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योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
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1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
याकूब
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लूका 5:29
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लूका 5:29
1
जब
भीड़
उस
पर
गिरी
पड़ती
थी,
और
परमेश्वर
का
वचन
सुनती
थी,
और
वह
गन्नेसरत
की
झील
के
किनारे
पर
खड़ा
था,
तो
ऐसा
हुआ।
2
कि
उस
ने
झील
के
किनारे
दो
नावें
लगी
हुई
देखीं,
और
मछुवे
उन
पर
से
उतरकर
जाल
धो
रहे
थे।
3
उन
नावों
में
से
एक
पर
जो
शमौन
की
थी,
चढ़कर,
उस
ने
उस
से
बिनती
की,
कि
किनारे
से
थोड़ा
हटा
ले
चले,
तब
वह
बैठकर
लोगों
को
नाव
पर
से
उपदेश
देने
लगा।
4
जब
वे
बातें
कर
चुका,
तो
शमौन
से
कहा,
गहिरे
में
ले
चल,
और
मछिलयां
पकड़ने
के
लिये
अपने
जाल
डालो।
5
शमौन
ने
उसको
उत्तर
दिया,
कि
हे
स्वामी,
हम
ने
सारी
रात
मिहनत
की
और
कुछ
न
पकड़ा;
तौभी
तेरे
कहने
से
जाल
डालूंगा।
6
जब
उन्होंने
ऐसा
किया,
तो
बहुत
मछिलयां
घेर
लाए,
और
उन
के
जाल
फटने
लगे।
7
इस
पर
उन्होंने
अपने
साथियों
को
जो
दूसरी
नाव
पर
थे,
संकेत
किया,
कि
आकर
हमारी
सहायता
करो:
और
उन्होंने
आकर,
दोनो
नाव
यहां
तक
भर
लीं
कि
वे
डूबने
लगीं।
8
यह
देखकर
शमौन
पतरस
यीशु
के
पांवों
पर
गिरा,
और
कहा;
हे
प्रभु,
मेरे
पास
से
जा,
क्योंकि
मैं
पापी
मनुष्य
हूं।
9
क्योंकि
इतनी
मछिलयों
के
पकड़े
जाने
से
उसे
और
उसके
साथियों
को
बहुत
अचम्भा
हुआ।
10
और
वैसे
ही
जब्दी
के
पुत्र
याकूब
और
यूहन्ना
को
भी,
जो
शमौन
के
सहभागी
थे,
अचम्भा
हुआ:
तब
यीशु
ने
शमौन
से
कहा,
मत
डर:
अब
से
तू
मनुष्यों
को
जीवता
पकड़ा
करेगा।
11
और
व
नावों
को
किनारे
पर
ले
आए
और
सब
कुछ
छोड़कर
उसके
पीछे
हो
लिए॥
12
जब
वह
किसी
नगर
में
था,
तो
देखो,
वहां
कोढ़
से
भरा
हुआ
एक
मनुष्य
था,
और
वह
यीशु
को
देखकर
मुंह
के
बल
गिरा,
और
बिनती
की;
कि
हे
प्रभु
यदि
तू
चाहे
हो
मुझे
शुद्ध
कर
सकता
है।
13
उस
ने
हाथ
बढ़ाकर
उसे
छूआ
और
कहा
मैं
चाहता
हूं
तू
शुद्ध
हो
जा:
और
उसका
कोढ़
तुरन्त
जाता
रहा।
14
तब
उस
ने
उसे
चिताया,
कि
किसी
से
न
कह,
परन्तु
जा
के
अपने
आप
को
याजक
को
दिखा,
और
अपने
शुद्ध
होने
के
विषय
में
जो
कुछ
मूसा
ने
चढ़ावा
ठहराया
है
उसे
चढ़ा;
कि
उन
पर
गवाही
हो।
15
परन्तु
उस
की
चर्चा
और
भी
फैलती
गई,
और
भीड़
की
भीड़
उस
की
सुनने
के
लिये
और
अपनी
बिमारियों
से
चंगे
होने
के
लिये
इकट्ठी
हुई।
16
परन्तु
वह
जंगलों
में
अलग
जाकर
प्रार्थना
किया
करता
था॥
17
और
एक
दिन
ऐसा
हुआ
कि
वह
उपदेश
दे
रहा
था,
और
फरीसी
और
व्यवस्थापक
वहां
बैठे
हुए
थे,
जो
गलील
और
यहूदिया
के
हर
एक
गांव
से,
और
यरूशलेम
से
आए
थे;
और
चंगा
करने
के
लिये
प्रभु
की
सामर्थ
उसके
साथ
थी।
18
और
देखो
कई
लोग
एक
मनुष्य
को
जो
झोले
का
मारा
हुआ
था,
खाट
पर
लाए,
और
वे
उसे
भीतर
ले
जाने
और
यीशु
के
साम्हने
रखने
का
उपाय
ढूंढ़
रहे
थे।
19
और
जब
भीड़
के
कारण
उसे
भीतर
न
ले
जा
सके
तो
उन्होंने
कोठे
पर
चढ़
कर
और
खप्रैल
हटाकर,
उसे
खाट
समेत
बीच
में
यीशु
के
साम्हने
उतरा
दिया।
20
उस
ने
उन
का
विश्वास
देखकर
उस
से
कहा;
हे
मनुष्य,
तेरे
पाप
क्षमा
हुए।
21
तब
शास्त्री
और
फरीसी
विवाद
करने
लगे,
कि
यह
कौन
है,
जो
परमेश्वर
की
निन्दा
करता
है?
