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हाग्गै
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मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
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तीतुस
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यूहन्ना 14:1
उत्पत्ति
निर्गमन
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गिनती
व्यवस्थाविवरण
यहोशू
न्यायियों
रूत
1 शमूएल
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योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
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मलाकी
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
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1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
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1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
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फिलेमोन
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याकूब
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यूहन्ना 14:1 (11 06 pm)
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यूहन्ना 14:1
1
तुम्हारा
मन
व्याकुल
न
हो,
तुम
परमेश्वर
पर
विश्वास
रखते
हो
मुझ
पर
भी
विश्वास
रखो।
2
मेरे
पिता
के
घर
में
बहुत
से
रहने
के
स्थान
हैं,
यदि
न
होते,
तो
मैं
तुम
से
कह
देता
क्योंकि
मैं
तुम्हारे
लिये
जगह
तैयार
करने
जाता
हूं।
3
और
यदि
मैं
जाकर
तुम्हारे
लिये
जगह
तैयार
करूं,
तो
फिर
आकर
तुम्हें
अपने
यहां
ले
जाऊंगा,
कि
जहां
मैं
रहूं
वहां
तुम
भी
रहो।
4
और
जहां
मैं
जाता
हूं
तुम
वहां
का
मार्ग
जानते
हो।
5
थोमा
ने
उस
से
कहा,
हे
प्रभु,
हम
नहीं
जानते
कि
तू
हां
जाता
है
तो
मार्ग
कैसे
जानें?
6
यीशु
ने
उस
से
कहा,
मार्ग
और
सच्चाई
और
जीवन
मैं
ही
हूं;
बिना
मेरे
द्वारा
कोई
पिता
के
पास
नहीं
पहुंच
सकता।
7
यदि
तुम
ने
मुझे
जाना
होता,
तो
मेरे
पिता
को
भी
जानते,
और
अब
उसे
जानते
हो,
और
उसे
देखा
भी
है।
8
फिलेप्पुस
ने
उस
से
कहा,
हे
प्रभु,
पिता
को
हमें
दिखा
दे:
यही
हमारे
लिये
बहुत
है।
9
यीशु
ने
उस
से
कहा;
हे
फिलेप्पुस,
मैं
इतने
दिन
से
तुम्हारे
साथ
हूं,
और
क्या
तू
मुझे
नहीं
जानता?
जिस
ने
मुझे
देखा
है
उस
ने
पिता
को
देखा
है:
तू
क्यों
कहता
है
कि
पिता
को
हमें
दिखा।
10
क्या
तू
प्रतीति
नहीं
करता,
कि
मैं
पिता
में
हूं,
और
पिता
मुझ
में
हैं?
ये
बातें
जो
मैं
तुम
से
कहता
हूं,
अपनी
ओर
से
नहीं
कहता,
परन्तु
पिता
मुझ
में
रहकर
अपने
काम
करता
है।
11
मेरी
ही
प्रतीति
करो,
कि
मैं
पिता
में
हूं;
और
पिता
मुझ
में
है;
नहीं
तो
कामों
ही
के
कारण
मेरी
प्रतीति
करो।
12
मैं
तुम
से
सच
सच
कहता
हूं,
कि
जो
मुझ
पर
विश्वास
रखता
है,
ये
