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निर्गमन 36:28
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यहोशू
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निर्गमन 36:28
1
और
बसलेल
और
ओहोलीआब
और
सब
बुद्धिमान
जिन
को
यहोवा
ने
ऐसी
बुद्धि
और
समझ
दी
हो,
कि
वे
यहोवा
की
सारी
आज्ञाओं
के
अनुसार
पवित्रस्थान
की
सेवकाई
के
लिये
सब
प्रकार
का
काम
करना
जानें,
वे
सब
यह
काम
करें॥
2
तब
मूसा
ने
बसलेल
और
ओहोलीआब
और
सब
बुद्धिमानों
को
जिनके
हृदय
में
यहोवा
ने
बुद्धि
का
प्रकाश
दिया
था,
अर्थात
जिस
जिस
को
पास
आकर
काम
करने
का
उत्साह
हुआ
था
उन
सभों
को
बुलवाया।
3
और
इस्त्राएली
जो
जो
भेंट
पवित्रस्थान
की
सेवकाई
के
काम
और
उसके
बनाने
के
लिये
ले
आए
थे,
उन्हें
उन
पुरूषों
ने
मूसा
के
हाथ
से
ले
लिया।
तब
भी
लोग
प्रति
भोर
को
उसके
पास
भेंट
अपनी
इच्छा
से
लाते
रहें;
4
और
जितने
बुद्धिमान
पवित्रस्थान
का
काम
करते
थे
वे
सब
अपना
अपना
काम
छोड़कर
मूसा
के
पास
आए,
5
और
कहने
लगे,
जिस
काम
के
करने
की
आज्ञा
यहोवा
ने
दी
है
उसके
लिये
जितना
चाहिये
उससे
अधिक
वे
ले
आए
हैं।
6
तब
मूसा
ने
सारी
छावनी
में
इस
आज्ञा
का
प्रचार
करवाया,
कि
क्या
पुरूष,
क्या
स्त्री,
कोई
पवित्रस्थान
के
लिये
और
भेंट
न
लाए,
इस
प्रकार
लोग
और
भेंट
लाने
से
रोके
गए।
7
क्योंकि
सब
काम
बनाने
के
लिये
जितना
सामान
आवश्यक
था
उतना
वरन
उससे
अधिक
बनाने
वालों
के
पास
आ
चुका
था॥
8
और
काम
करने
वाले
जितने
बुद्धिमान
थे
उन्होंने
निवास
के
लिये
बटी
हुई
सूक्ष्म
सनी
के
कपड़े
के,
और
नीले,
बैंजनी
और
लाल
रंग
के
कपड़े
के
दस
पटों
को
काढ़े
हुए
करूबों
सहित
बनाया।
9
एक
एक
पट
की
लम्बाई
अट्ठाईस
हाथ
और
चौड़ाई
चार
हाथ
की
हुई;
सब
पट
एक
ही
नाप
के
बने।
10
उसने
पांच
पट
एक
दूसरे
से
जोड़
दिए,
और
फिर
दूसरे
पांच
पट
भी
एक
दूसरे
से
जोड़
दिए।
11
और
जहां
ये
पट
जोड़े
गए
वहां
की
दोनों
छोरों
पर
उसने
पीली
नीली
फलियां
लगाईं।
12
उसने
दोनों
छोरों
में
पचास
पचास
फलियां
इस
प्रकार
लगाई
कि
वे
आम्हने-साम्हने
हुई।
13
और
उसने
सोने
की
पचास
घुंडियां
बनाईं,
और
उनके
द्वारा
पटों
को
एक
दूसरे
से
ऐसा
जोड़ा
कि
निवास
मिलकर
एक
हो
गया।
14
फिर
निवास
के
ऊपर
के
तम्बू
के
लिये
उसने
बकरी
के
बाल
के
ग्यारह
पट
बनाए।
15
एक
एक
पट
की
लम्बाई
तीस
हाथ
और
चौड़ाई
चार
हाथ
की
हुई;
और
ग्यारहों
पट
एक
ही
नाप
के
थे।
16
इन
में
से
उसने
पांच
पट
अलग
और
छ:
पट
अलग
जोड़
दिए।
17
और
जहां
दोनों
जोड़े
गए
वहां
की
छोरों
में
उसने
पचास
पचास
फलियां
लगाईं।
18
और
उसने
तम्बू
के
जोड़ने
के
लिये
पीतल
की
पचास
घुंडियां
भी
बनाईं
जिस
से
वह
एक
हो
जाए।
19
और
