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आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
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1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
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2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
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याकूब 2:16
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यहोशू
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याकूब 2:16 (07 35 am)
हमारे बारे में
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याकूब 2:16
1
हे
मेरे
भाइयों,
हमारे
महिमायुक्त
प्रभु
यीशु
मसीह
का
विश्वास
तुम
में
पक्षपात
के
साथ
न
हो।
2
क्योंकि
यदि
एक
पुरूष
सोने
के
छल्ले
और
सुन्दर
वस्त्र
पहिने
हुए
तुम्हारी
सभा
में
आए
और
एक
कंगाल
भी
मैले
कुचैले
कपड़े
पहिने
हुए
आए।
3
और
तुम
उस
सुन्दर
वस्त्र
वाले
का
मुंह
देख
कर
कहो
कि
तू
वहां
अच्छी
जगह
बैठ;
और
उस
कंगाल
से
कहो,
कि
तू
यहां
खड़ा
रह,
या
मेरे
पांव
की
पीढ़ी
के
पास
बैठ।
4
तो
क्या
तुम
ने
आपस
में
भेद
भाव
न
किया
और
कुविचार
से
न्याय
करने
वाले
न
ठहरे?
5
हे
मेरे
प्रिय
भाइयों
सुनो;
क्या
परमेश्वर
ने
इस
जगत
के
कंगालों
को
नहीं
चुना
कि
विश्वास
में
धनी,
और
उस
राज्य
के
अधिकारी
हों,
जिस
की
प्रतिज्ञा
उस
ने
उन
से
की
है
जो
उस
से
प्रेम
रखते
हैं
6
पर
तुम
ने
उस
कंगाल
का
अपमान
किया:
क्या
धनी
लोग
तुम
पर
अत्याचार
नहीं
करते?
और
क्या
वे
ही
तुम्हें
कचहिरयों
में
घसीट
घसीट
कर
नहीं
ले
जाते?
7
क्या
वे
उस
उत्तम
नाम
की
निन्दा
नहीं
करते
जिस
के
तुम
कहलाए
जाते
हो?
8
तौभी
यदि
तुम
पवित्र
शास्त्र
के
इस
वचन
के
अनुसार,
कि
तू
अपने
पड़ोसी
से
अपने
समान
प्रेम
रख,
सचमुच
उस
राज
व्यवस्था
को
पूरी
करते
हो,
तो
अच्छा
ही
करते
हो।
9
पर
यदि
तुम
पक्षपात
करते
हो,
तो
पाप
करते
हो;
और
व्यवस्था
तुम्हें
अपराधी
ठहराती
है।
10
क्योंकि
जो
कोई
सारी
व्यवस्था
का
पालन
करता
है
परन्तु
एक
ही
बात
में
चूक
जाए
तो
वह
सब
बातों
में
दोषी
ठहरा।
11
इसलिये
कि
जिस
ने
यह
कहा,
कि
तू
व्यभिचार
न
करना
उसी
ने
यह
भी
कहा,
कि
तू
हत्या
न
करना
इसलिये
यदि
तू
ने
व्यभिचार
तो
नहीं
किया,
पर
हत्या
की
तौभी
तू
व्यवस्था
का
उलंघन
करने
वाला
ठहरा।
12
तुम
उन
लोगों
की
नाईं
वचन
बोलो,
और
काम
भी
करो,
जिन
का
न्याय
स्वतंत्रता
की
व्यवस्था
के
अनुसार
होगा।
13
क्योंकि
जिस
ने
दया
नहीं
की,
उसका
न्याय
बिना
दया
के
होगा:
दया
न्याय
पर
जयवन्त
होती
है॥
14
हे
मेरे
भाइयों,
यदि
कोई
कहे
कि
मुझे
विश्वास
है
पर
वह
कर्म
न
करता
हो,
तो
उस
से
क्या
लाभ?
क्या
ऐसा
विश्वास
कभी
उसका
उद्धार
कर
सकता
है?
15
यदि
कोई
भाई
या
बहिन
नगें
उघाड़े
हों,
और
उन्हें
प्रति
दिन
भोजन
की
घटी
हो।
16
और
तुम
में
से
कोई
उन
से
कहे,
कुशल
से
जाओ,
तुम
गरम
रहो
और
तृप्त
रहो;
पर
जो
वस्तुएं
देह
के
लिये
आवश्यक
हैं
वह
उन्हें
न
दे,
तो
क्या
लाभ?
17
वैसे
ही
विश्वास
भी,
यदि
कर्म
सहित
न
हो
तो
अपने
स्वभाव
में
मरा
हुआ
है।
18
वरन
कोई
कह
सकता
है
कि
तुझे
विश्वास
है,
और
मैं
कर्म
करता
हूं:
तू
अपना
विश्वास
मुझे
कर्म
बिना
तो
दिखा;
और
मैं
अपना
विश्वास
अपने
कर्मों
के
द्वारा
तुझे
दिखाऊंगा।
19
तुझे
विश्वास
है
कि
एक
ही
परमेश्वर
है:
तू
अच्छा
करता
है:
दुष्टात्मा
भी
विश्वास
रखते,
और
थरथराते
हैं।
20
पर
हे
निकम्मे
मनुष्य
क्या
तू
यह
भी
नहीं
जानता,
कि
कर्म
बिना
विश्वास
व्यर्थ
है?
21
जब
हमारे
पिता
इब्राहीम
ने
अपने
पुत्र
इसहाक
को
वेदी
पर
चढ़ाया,
तो
क्या
वह
कर्मों
से
धामिर्क
न
ठहरा
था?
22
सो
तू
ने
देख
लिया
कि
विश्वास
ने
उस
के
कामों
के
साथ
मिल
कर
प्रभाव
डाला
है
और
कर्मों
से
विश्वास
सिद्ध
हुआ।
23
और
पवित्र
शास्त्र
का
यह
वचन
पूरा
हुआ,
कि
इब्राहीम
ने
परमेश्वर
की
प्रतीति
की,
और
यह
उसके
लिये
धर्म
गिना
गया,
और
वह
परमेश्वर
का
मित्र
कहलाया।
24
सो
तुम
ने
देख
लिया
कि
मनुष्य
केवल
विश्वास
से
ही
नहीं,
वरन
कर्मों
से
भी
धर्मी
ठहरता
है।
25
वैसे
ही
राहाब
वेश्या
भी
जब
उस
ने
दूतों
को
अपने
घर
में
उतारा,
और
दूसरे
मार्ग
से
विदा
किया,
तो
क्या
कर्मों
से
धामिर्क
न
ठहरी?
26
निदान,
जैसे
देह
आत्मा
बिना
मरी
हुई
है
वैसा
ही
विश्वास
भी
कर्म
बिना
मरा
हुआ
है॥
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