परमेश्वर
का
छोड़
कौन
पापों
की
क्षमा
कर
सकता
है?
22
यीशु
ने
उन
के
मन
की
बातें
जानकर,
उन
से
कहा
कि
तुम
अपने
मनों
में
क्या
विवाद
कर
रहे
हो?
23
सहज
क्या
है?
क्या
यह
कहना,
कि
तेरे
पाप
क्षमा
हुए,
या
यह
कहना
कि
उठ,
और
चल
फिर?
24
परन्तु
इसलिये
कि
तुम
जानो
कि
मनुष्य
के
पुत्र
को
पृथ्वी
पर
पाप
क्षमा
करने
का
भी
अधिकार
है
(उस
ने
उस
झोले
के
मारे
हुए
से
कहा),
मैं
तुझ
से
कहता
हूं,
उठ
और
अपनी
खाट
उठाकर
अपने
घर
चला
जा।
25
वह
तुरन्त
उन
के
साम्हने
उठा,
और
जिस
पर
वह
पड़ा
था
उसे
उठाकर,
परमेश्वर
की
बड़ाई
करता
हुआ
अपने
घर
चला
गया।
26
तब
सब
चकित
हुए
और
परमेश्वर
की
बड़ाई
करने
लगे,
और
बहुत
डरकर
कहने
लगे,
कि
आज
हम
ने
अनोखी
बातें
देखी
हैं॥
27
और
इसके
बाद
वह
बाहर
गया,
और
लेवी
नाम
एक
चुंगी
लेने
वाले
को
चुंगी
की
चौकी
पर
बैठे
देखा,
और
उस
से
कहा,
मेरे
पीछे
हो
ले।
28
तब
वह
सब
कुछ
छोड़कर
उठा,
और
उसके
पीछे
हो
लिया।
29
और
लेवी
ने
अपने
घर
में
उसके
लिये
बड़ी
जेवनार
की;
और
चुंगी
लेने
वालों
की
और
औरों
की
जो
उसके
साथ
भोजन
करने
बैठे
थे
एक
बड़ी
भीड़
थी।
30
और
फरीसी
और
उन
के
शास्त्री
उस
के
चेलों
से
यह
कहकर
कुड़कुड़ाने
लगे,
कि
तुम
चुंगी
लेने
वालों
और
पापियों
के
साथ
क्यों
खाते-पीते
हो?
31
यीशु
ने
उन
को
उत्तर
दिया;
कि
वैद्य
भले
चंगों
के
लिये
नहीं,
परन्तु
बीमारों
के
लिये
अवश्य
है।
32
मैं
धमिर्यों
को
नहीं,
परन्तु
पापियों
को
मन
फिराने
के
लिये
बुलाने
आया
हूं।
33
और
उन्होंने
उस
से
कहा,
यूहन्ना
के
चेले
तो
बराबर
उपवास
रखते
और
प्रार्थना
किया
करते
हैं,
और
वैसे
ही
फरीसियों
के
भी,
परन्तु
तेरे
चेले
तो
खाते
पीते
हैं!
34
यीशु
ने
उन
से
कहा;
क्या
तुम
बरातियों
से
जब
तक
दूल्हा
उन
के
साथ
रहे,
उपवास
करवा
सकते
हो?
।
35
परन्तु
वे
दिन
आएंगे,
जिन
में
दूल्हा
उन
से
अलग
किया
जाएगा,
तब
वे
उन
दिनों
में
उपवास
करेंगे।
36
उस
ने
एक
और
दृष्टान्त
भी
उन
से
कहा;
कि
कोई
मनुष्य
नये
पहिरावन
में
से
फाड़कर
पुराने
पहिरावन
में
पैबन्द
नहीं
लगाता,
नहीं
तो
नया
फट
जाएगा
और
वह
पैबन्द
पुराने
में
मेल
भी
नहीं
खाएगा।
37
और
कोई
नया
दाखरस
पुरानी
मशकों
में
नही
भरता,
नहीं
तो
नया
दाखरस
मशकों
को
फाड़कर
बह
जाएगा,
और
मशकें
भी
नाश
हो
जाएंगी।
38
परन्तु
नया
दाखरस
नई
मशकों
में
भरना
चाहिये।
39
कोई
मनुष्य
पुराना
दाखरस
पीकर
नया
नहीं
चाहता
क्योंकि
वह
कहता
है,
कि
पुराना
ही
अच्छा
है॥
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