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मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
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1 थिस्सलुनीकियों
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तीतुस
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रोमियो 3:23
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न्यायियों
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1 शमूएल
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मीका
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1 कुरिन्थियों
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रोमियो 3:23 (05 57 pm)
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रोमियो 3:23
1
सो
यहूदी
की
क्या
बड़ाई,
या
खतने
का
क्या
लाभ?
2
हर
प्रकार
से
बहुत
कुछ।
पहिले
तो
यह
कि
परमेश्वर
के
वचन
उन
को
सौंपे
गए।
3
यदि
कितने
विश्वसघाती
निकले
भी
तो
क्या
हुआ?
क्या
उनके
विश्वासघाती
होने
से
परमेश्वर
की
सच्चाई
व्यर्थ
ठहरेगी?
4
कदापि
नहीं,
वरन
परमेश्वर
सच्चा
और
हर
एक
मनुष्य
झूठा
ठहरे,
जैसा
लिखा
है,
कि
जिस
से
तू
अपनी
बातों
में
धर्मी
ठहरे
और
न्याय
करते
समय
तू
जय
पाए।
5
सो
यदि
हमारा
अधर्म
परमेश्वर
की
धामिर्कता
ठहरा
देता
है,
तो
हम
क्या
कहें
?क्या
यह
कि
परमेश्वर
जो
क्रोध
करता
है
अन्यायी
है?
यह
तो
मैं
मनुष्य
की
रीति
पर
कहता
हूं।
6
कदापि
नहीं,
नहीं
तो
परमेश्वर
क्योंकर
जगत
का
न्याय
करेगा?
7
यदि
मेरे
झूठ
के
कारण
परमेश्वर
की
सच्चाई
उस
को
महिमा
के
लिये
अधिक
करके
प्रगट
हुई,
तो
फिर
क्यों
पापी
की
नाईं
मैं
दण्ड
के
योग्य
ठहराया
जाता
हूं?
8
और
हम
क्यों
बुराई
न
करें,
कि
भलाई
निकले
जब
हम
पर
यही
दोष
लगाया
भी
जाता
है,
और
कितने
कहते
हैं
कि
इन
का
यही
कहना
है:
परन्तु
ऐसों
का
दोषी
ठहराना
ठीक
है॥
9
तो
फिर
क्या
हुआ?
क्या
हम
उन
से
अच्छे
हैं?
कभी
नहीं;
क्योंकि
हम
यहूदियों
और
यूनानियों
दोनों
पर
यह
दोष
लगा
चुके
हैं
कि
वे
सब
के
सब
पाप
के
वश
में
हैं।
10
जैसा
लिखा
है,
कि
कोई
धर्मी
नहीं,
एक
भी
नहीं।
11
कोई
समझदार
नहीं,
कोई
परमेश्वर
का
खोजने
वाला
नहीं।
12
सब
भटक
गए
हैं,
सब
के
सब
निकम्मे
बन
गए,
कोई
भलाई
करने
वाला
नहीं,
एक
भी
नहीं।
13
उन
का
गला
खुली
हुई
कब्र
है:
उन्होंने
अपनी
जीभों
से
छल
किया
है:
उन
के
होठों
में
सापों
का
विष
है।
14
और
उन
का
मुंह
श्राप
और
कड़वाहट
से
भरा
है।
15
उन
के
पांव
लोहू
बहाने
को
फुर्तीले
हैं।
16
उन
के
मार्गों
में
नाश
और
क्लेश
हैं।
17
उन्होंने
कुशल
का
मार्ग
नहीं
जाना।
18
उन
की
आंखों
के
साम्हने
परमेश्वर
का
भय
नहीं।
19
हम
जानते
हैं,
कि
व्यवस्था
जो
कुछ
कहती
है
उन्हीं
से
कहती
है,
जो
व्यवस्था
के
आधीन
हैं:
इसलिये
कि
हर
एक
मुंह
बन्द
किया
जाए,
और
सारा
संसार
परमेश्वर
के
दण्ड
के
योग्य
ठहरे।
20
क्योंकि
व्यवस्था
के
कामों
से
कोई
प्राणी
उसके
साम्हने
धर्मी
नहीं
ठहरेगा,
इसलिये
कि
व्यवस्था
के
द्वारा
पाप
की
पहिचान
होती
है।
21
पर
अब
बिना
व्यवस्था
परमेश्वर
की
वह
धामिर्कता
प्रगट
हुई
है,
जिस
की
गवाही
व्यवस्था
और
भविष्यद्वक्ता
देते
हैं।
22
अर्थात
परमेश्वर
की
वह
धामिर्कता,
जो
यीशु
मसीह
पर
विश्वास
करने
से
सब
विश्वास
करने
वालों
के
लिये
है;
क्योंकि
कुछ
भेद
नहीं।
23
इसलिये
कि
सब
ने
पाप
किया
है
और
परमेश्वर
की
महिमा
से
रहित
हैं।
24
परन्तु
उसके
अनुग्रह
से
उस
छुटकारे
के
द्वारा
जो
मसीह
यीशु
में
है,
सेंत
मेंत
धर्मी
ठहराए
जाते
हैं।
25
उसे
परमेश्वर
ने
उसके
लोहू
के
कारण
एक
ऐसा
प्रायश्चित्त
ठहराया,
जो
विश्वास
करने
से
कार्यकारी
होता
है,
कि
जो
पाप
पहिले
किए
गए,
और
जिन
की
परमेश्वर
ने
अपनी
सहनशीलता
से
आनाकानी
की;
उन
के
विषय
में
वह
अपनी
धामिर्कता
प्रगट
करे।
26
वरन
इसी
समय
उस
की
धामिर्कता
प्रगट
हो;
कि
जिस
से
वह
आप
ही
धर्मी
ठहरे,
और
जो
यीशु
पर
विश्वास
करे,
उसका
भी
धर्मी
ठहराने
वाला
हो।
27
तो
घमण्ड
करना
कहां
रहा
उस
की
तो
जगह
ही
नहीं:
कौन
सी
व्यवस्था
के
कारण
से?
क्या
कर्मों
की
व्यवस्था
से?
नहीं,
वरन
विश्वास
की
व्यवस्था
के
कारण।
28
इसलिये
हम
इस
परिणाम
पर
पहुंचते
हैं,
कि
मनुष्य
व्यवस्था
के
कामों
के
बिना
विश्वास
के
द्वारा
धर्मी
ठहरता
है।
29
क्या
परमेश्वर
केवल
यहूदियों
ही
का
है?
क्या
अन्यजातियों
का
नहीं?
हां,
अन्यजातियों
का
भी
है।
30
क्योंकि
एक
ही
परमेश्वर
है,
जो
खतना
वालों
को
विश्वास
से
और
खतना
रहितों
को
भी
विश्वास
के
द्वारा
धर्मी
ठहराएगा।
31
तो
क्या
हम
व्यवस्था
को
विश्वास
के
द्वारा
व्यर्थ
ठहराते
हैं?
कदापि
नहीं;
वरन
व्यवस्था
को
स्थिर
करते
हैं॥
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