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ओबद्दाह
योना
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हाग्गै
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नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
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3 यूहन्ना
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मरकुस 12:22
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मरकुस 12:22 (05 52 pm)
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मरकुस 12:22
1
फिर
वह
दृष्टान्त
में
उन
से
बातें
करने
लगा:
कि
किसी
मनुष्य
ने
दाख
की
बारी
लगाई,
और
उसके
चारों
ओर
बाड़ा
बान्धा,
और
रस
का
कुंड
खोदा,
और
गुम्मट
बनाया;
और
किसानों
को
उसका
ठेका
देकर
पर
देश
चला
गया।
2
फिर
फल
के
मौसम
में
उस
ने
किसानों
के
पास
एक
दास
को
भेजा
कि
किसान
से
दाख
की
बारी
के
फलों
का
भाग
ले।
3
पर
उन्होंने
उसे
पकड़कर
पीटा
और
छूछे
हाथ
लौटा
दिया।
4
फिर
उस
ने
एक
और
दास
को
उन
के
पास
भेजा
और
उन्होंने
उसका
सिर
फोड़
डाला
और
उसका
अपमान
किया।
5
फिर
उस
ने
एक
और
को
भेजा,
और
उन्होंने
उसे
मार
डाला:
तब
उस
ने
और
बहुतों
को
भेजा:
उन
में
से
उन्होंने
कितनों
को
पीटा,
और
कितनों
को
मार
डाला।
6
अब
एक
ही
रह
गया
था,
जो
उसका
प्रिय
पुत्र
था;
अन्त
में
उस
ने
उसे
भी
उन
के
पास
यह
सोचकर
भेजा
कि
वे
मेरे
पुत्र
का
आदर
करेंगे।
7
पर
उन
किसानों
ने
आपस
में
कहा;
यही
तो
वारिस
है;
आओ,
हम
उसे
मार
डालें,
तब
मीरास
हमारी
हो
जाएगी।
8
और
उन्होंने
उसे
पकड़कर
मार
डाला,
और
दाख
की
बारी
के
बाहर
फेंक
दिया।
9
इसलिये
दाख
की
बारी
का
स्वामी
क्या
करेगा?
वह
आकर
उन
किसानों
को
नाश
करेगा,
और
दाख
की
बारी
औरों
को
दे
देगा।
10
क्या
तुम
ने
पवित्र
शास्त्र
में
यह
वचन
नहीं
पढ़ा,
कि
जिस
पत्थर
को
राजमिस्त्रयों
ने
निकम्मा
ठहराया
था,
वही
को
ने
का
सिरा
हो
गया?
11
यह
प्रभु
की
ओर
से
हुआ,
और
हमारी
दृष्टि
मे
अद्भुत
है।
12
तब
उन्होंने
उसे
पकड़ना
चाहा;
क्योंकि
समझ
गए
थे,
कि
उस
ने
हमारे
विरोध
में
यह
दृष्टान्त
कहा
है:
पर
वे
लोगों
से
डरे;
और
उसे
छोड़
कर
चले
गए॥
13
तब
उन्होंने
उसे
बातों
में
फंसाने
के
लिये
कई
एक
फरीसियों
और
हेरोदियों
को
उसके
पास
भेजा।
14
और
उन्होंने
आकर
उस
से
कहा;
हे
गुरू,
हम
जानते
हैं,
कि
तू
सच्चा
है,
और
किसी
की
परवाह
नहीं
करता;
क्योंकि
तू
मनुष्यों
का
मुंह
देख
कर
बातें
नहीं
करता,
परन्तु
परमेश्वर
का
मार्ग
सच्चाई
से
बताता
है।
15
तो
क्या
कैसर
को
कर
देना
उचित
है,
कि
नहीं?
हम
दें,
या
न
दें?
उस
ने
उन
का
कपट
जानकर
उन
से
कहा;
मुझे
क्यों
पर
खते
हो?
एक
दीनार
मेरे
पास
लाओ,
कि
मैं
देखूं।
16
वे
ले
आए,
और
उस
ने
उन
से
कहा;
यह
मूर्ति
और
नाम
किस
का
है?
उन्होंने
कहा,
कैसर
का।
17
यीशु
ने
उन
से
कहा;
जो
कैसर
का
है
वह
कैसर
को,
और
जो
परमेश्वर
का
है
परमेश्वर
को
दो:
तब
वे
उस
पर
बहुत
अचम्भा
करने
लगे॥
18
फिर
सदूकियों
ने
भी,
जो
कहते
हैं
कि
मरे
हुओं
का
जी
उठना
है
ही
नहीं,
उसके
पास
आकर
उस
से
पूछा।
19
कि
हे
गुरू,
मूसा
ने
हमारे
लिये
लिखा
है,
कि
यदि
किसी
का
भाई
बिना
सन्तान
मर
जाए,
और
उस
की
पत्नी
रह
जाए,
तो
उसका
भाई
उस
की
पत्नी
को
ब्याह
ले
और
अपने
भाई
के
लिये
वंश
उत्पन्न
करे:
सात
भाई
थे।
20
पहिला
भाई
ब्याह
करके
बिना
सन्तान
मर
गया।
21
तब
दूसरे
भाई
ने
उस
स्त्री
को
ब्याह
लिया
और
बिना
सन्तान
मर
गया;
और
वैसे
ही
तीसरे
ने
भी।
22
और
सातों
से
सन्तान
न
हुई:
सब
के
पीछे
वह
स्त्री
भी
मर
गई।
23
सो
जी
उठने
पर
वह
उन
में
से
किस
की
पत्नी
होगी?