उसने
तम्बू
के
लिये
लाल
रंग
से
रंगी
हुई
मेंढ़ों
की
खालों
का
एक
ओढ़ना
और
उसके
ऊपर
के
लिये
सूइसों
की
खालों
का
भी
एक
ओढ़ना
बनाया।
20
फिर
उसने
निवास
के
लिये
बबूल
की
लकड़ी
के
तख्तों
को
खड़े
रहने
के
लिये
बनाया।
21
एक
एक
तख्ते
की
लम्बाई
दस
हाथ
और
चौड़ाई
डेढ़
हाथ
की
हुई।
22
एक
एक
तख्ते
में
एक
दूसरी
से
जोड़ी
हुई
दो
दो
चूलें
बनीं,
निवास
के
सब
तख्तों
के
लिये
उसने
इसी
भांति
बनाईं।
23
और
उसने
निवास
के
लिये
तख्तों
को
इस
रीति
से
बनाया,
कि
दक्खिन
की
ओर
बीस
तख्ते
लगे।
24
और
इन
बीसों
तख्तों
के
नीचे
चांदी
की
चालीस
कुसिर्यां,
अर्थात
एक
एक
तख्ते
के
नीचे
उसकी
दो
चूलों
के
लिये
उसने
दो
कुसिर्यां
बनाईं।
25
और
निवास
की
दूसरी
अलंग,
अर्थात
उत्तर
की
ओर
के
लिये
भी
उसने
बीस
तख्ते
बनाए।
26
और
इनके
लिये
भी
उसने
चांदी
की
चालीस
कुसिर्यां,
अर्थात
एक
एक
तख्ते
के
नीचे
दो
दो
कुसिर्यां
बनाईं।
27
और
निवास
की
पिछली
अलंग,
अर्थात
पश्चिम
ओर
के
लिये
उसने
छ:
तख्ते
बनाए।
28
और
पिछली
अलंग
में
निवास
के
कोनों
के
लिये
उसने
दो
तख्ते
बनाए।
29
और
वे
नीचे
से
दो
दो
भाग
के
बने,
और
दोनों
भाग
ऊपर
से
सिरे
तक
उन
दोनों
तख्तों
का
ढब
ऐसा
ही
बनाया।
30
इस
प्रकार
आठ
तख्ते
हुए,
और
उनकी
चांदी
की
सोलह
कुसिर्यां
हुईं,
अर्थात
एक
एक
तख्ते
के
नीचे
दो
दो
कुसिर्यां
हुईं।
31
फिर
उसने
बबूल
की
लकड़ी
के
बेंड़े
बनाए,
अर्थात
निवास
की
एक
अलंग
के
तख्तों
के
लिये
पांच
बेंड़े,
32
और
निवास
की
दूसरी
अलंग
के
तख्तों
के
लिये
पांच
बेंड़े,
और
निवास
की
जो
अलंग
पश्चिम
ओर
पिछले
भाग
में
थी
उसके
लिये
भी
पांच
बेंड़े,
बनाए।
33
और
उसने
बीच
वाले
बेंड़े
को
तख्तों
के
मध्य
में
तम्बू
के
एक
सिरे
से
दूसरे
सिरे
तक
पहुंचने
के
लिये
बनाया।
34
और
तख्तों
को
उसने
सोने
से
मढ़ा,
और
बेंड़ों
के
घर
को
काम
देने
वाले
कड़ों
को
सोने
के
बनाया,
और
बेंड़ों
को
भी
सोने
से
मढ़ा॥
35
फिर
उसने
नीले,
बैंजनी
और
लाल
रंग
के
कपड़े
का,
और
बटी
हुई
सूक्ष्म
सनी
वाले
कपड़े
का
बीचवाला
पर्दा
बनाया;
वह
कढ़ाई
के
काम
किये
हुए
करूबों
के
साथ
बना।
36
और
उसने
उसके
लिये
बबूल
के
चार
खम्भे
बनाए,
और
उन
को
सोने
से
मढ़ा;
उनकी
घुंडियां
सोने
की
बनी,
और
उसने
उनके
लिये
चांदी
की
चार
कुसिर्यां
ढालीं।
37
और
उसने
तम्बू
के
द्वार
के
लिये
नीले,
बैंजनी
और
लाल
रंग
के
कपड़े
का,
और
बटी
हुई
सूक्ष्म
सनी
के
कपड़े
का
कढ़ाई
का
काम
किया
हुआ
पर्दा
बनाया।
38
और
उसने
घुंडियों
समेत
उसके
पांच
खम्भे
भी
बनाए,
और
उनके
सिरों
और
जोड़ने
की
छड़ों
को
सोने
से
मढ़ा,
और
उनकी
पांच
कुसिर्यां
पीतल
की
बनाईं॥
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