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योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
1 पतरस
2 पतरस
1 यूहन्ना
2 यूहन्ना
3 यूहन्ना
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मरकुस 13:1
उत्पत्ति
निर्गमन
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गिनती
व्यवस्थाविवरण
यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
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योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
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मलाकी
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
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कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
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याकूब
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मरकुस 13:1 (12 48 am)
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मरकुस 13:1
1
जब
वह
मन्दिर
से
निकल
रहा
था,
तो
उसके
चेलों
में
से
एक
ने
उस
से
कहा;
हे
गुरू,
देख,
कैसे
कैसे
पत्थर
और
कैसे
कैसे
भवन
हैं!
2
यीशु
ने
उस
से
कहा;
क्या
तुम
ये
बड़े
बड़े
भवन
देखते
हो:
यहां
पत्थर
पर
पत्थर
भी
बचा
न
रहेगा
जो
ढाया
न
जाएगा॥
3
जब
वह
जैतून
के
पहाड़
पर
मन्दिर
के
साम्हने
बैठा
था,
तो
पतरस
और
याकूब
और
यूहन्ना
और
अन्द्रियास
ने
अलग
जाकर
उस
से
पूछा।
4
कि
हमें
बता
कि
ये
बातें
कब
होंगी
और
जब
ये
सब
बातें
पूरी
होने
पर
होंगी
उस
समय
का
क्या
चिन्ह
होगा?
5
यीशु
उन
से
कहने
लगा;
चौकस
रहो
कि
कोई
तुम्हें
न
भरमाए।
6
बहुतेरे
मेरे
नाम
से
आकर
कहेंगे,
कि
मैं
वही
हूं
और
बहुतों
को
भरमाएंगे।
7
और
जब
तुम
लड़ाइयां,
और
लड़ाइयों
की
चर्चा
सुनो;
तो
न
घबराना:
क्योंकि
इन
का
होना
अवश्य
है;
परन्तु
उस
समय
अन्त
न
होगा।
8
क्योंकि
जाति
पर
जाति,
और
राज्य
पर
राज्य
चढ़ाई
करेगा,
और
हर
कहीं
भूईंडोल
होंगे,
और
अकाल
पड़ेंगे;
यह
तो
पीड़ाओं
का
आरम्भ
ही
होगा॥
9
परन्तु
तुम
अपने
विषय
में
चौकस
रहो;
क्योंकि
लोग
तुम्हें
महासभाओं
में
सौंपेंगे
और
तुम
पंचायतों
में
पीटे
जाओगे;
और
मेरे
कारण
हाकिमों
और
राजाओं
के
आगे
खड़े
किए
जाओगे,
ताकि
उन
के
लिये
गवाही
हो।
10
पर
अवश्य
है
कि
पहिले
सुसमाचार
सब
जातियों
में
प्रचार
किया
जाए।
11
जब
वे
तुम्हें
ले
जाकर
सौंपेंगे,
तो
पहिले
से
चिन्ता
न
करना,
कि
हम
क्या
कहेंगे;
पर
जो
कुछ
तुम्हें
उसी
घड़ी
बताया
जाए,
वही
कहना;
क्योंकि
बोलने
वाले
तुम
नहीं
हो,
परन्तु
पवित्र
आत्मा
है।
12
और
भाई
को
भाई,
और
पिता
को
पुत्र
घात
के
लिये
सौंपेंगे,
और
लड़केबाले
माता-पिता
के
विरोध
में
उठकर
उन्हें
मरवा
डालेंगे।
13
और
मेरे
नाम
के
कारण
सब
लोग
तुम
से
बैर
करेंगे;
पर
जो
अन्त
तक
धीरज
धरे
रहेगा,
उसी
का
उद्धार
होगा॥
14
सो
जब
तुम
उस
उजाड़ने
वाली
घृणित
वस्तु
को
जहां
उचित
नहीं
वहां
खड़ी
देखो,
(पढ़नेवाला
समझ
ले)
तब
जो
यहूदिया
में
हों,
वे
पहाड़ों
पर
भाग
जाएं।
15
जो
कोठे
पर
हो,
वह
अपने
घर
से
कुछ
लेने
को
नीचे
न
उतरे
और
न
भीतर
जाए।
16
और
जो
खेत
में
हो,
वह
अपना
कपड़ा
लेने
के
लिये
पीछे
न
लौटे।
17
उन
दिनों
में
जो
गर्भवती
और
दूध
पिलाती
होंगी,
उन
के
लिये
हाय
हाय!
