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योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
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हाग्गै
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
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1 कुरिन्थियों
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गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
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1 थिस्सलुनीकियों
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1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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लैव्यवस्था 27:1
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योना
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2 तीमुथियुस
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2 यूहन्ना
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लैव्यवस्था 27:1 (07 20 pm)
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लैव्यवस्था 27:1
1
फिर
यहोवा
ने
मूसा
से
कहा,
2
इस्त्राएलियों
से
यह
कह,
कि
जब
कोई
विशेष
संकल्प
माने,
तो
संकल्प
किए
हुए
प्राणी
तेरे
ठहराने
के
अनुसार
यहोवा
के
होंगे;
3
इसलिये
यदि
वह
बीस
वर्ष
वा
उससे
अधिक
और
साठ
वर्ष
से
कम
अवस्था
का
पुरूष
हो,
तो
उसके
लिये
पवित्रस्थान
के
शेकेल
के
अनुसार
पचास
शेकेल
का
रूपया
ठहरे।
4
और
यदि
वह
स्त्री
हो,
तो
तीस
शेकेल
ठहरे।
5
फिर
यदि
उसकी
अवस्था
पांच
वर्ष
वा
उससे
अधिक
और
बीस
वर्ष
से
कम
की
हो,
तो
लड़के
के
लिये
तो
बीस
शेकेल,
और
लड़की
के
लिये
दस
शेकेल
ठहरे।
6
और
यदि
उसकी
अवस्था
एक
महीने
वा
उससे
अधिक
और
पांच
वर्ष
से
कम
की
हो,
तो
लड़के
के
लिये
तो
पांच,
और
लड़की
के
लिये
तीन
शेकेल
ठहरें।
7
फिर
यदि
उसकी
अवस्था
साठ
वर्ष
की
वा
उससे
अधिक
हो,
और
वह
पुरूष
हो
तो
उसके
लिये
पंद्रह
शेकेल,
और
स्त्री
हो
तो
दस
शेकेल
ठहरे।
8
परन्तु
यदि
कोई
इतना
कंगाल
हो
कि
याजक
का
ठहराया
हुआ
दाम
न
दे
सके,
तो
वह
याजक
के
साम्हने
खड़ा
किया
जाए,
और
याजक
उसकी
पूंजी
ठहराए,
अर्थात
जितना
संकल्प
करने
वाले
से
हो
सके,
याजक
उसी
के
अनुसार
ठहराए॥
9
फिर
जिन
पशुओं
में
से
लोग
यहोवा
को
चढ़ावा
चढ़ाते
है,
यदि
ऐसों
में
से
कोई
संकल्प
किया
जाए,
तो
जो
पशु
कोई
यहोवा
को
दे
वह
पवित्र
ठहरेगा।
10
वह
उसे
किसी
प्रकार
से
न
बदले,
न
तो
वह
बुरे
की
सन्ती
अच्छा,
और
न
अच्छे
की
सन्ती
बुरा
दे;
और
यदि
वह
उस
पशु
की
सन्ती
दूसरा
पशु
दे,
तो
वह
और
उसका
बदला
दोनों
पवित्र
ठहरेंगे।
11
और
जिन
पशुओं
में
से
लोग
यहोवा
के
लिये
चढ़ावा
नहीं
चढ़ाते
ऐसों
में
से
यदि
वह
हो,
तो
वह
उसको
याजक
के
साम्हने
खड़ा
कर
दे,
12
तब
याजक
पशु
के
गुण
अवगुण
दोनों
विचार
कर
उसका
मोल
ठहराए;
और
जितना
याजक
ठहराए
उसका
मोल
उतना
ही
ठहरे।
13
और
यदि
संकल्प
करने
वाला
उसे
किसी
प्रकार
से
छुड़ाना
चाहे,
तो
जो
मोल
याजक
ने
ठहराया
हो
उस
में
उसका
पांचवां
भाग
और
बढ़ाकर
दे॥
14
फिर
यदि
कोई
अपना
घर
यहोवा
के
लिये
पवित्र
ठहराकर
संकल्प
करे,
तो
याजक
उसके
गुण-अवगुण
दोनों
विचार
कर
उसका
मोल
ठहराए;
और
जितना
याजक
ठहराए
उसका
मोल
उतना
ही
ठहरे।
15
और
यदि
घर
का
पवित्र
करनेवाला
उसे
छुड़ाना
चाहे,
तो
जितना
रूपया