काम
जो
मैं
करता
हूं
वह
भी
करेगा,
वरन
इन
से
भी
बड़े
काम
करेगा,
क्योंकि
मैं
पिता
के
पास
जाता
हूं।
13
और
जो
कुछ
तुम
मेरे
नाम
से
मांगोगे,
वही
मैं
करूंगा
कि
पुत्र
के
द्वारा
पिता
की
महिमा
हो।
14
यदि
तुम
मुझ
से
मेरे
नाम
से
कुछ
मांगोगे,
तो
मैं
उसे
करूंगा।
15
यदि
तुम
मुझ
से
प्रेम
रखते
हो,
तो
मेरी
आज्ञाओं
को
मानोगे।
16
और
मैं
पिता
से
बिनती
करूंगा,
और
वह
तुम्हें
एक
और
सहायक
देगा,
कि
वह
सर्वदा
तुम्हारे
साथ
रहे।
17
अर्थात
सत्य
का
आत्मा,
जिसे
संसार
ग्रहण
नहीं
कर
सकता,
क्योंकि
वह
न
उसे
देखता
है
और
न
उसे
जानता
है:
तुम
उसे
जानते
हो,
क्योंकि
वह
तुम्हारे
साथ
रहता
है,
और
वह
तुम
में
होगा।
18
मैं
तुम्हें
अनाथ
न
छोडूंगा,
मैं
तुम्हारे
पास
आता
हूं।
19
और
थोड़ी
देर
रह
गई
है
कि
फिर
संसार
मुझे
न
देखेगा,
परन्तु
तुम
मुझे
देखोगे,
इसलिये
कि
मैं
जीवित
हूं,
तुम
भी
जीवित
रहोगे।
20
उस
दिन
तुम
जानोगे,
कि
मैं
अपने
पिता
में
हूं,
और
तुम
मुझ
में,
और
मैं
तुम
में।
21
जिस
के
पास
मेरी
आज्ञा
है,
और
वह
उन्हें
मानता
है,
वही
मुझ
से
प्रेम
रखता
है,
और
जो
मुझ
से
प्रेम
रखता
है,
उस
से
मेरा
पिता
प्रेम
रखेगा,
और
मैं
उस
से
प्रेम
रखूंगा,
और
अपने
आप
को
उस
पर
प्रगट
करूंगा।
22
उस
यहूदा
ने
जो
इस्करियोती
न
था,
उस
से
कहा,
हे
प्रभु,
क्या
हुआ
की
तू
अपने
आप
को
हम
पर
प्रगट
किया
चाहता
है,
और
संसार
पर
नहीं।
23
यीशु
ने
उस
को
उत्तर
दिया,
यदि
कोई
मुझ
से
प्रेम
रखे,
तो
वह
मेरे
वचन
को
मानेगा,
और
मेरा
पिता
उस
से
प्रेम
रखेगा,
और
हम
उसके
पास
आएंगे,
और
उसके
साथ
वास
करेंगे।
24
जो
मुझ
से
प्रेम
नहीं
रखता,
वह
मेरे
वचन
नहीं
मानता,
और
जो
वचन
तुम
सुनते
हो,
वह
मेरा
नहीं
वरन
पिता
का
है,
जिस
ने
मुझे
भेजा॥
25
ये
बातें
मैं
ने
तुम्हारे
साथ
रहते
हुए
तुम
से
कहीं।
26
परन्तु
सहायक
अर्थात
पवित्र
आत्मा
जिसे
पिता
मेरे
नाम
से
भेजेगा,
वह
तुम्हें
सब
बातें
सिखाएगा,
और
जो
कुछ
मैं
ने
तुम
से
कहा
है,
वह
सब
तुम्हें
स्मरण
कराएगा।
27
मैं
तुम्हें
शान्ति
दिए
जाता
हूं,
अपनी
शान्ति
तुम्हें
देता
हूं;
जैसे
संसार
देता
है,
मैं
तुम्हें
नहीं
देता:
तुम्हारा
मन
न
घबराए
और
न
डरे।
28
तुम
ने
सुना,
कि
मैं
ने
तुम
से
कहा,
कि
मैं
जाता
हूं,
और
तुम्हारे
पास
फिर
आता
हूं:
यदि
तुम
मुझ
से
प्रेम
रखते,
तो
इस
बात
से
आनन्दित
होते,
कि
मैं
पिता
के
पास
जाता
हूं
क्योंकि
पिता
मुझ
से
बड़ा
है।
29
और
मैं
ने
अब
इस
के
होने
से
पहिले
तुम
से
कह
दिया
है,
कि
जब
वह
हो
जाए,
तो
तुम
प्रतीति
करो।
30
मैं
अब
से
तुम्हारे
साथ
और
बहुत
बातें
न
करूंगा,
क्योंकि
इस
संसार
का
सरदार
आता
है,
और
मुझ
में
उसका
कुछ
नहीं।
31
परन्तु
यह
इसलिये
होता
है
कि
संसार
जाने
कि
मैं
पिता
से
प्रेम
रखता
हूं,
और
जिस
तरह
पिता
ने
मुझे
आज्ञा
दी,
मैं
वैसे
ही
करता
हूं:
उठो,
यहां
से
चलें॥
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