18
और
प्रार्थना
किया
करो
कि
यह
जाड़े
में
न
हो।
19
क्योंकि
वे
दिन
ऐसे
क्लेश
के
होंगे,
कि
सृष्टि
के
आरम्भ
से
जो
परमेश्वर
ने
सृजी
है
अब
तक
न
तो
हुए,
और
न
कभी
फिर
होंगे।
20
और
यदि
प्रभु
उन
दिनों
को
न
घटाता,
तो
कोई
प्राणी
भी
न
बचता;
परन्तु
उन
चुने
हुओं
के
कारण
जिन
को
उस
ने
चुना
है,
उन
दिनों
को
घटाया।
21
उस
समय
यदि
कोई
तुम
से
कहे;
देखो,
मसीह
यहां
है,
या
देखो,
वहां
है,
तो
प्रतीति
न
करना।
22
क्योंकि
झूठे
मसीह
और
झूठे
भविष्यद्वक्ता
उठ
खड़े
होंगे,
और
चिन्ह
और
अद्भुत
काम
दिखाएंगे
कि
यदि
हो
सके
तो
चुने
हुओं
को
भी
भरमा
दें।
23
पर
तुम
चौकस
रहो:
देखो,
मैं
ने
तुम्हें
सब
बातें
पहिले
ही
से
कह
दी
हैं।
24
उन
दिनों
में,
उस
क्लेश
के
बाद
सूरज
अन्धेरा
हो
जाएगा,
और
चान्द
प्रकाश
न
देगा।
25
और
आकाश
से
तारागण
गिरने
लगेंगे:
और
आकाश
की
शक्तियां
हिलाई
जाएंगेी।
26
तब
लोग
मनुष्य
के
पुत्र
को
बड़ी
सामर्थ
और
महिमा
के
साथ
बादलों
में
आते
देखेंगे।
27
उस
समय
वह
अपने
दूतों
को
भेजकर,
पृथ्वी
के
इस
छोर
से
आकाश
की
उस
छोर
तक
चारों
दिशा
से
अपने
चुने
हुए
लोगों
को
इकट्ठे
करेगा।
28
अंजीर
के
पेड़
से
यह
दृष्टान्त
सीखो:
जब
उस
की
डाली
को
मल
हो
जाती;
और
पत्ते
निकलने
लगते
हैं;
तो
तुम
जान
लेते
हो,
कि
ग्रीष्मकाल
निकट
है।
29
इसी
रीति
से
जब
तुम
इन
बातों
को
होते
देखो,
तो
जान
लो,
कि
वह
निकट
है
वरन
द्वार
ही
पर
है।
30
मैं
तुम
से
सच
कहता
हूं,
कि
जब
तक
ये
सब
बातें
न
हो
लेंगी,
तब
तक
यह
पीढ़ी
जाती
न
रहेगी।
31
आकाश
और
पृथ्वी
टल
जाएंगे,
परन्तु
मेरी
बातें
कभी
न
टलेंगी।
32
उस
दिन
या
उस
घड़ी
के
विषय
में
कोई
नहीं
जानता,
न
स्वर्ग
के
दूत
और
न
पुत्र;
परन्तु
केवल
पिता।
33
देखो,
जागते
और
प्रार्थना
करते
रहो;
क्योंकि
तुम
नहीं
जानते
कि
वह
समय
कब
आएगा।
34
यह
उस
मनुष्य
की
सी
दशा
है,
जो
परदेश
जाते
समय
अपना
घर
छोड़
जाए,
और
अपने
दासों
को
अधिकार
दे:
और
हर
एक
को
उसका
काम
जता
दे,
और
द्वारपाल
को
जागते
रहने
की
आज्ञा
दे।
35
इसलिये
जागते
रहो;
क्योंकि
तुम
नहीं
जानते
कि
घर
का
स्वामी
कब
आएगा,
सांझ
को
या
आधी
रात
को,
या
मुर्ग
के
बांग
देने
के
समय
या
भोर
को।
36
ऐसा
न
हो
कि
वह
अचानक
आकर
तुम्हें
सोते
पाए।
37
और
जो
मैं
तुम
से
कहता
हूं,
वही
सब
से
कहता
हूं,
जागते
रहो॥
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