याजक
ने
उसका
मोल
ठहराया
हो
उस
में
वह
पांचवां
भाग
और
बढ़ाकर
दे,
तब
वह
घर
उसी
का
रहेगा॥
16
फिर
यदि
कोई
अपनी
निज
भूमि
का
कोई
भाग
यहोवा
के
लिये
पवित्र
ठहराना
चाहे,
तो
उसका
मोल
इसके
अनुसार
ठहरे,
कि
उस
में
कितना
बीज
पड़ेगा;
जितना
भूमि
में
होमेर
भर
जौ
पड़े
उतनी
का
मोल
पचास
शेकेल
ठहरे।
17
यदि
वह
अपना
खेत
जुबली
के
वर्ष
ही
में
पवित्र
ठहराए,
तो
उसका
दाम
तेरे
ठहराने
के
अनुसार
ठहरे;
18
और
यदि
वह
अपना
खेत
जुबली
के
वर्ष
के
बाद
पवित्र
ठहराए,
तो
जितने
वर्ष
दूसरे
जुबली
के
वर्ष
के
बाकी
रहें
उन्हीं
के
अनुसार
याजक
उसके
लिये
रूपये
का
हिसाब
करे,
तब
जितना
हिसाब
में
आए
उतना
याजक
के
ठहराने
से
कम
हो।
19
और
यदि
खेत
को
पवित्र
ठहराने
वाला
उसे
छुड़ाना
चाहे,
तो
जो
दाम
याजक
ने
ठहराया
हो
उस
में
वह
पांचवां
भाग
और
बढ़ाकर
दे,
तब
खेत
उसी
का
रहेगा।
20
और
यदि
वह
खेत
को
छुड़ाना
न
चाहे,
वा
उसने
उसको
दूसरे
के
हाथ
बेचा
हो,
तो
खेत
आगे
को
कभी
न
छुड़ाया
जाए;
21
परन्तु
जब
वह
खेत
जुबली
के
वर्ष
में
छूटे,
तब
पूरी
रीति
से
अर्पण
किए
हुए
खेत
की
नाईं
यहोवा
के
लिये
पवित्र
ठहरे,
अर्थात
वह
याजक
ही
की
निज
भूमि
हो
जाए।
22
फिर
यदि
कोई
अपना
मोल
लिया
हुआ
खेत,
जो
उसकी
निज
भूमि
के
खेतों
में
का
न
हो,
यहोवा
के
लिये
पवित्र
ठहराए,
23
तो
याजक
जुबली
के
वर्ष
तक
का
हिसाब
करके
उस
मनुष्य
के
लिये
जितना
ठहराए
उतना
ही
वह
यहोवा
के
लिये
पवित्र
जान
कर
उसी
दिन
दे
दे।
24
और
जुबली
के
वर्ष
में
वह
खेत
उसी
के
अधिकार
में
जिस
से
वह
मोल
लिया
गया
हो
फिर
आ
जाए,
अर्थात
जिसकी
वह
निज
भूमि
हो
उसी
की
फिर
हो
जाए।
25
और
जिस
जिस
वस्तु
का
मोल
याजक
ठहराए
उसका
मोल
पवित्रस्थान
ही
के
शेकेल
के
हिसाब
से
ठहरे:
शेकेल
बीस
गेरा
का
ठहरे॥
26
पर
घरेलू
पशुओं
का
पहिलौठा,
जो
यहोवा
का
पहिलौठा
ठहरा
है,
उसको
तो
कोई
पवित्र
न
ठहराए;
चाहे
वह
बछड़ा
हो,
चाहे
भेड़
वा
बकरी
का
बच्चा,
वह
यहोवा
ही
का
है।
27
परन्तु
यदि
वह
अशुद्ध
पशु
का
हो,
तो
उसका
पवित्र
ठहराने
वाला
उसको
याजक
के
ठहराए
हुए
मोल
के
अनुसार
उसका
पांचवां
भाग
और
बढ़ाकर
छुड़ा
सकता
है;
और
यदि
वह
न
छुड़ाया
जाए,
तो
याजक
के
ठहराए
हुए
मोल
पर
बेच
दिया
जाए॥
28
परन्तु
अपनी
सारी
वस्तुओं
में
से
जो
कुछ
कोई
यहोवा
के
लिये
अर्पण
करे,
चाहे
मनुष्य
हो
चाहे
पशु,
चाहे
उसकी
निज
भूमि
का
खेत
हो,
ऐसी
कोई
अर्पण
की
हुई
वस्तु
न
तो
बेची
जाए
और
न
छुड़ाई
जाए;
जो
कुछ
अर्पण
किया
जाए
वह
यहोवा
के
लिये
परमपवित्र
ठहरे।
29
मनुष्यों
में
से
जो
कोई
अर्पण
किया
जाए,
वह
छुड़ाया
न
जाए;
निश्चय
वह
मार
डाला
जाए॥
30
फिर
भूमि
की
उपज
का
सारा
दशमांश,
चाहे
वह
भूमि
का
बीज
हो
चाहे
वृक्ष
का
फल,
वह
यहोवा
ही
का
है;
वह
यहोवा
के
लिये
पवित्र
ठहरे।
31
यदि
कोई
अपने
दशमांश
में
से
कुछ
छुड़ाना
चाहे,
तो
पांचवां
भाग
बढ़ाकर
उसको
छुड़ाए।
32
और
गाय-बैल
और
भेड़-बकरियां,
निदान
जो
जो
पशु
गिनने
के
लिये
लाठी
के
तले
निकल
जाने
वाले
हैं
उनका
दशमांश,
अर्थात
दस
दस
पीछे
एक
एक
पशु
यहोवा
के
लिये
पवित्र
ठहरे।
33
कोई
उसके
गुण
अवगुण
न
विचारे,
और
न
उसको
बदले;
और
यदि
कोई
उसको
बदल
भी
ले,
तो
वह
और
उसका
बदला
दोनों
पवित्र
ठहरें;
और
वह
कभी
छुड़ाया
न
जाए॥
34
जो
आज्ञाएं
यहोवा
ने
इस्त्राएलियों
के
लिये
सीनै
पर्वत
पर
मूसा
को
दी
थीं
वे
ये
ही
हैं॥
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