क्योंकि
वह
सातों
की
पत्नी
हो
चुकी
थी।
24
यीशु
ने
उन
से
कहा;
क्या
तुम
इस
कारण
से
भूल
में
नहीं
पड़े
हो,
कि
तुम
न
तो
पवित्र
शास्त्र
ही
को
जानते
हो,
और
न
परमेश्वर
की
सामर्थ
को।
25
क्योंकि
जब
वे
मरे
हुओं
में
से
जी
उठेंगे,
तो
उन
में
ब्याह
शादी
न
होगी;
पर
स्वर्ग
में
दूतों
की
नाईं
होंगे।
26
मरे
हुओं
के
जी
उठने
के
विषय
में
क्या
तुम
ने
मूसा
की
पुस्तक
में
झाड़ी
की
कथा
में
नहीं
पढ़ा,
कि
परमेश्वर
ने
उस
से
कहा,
मैं
इब्राहीम
का
परमेश्वर,
और
इसहाक
का
परमेश्वर,
और
याकूब
का
परमेश्वर
हूं?
27
परमेश्वर
मरे
हुओं
का
नहीं,
वरन
जीवतों
का
परमेश्वर
है:
सो
तुम
बड़ी
भूल
में
पड़े
हो॥
28
और
शास्त्रियों
में
से
एक
ने
आकर
उन्हें
विवाद
करते
सुना,
और
यह
जानकर
कि
उस
ने
उन्हें
अच्छी
रीति
से
उत्तर
दिया;
उस
से
पूछा,
सब
से
मुख्य
आज्ञा
कौन
सी
है?
29
यीशु
ने
उसे
उत्तर
दिया,
सब
आज्ञाओं
में
से
यह
मुख्य
है;
हे
इस्राएल
सुन;
प्रभु
हमारा
परमेश्वर
एक
ही
प्रभु
है।
30
और
तू
प्रभु
अपने
परमेश्वर
से
अपने
सारे
मन
से
और
अपने
सारे
प्राण
से,
और
अपनी
सारी
बुद्धि
से,
और
अपनी
सारी
शक्ति
से
प्रेम
रखना।
31
और
दूसरी
यह
है,
कि
तू
अपने
पड़ोसी
से
अपने
समान
प्रेम
रखना:
इस
से
बड़ी
और
कोई
आज्ञा
नहीं।
32
शास्त्री
ने
उस
से
कहा;
हे
गुरू,
बहुत
ठीक!
तू
ने
सच
कहा,
कि
वह
एक
ही
है,
और
उसे
छोड़
और
कोई
नहीं।
33
और
उस
से
सारे
मन
और
सारी
बुद्धि
और
सारे
प्राण
और
सारी
शक्ति
के
साथ
प्रेम
रखना
और
पड़ोसी
से
अपने
समान
प्रेम
रखना,
सारे
होमों
और
बलिदानों
से
बढ़कर
है।
34
जब
यीशु
ने
देखा
कि
उस
ने
समझ
से
उत्तर
दिया,
तो
उस
से
कहा;
तू
परमेश्वर
के
राज्य
से
दूर
नहीं:
और
किसी
को
फिर
उस
से
कुछ
पूछने
का
साहस
न
हुआ॥
35
फिर
यीशु
ने
मन्दिर
में
उपदेश
करते
हुए
यह
कहा,
कि
शास्त्री
क्योंकर
कहते
हैं,
कि
मसीह
दाऊद
का
पुत्र
है?
36
दाऊद
ने
आप
ही
पवित्र
आत्मा
में
होकर
कहा
है,
कि
प्रभु
ने
मेरे
प्रभु
से
कहा;
मेरे
दाहिने
बैठ,
जब
तक
कि
मैं
तेरे
बैरियों
को
तेरे
पांवों
की
पीढ़ी
न
कर
दूं।
37
दाऊद
तो
आप
ही
उसे
प्रभु
कहता
है,
फिर
वह
उसका
पुत्र
कहां
से
ठहरा?
और
भीड़
के
लोग
उस
की
आनन्द
से
सुनते
थे॥
38
उस
ने
अपने
उपदेश
में
उन
से
कहा,
शस्त्रियों
से
चौकस
रहो,
जो
लम्बे
वस्त्र
पहिने
हुए
फिरना।
39
और
बाजारों
में
नमस्कार,
और
आराधनालयों
में
मुख्य
मुख्य
आसन
और
जेवनारों
में
मुख्य
मुख्य
स्थान
भी
चाहते
हैं।
40
वे
विधवाओं
के
घरों
को
खा
जाते
हैं,
और
दिखाने
के
लिये
बड़ी
देर
तक
प्रार्थना
करते
रहते
हैं,
ये
अधिक
दण्ड
पाएंगे॥
41
और
वह
मन्दिर
के
भण्डार
के
साम्हने
बैठकर
देख
रहा
था,
कि
लोग
मन्दिर
के
भण्डार
में
किस
प्रकार
पैसे
डालते
हैं,
और
बहुत
धनवानों
ने
बहुत
कुछ
डाला।
42
इतने
में
एक
कंगाल
विधवा
ने
आकर
दो
दमडिय़ां,
जो
एक
अधेले
के
बराबर
होती
है,
डालीं।
43
तब
उस
ने
अपने
चेलों
को
पास
बुलाकर
उन
से
कहा;
मैं
तुम
से
सच
कहता
हूं,
कि
मन्दिर
के
भण्डार
में
डालने
वालों
में
से
इस
कंगाल
विधवा
ने
सब
से
बढ़कर
डाला
है।
44
क्योंकि
सब
ने
अपने
धन
की
बढ़ती
में
से
डाला
है,
परन्तु
इस
ने
अपनी
घटी
में
से
जो
कुछ
उसका
था,
अर्थात
अपनी
सारी
जीविका
डाल
दी
है।
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