।
27
फिर
जब
दुष्ट
अपने
दुष्ट
कामों
से
फिर
कर,
न्याय
और
धर्म
के
काम
करने
लगे,
तो
वह
अपना
प्राण
बचाएगा।
28
वह
जो
सोच
विचार
कर
अपने
सब
अपराधों
से
फिरा,
इस
कारण
न
मरेगा,
जीवित
ही
रहेगा।
29
तौभी
इस्राएल
का
घराना
कहता
है
कि
प्रभु
की
गति
एकसी
नहीं।
हे
इस्राएल
के
घराने,
क्या
मेरी
गति
एकसी
नहीं?
क्या
तुम्हारी
ही
गति
अनुचित
नहीं?
30
प्रभु
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
हे
इस्राएल
के
घराने,
मैं
तुम
में
से
हर
एक
मनुष्य
का
न्याय
उसकी
चालचलन
के
अनुसार
ही
करूंगा।
पश्चात्ताप
करो
और
अपने
सब
अपराधों
को
छोड़ो,
तभी
तुम्हारा
अधर्म
तुम्हारे
ठोकर
खाने
का
कारण
न
होगा।
31
अपने
सब
अपराधों
को
जो
तुम
ने
किए
हैं,
दूर
करो;
अपना
मन
और
अपनी
आत्मा
बदल
डालो!
हे
इस्राएल
के
घराने,
तुम
क्यों
मरो?
32
क्योंकि,
प्रभु
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
जो
मरे,
उसके
मरने
से
मैं
प्रसन्न
नहीं
होता,
इसलिये
पश्चात्ताप
करो,
तभी
तुम
जीवित
रहोगे।
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