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अधिक
यूहन्ना 15:17
उत्पत्ति
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गिनती
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यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
2 शमूएल
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योना
मीका
नहूम
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मरकुस
लूका
यूहन्ना
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1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
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1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
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2 तीमुथियुस
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यूहन्ना 15:17 (06 04 pm)
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यूहन्ना 15:17
1
सच्ची
दाखलता
मैं
हूं;
और
मेरा
पिता
किसान
है।
2
जो
डाली
मुझ
में
है,
और
नहीं
फलती,
उसे
वह
काट
डालता
है,
और
जो
फलती
है,
उसे
वह
छांटता
है
ताकि
और
फले।
3
तुम
तो
उस
वचन
के
कारण
जो
मैं
ने
तुम
से
कहा
है,
शुद्ध
हो।
4
तुम
मुझ
में
बने
रहो,
और
मैं
तुम
में:
जैसे
डाली
यदि
दाखलता
में
बनी
न
रहे,
तो
अपने
आप
से
नहीं
फल
सकती,
वैसे
ही
तुम
भी
यदि
मुझ
में
बने
न
रहो
तो
नहीं
फल
सकते।
5
मैं
दाखलता
हूं:
तुम
डालियां
हो;
जो
मुझ
में
बना
रहता
है,
और
मैं
उस
में,
वह
बहुत
फल
फलता
है,
क्योंकि
मुझ
से
अलग
होकर
तुम
कुछ
भी
नहीं
कर
सकते।
6
यदि
कोई
मुझ
में
बना
न
रहे,
तो
वह
डाली
की
नाईं
फेंक
दिया
जाता,
और
सूख
जाता
है;
और
लोग
उन्हें
बटोरकर
आग
में
झोंक
देते
हैं,
और
वे
जल
जाती
हैं।
7
यदि
तुम
मुझ
में
बने
रहो,
और
मेरी
बातें
तुम
में
बनी
रहें
तो
जो
चाहो
मांगो
और
वह
तुम्हारे
लिये
हो
जाएगा।
8
मेरे
पिता
की
महिमा
इसी
से
होती
है,
कि
तुम
बहुत
सा
फल
लाओ,
तब
ही
तुम
मेरे
चेले
ठहरोगे।
9
जैसा
पिता
ने
मुझ
से
प्रेम
रखा,
वैसा
ही
मैं
ने
तुम
से
प्रेम
रखा,
मेरे
प्रेम
में
बने
रहो।
10
यदि
तुम
मेरी
आज्ञाओं
को
मानोगे,
तो
मेरे
प्रेम
में
बने
रहोगे:
जैसा
कि
मैं
ने
अपने
पिता
की
आज्ञाओं
को
माना
है,
और
उसके
प्रेम
में
बना
रहता
हूं।
11
मैं
ने
ये
बातें
तुम
से
इसलिये
कही
हैं,
कि
मेरा
आनन्द
तुम
में
बना
रहे,
और
तुम्हारा
आनन्द
पूरा
हो
जाए।
12
मेरी
आज्ञा
यह
है,
कि
जैसा
मैं
ने
तुम
से
प्रेम
रखा,
वैसा
ही
तुम
भी
एक
दूसरे
से
प्रेम
रखो।
13
इस
से
बड़ा
प्रेम
किसी
का
नहीं,
कि
कोई
अपने
मित्रों
के
लिये
अपना
प्राण
दे।
14
जो
कुछ
मैं
तुम्हें
आज्ञा
देता
हूं,
यदि
उसे
करो,
तो
तुम
मेरे
मित्र
हो।
15
अब
से
मैं
तुम्हें
दास
न
कहूंगा,
क्योंकि
दास
नहीं
जानता,
कि
उसका
स्वामी
क्या
करता
है:
परन्तु
मैं
ने
तुम्हें
मित्र
कहा
है,
क्योंकि
मैं
ने
जो
बातें
अपने
पिता
से
सुनीं,
वे
सब
तुम्हें
बता
दीं।
16
तुम
ने
मुझे
नहीं
चुना
परन्तु
मैं
ने
तुम्हें
चुना
है
और
तुम्हें
ठहराया
ताकि
तुम
जाकर
फल
लाओ;
और
तुम्हारा
फल
बना
रहे,
कि
तुम
मेरे
नाम
से
जो
कुछ
पिता
से
मांगो,
वह
तुम्हें
दे।
17
इन
बातें
की
आज्ञा
मैं
तुम्हें
इसलिये
देता
हूं,
कि
तुम
एक
दूसरे
से
प्रेम
रखो।
18
यदि
संसार
तुम
से
बैर
रखता
है,
तो
तुम
जानते
हो,
कि
उस
ने
तुम
से
पहिले
मुझ
से
भी
बैर
रखा।
19
यदि
तुम
संसार
के
होते,
तो
संसार
अपनों
से
प्रीति
रखता,
परन्तु
इस
कारण
कि
तुम
संसार
के
नहीं,
वरन
मैं
ने
तुम्हें
संसार
में
से
चुन
लिया
है
इसी
लिये
संसार
तुम
से
बैर
रखता
है।
20
जो
बात
मैं
ने
तुम
से
कही
थी,
कि
दास
अपने
स्वामी
से
बड़ा
नहीं
होता,
उस
को
याद
रखो:
यदि
उन्होंने
मुझे
सताया,
तो
तुम्हें
भी
सताएंगे;
यदि
उन्होंने
मेरी
बात
मानी,
तो
तुम्हारी
भी
मानेंगे।
21
परन्तु
यह
सब
कुछ
वे
मेरे
नाम
के
कारण
तुम्हारे
साथ
करेंगे
क्योंकि
वे
मेरे
भेजने
वाले
को
नहीं
जानते।
22
यदि
मैं
न
आता
और
उन
से
बातें
न
करता,
तो
वे
पापी
न
ठहरते
परन्तु
अब
उन्हें
उन
के
पाप
के
लिये
कोई
बहाना
नहीं।
23
जो
मुझ
से
बैर
रखता
है,
वह
मेरे
पिता
से
भी
बैर
रखता
है।
24
यदि
मैं
उन
में
वे
काम
न
करता,
जो
और
किसी
ने
नहीं
किए
तो
वे
पापी
नहीं
ठहरते,
परन्तु
अब
तो
उन्होंने
मुझे
और
मेरे
पिता
दोनों
को
देखा,
और
दोनों
से
बैर
किया।
25
और
यह
इसलिये
हुआ,
कि
वह
वचन
पूरा
हो,
जो
उन
की
व्यवस्था
में
लिखा
है,
कि
उन्होंने
मुझ
से
व्यर्थ
बैर
किया।
26
परन्तु
जब
वह
सहायक
आएगा,
जिसे
मैं
तुम्हारे
पास
पिता
की
ओर
से
भेजूंगा,
अर्थात
सत्य
का
आत्मा
जो
पिता
की
ओर
से
निकलता
है,
तो
वह
मेरी
गवाही
देगा।
27
और
तुम
भी
गवाह
हो
क्योंकि
तुम
आरम्भ
से
मेरे
साथ
रहे
हो॥
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