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दानिय्येल
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योएल
आमोस
ओबद्दाह
योना
मीका
नहूम
हबक्कूक
सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
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यिर्मयाह 7:20
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यिर्मयाह 7:20 (08 57 am)
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यिर्मयाह 7:20
1
जो
वचन
यहोवा
की
ओर
से
यिर्मयाह
के
पास
पहुंचा
वह
यह
है:
2
यहोवा
के
भवन
के
फाटक
में
खड़ा
हो,
और
यह
वचन
प्रचार
कर,
ओर
कह,
हे
सब
यहूदियो,
तुम
जो
यहोवा
को
दण्डवत
करने
के
लिये
इन
फाटकों
से
प्रवेश
करते
हो,
यहोवा
का
वचन
सुनो।
3
सेनाओं
का
यहोवा
जो
इस्राएल
का
परमेश्वर
है,
यों
कहता
है,
अपनी
अपनी
चाल
और
काम
सुधारो,
तब
मैं
तुम
को
इस
स्थान
में
बसे
रहने
दूंगा।
4
तुम
लोग
यह
कह
कर
झूठी
बातों
पर
भरोसा
मत
रखो,
कि
यही
यहोवा
का
मन्दिर
है;
यही
यहोवा
का
मन्दिर,
यहोवा
का
मन्दिर।
5
यदि
तुम
सचमुच
अपनी
अपनी
चाल
और
काम
सुधारो,
और
सचमुच
मनुष्य-मनुष्य
के
बीच
न्याय
करो,
6
परदेशी
और
अनाथ
और
विधवा
पर
अन्धेर
न
करो;
इस
स्थान
में
निर्दोष
की
हत्या
न
करो,
और
दूसरे
देवताओं
के
पीछे
न
चलो
जिस
से
तुम्हारी
हानि
होती
है,
7
तो
मैं
तुम
को
इस
नगर
में,
और
इस
देश
में
जो
मैं
ने
तुम्हारे
पूर्वजों
को
दिया
था,
युग
युग
के
लिये
रहने
दूंगा।
8
देखो,
तुम
झूठी
बातों
पर
भरोसा
रखते
हो
जिन
से
कुछ
लाभ
नहीं
हो
सकता।
9
तुम
जो
चोरी,
हत्या
और
व्यभिचार
करते,
झूठी
शपथ
खाते,
बाल
देवता
के
लिये
धूप
जलाते,
और
दूसरे
देवताओं
के
पीछे
जिन्हें
तुम
पहिले
नहीं
जानते
थे
चलते
हो,
10
तो
क्या
यह
उचित
है
कि
तुम
इस
भवन
में
आओ
जो
मेरा
कहलाता
है,
और
मेरे
साम्हने
खड़े
हो
कर
यह
कहो
कि
हम
इसलिये
छूट
गए
हैं
कि
ये
सब
घृणित
काम
करें?
11
क्या
यह
भवन
जो
मेरा
कहलाता
है,
तुम्हारी
दृष्टि
में
डाकुओं
की
गुफ़ा
हो
गया
है?
मैं
ने
स्वयं
यह
देखा
है,
यहोवा
की
यह
वाणी
है।
12
मेरा
जो
स्थान
शीलो
में
था,
जहां
मैं
ने
पहिले
अपने
नाम
का
निवास
ठहराया
था,
वहां
जा
कर
देखो
कि
मैं
ने
अपनी
प्रजा
इस्राएल
की
बुराई
के
कारण
उसकी
क्या
दशा
कर
दी
है?
13
अब
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
कि
तुम
जो
ये
सब
काम
करते
आए
हो,
और
यद्यपि
मैं
तुम
से
बड़े
यत्न
से
बातें
करता
रहा
हूँ,
तौभी
तुम
ने
नहीं
सुना,
और
तुम्हें
बुलाता
आया
परन्तु
तुम
नहीं
बोले,
14
इसलिये
यह
भवन
जो
मेरा
कहलाता
है,
जिस
पर
तुम
भरोसा
रखते
हो,
और
यह
स्थान
जो
मैं
ने
तुम
को
और
तुम्हारे
पूर्वजों
को
दिया
था,
इसकी
दशा
मैं
शीलो
की
सी
कर
दूंगा।
15
और
जैसा
मैं
ने
तुम्हारे
सब
भाइयों
को
अर्थात
सारे
एप्रैमियों
को
अपने
साम्हने
से
दूर
कर
दिया
है,
वैसा
ही
तुम
को
भी
दूर
कर
दूंगा।
16
इस
प्रजा
के
लिये
तू
प्रार्थना
मत
कर,
न
इन
लोगों
के
लिये
ऊंचे
स्वर
से
पुकार
न
मुझ
से
बिनती
कर,
क्योंकि
मैं
तेरी
नहीं
सुनूंगा।
17
क्या
तू
नहीं
देखता
कि
ये
लोग
यहूदा
के
नगरों
और
यरूशलेम
की
सड़कों
में
क्या
कर
रहे
हैं?
18
देख,
लड़के
बाले
तो
ईधन
बटोरते,
बाप
आग
सुलगाते
और
स्त्रियां
आटा
गूंधती
हैं,
कि
स्वर्ग
की
रानी
के
लिये
रोटियां
चढ़ाएं;
और
मुझे
क्रोधित
करने
के
लिये
दूसरे
देवताओं
के
लिये
तपावन
दें।
19
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
क्या
वे
मुझी
को
क्रोध
दिलाते
हैं?
क्या
वे
अपने
ही
को
नहीं
जिस
से
उनके
मुंह
पर
सियाही
छाए?
20
सो
प्रभु
यहोवा
ने
यों
कहा
है,
क्या
मनुष्य,
क्या
पशु,
क्या
मैदान
के
वृक्ष,
क्या
भूमि
की
उपज,
उन
सब
पर
जो
इस
स्थान
में
हैं,
मेरे
कोप
की
आग
भड़कने
पर
है;
वह
नित्य
जलती
रहेगी
और
कभी
न
बुझेगी।
21
सेनाओं
का
यहोवा
जो
इस्राएल
का
परमेश्वर
है,
यों
कहता
है,
अपने
मेलबलियों
के
साथ
अपने
होमबलि
भी
चढ़ाओ
और
मांस
खाओ।
22
क्योंकि
जिस
समय
मैं
ने
तुम्हारे
पूर्वजों
को
मिस्र
देश
में
से
निकाला,
उस
समय
मैं
ने
उन्हें
होमबलि
और
मेलबलि
के
विष्य
कुछ
आज्ञा
न
दी
थी।
23
परन्तु
मैं
ने
तो
उन
को
यह
आज्ञा
दी
कि
मेरे
वचन
को
मानो,
तब
मैं
तुम्हारा
परमेश्वर
हूंगा,
और
तुम
मेरी
प्रजा
ठहरोगे;
और
जिस
मार्ग
की
मैं
तुम्हें
आज्ञा
दूं
उसी
में
चलो,
तब
तुम्हारा
भला
होगा।
24
पर
उन्होंने
मेरी
न
सुनी
और
न
मेरी
बातों
पर
कान
लगाया;
वे
अपनी
ही
युक्तियों
और
अपने
बुरे
मन
के
हठ
पर
चलते
रहे
और
पीछे
हट
गए
पर
आगे
न
बढ़े।
25
जिस
दिन
तुम्हारे
पुरखा
मिस्र
देश
से
निकले,
उस
दिन
से
आज
तक
मैं
तो
अपने
सारे
दासों,
भविष्यद्वक्ताओं
को,
तुम्हारे
पास
बड़े
यत्न
से
लगातार
भेजता
रहा;
26
परन्तु
उन्होंने
मेरी
नहीं
सुनी,
न
अपना
कान
लगाया;
उन्होंने
हठ
किया,
और
अपने
पुरखाओं
से
बढ़कर
बुराइयां
की
हैं।
27
तू
सब
बातें
उन
से
कहेगा
पर
वे
तेरी
न
सुनेंगे;
तू
उन
को
बुलाएगा,
पर
वे
न
बोलेंगे।
28
तब
तू
उन
से
कह
देना,
यह
वही
जाति
है
जो
अपने
परमेश्वर
यहोवा
की
नहीं
सुनती,
और
ताड़ना
से
भी
नहीं
मानती;
सच्चाई
नाश
हो
गई,
और
उनके
मुंह
से
दूर
हो
गई
है।
29
अपने
बाल
मुंड़ा
कर
फेंक
दे;
मुण्डे
टीलों
पर
चढ़
कर
विलाप
का
गीत
गा,
क्योंकि
यहोवा
ने
इस
समय
के
निवासियों
पर
क्रोध
किया
और
उन्हें
निकम्मा
जानकर
त्याग
दिया
है।
30
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
इसका
कारण
यह
है
कि
यहूदियों
ने
वह
काम
किया
है,
जो
मेरी
दृष्टि
में
बुरा
है;
उन्होंने
उस
भवन
में
जो
मेरा
कहलाता
है,
अपनी
घृणित
वस्तुएं
रखकर
उसे
अशुद्ध
कर
दिया
है।
31
और
उन्होंने
हिन्नोमवंशियों
की
तराई
में
तोपेत
नाम
ऊंचे
स्थान
बनाकर,
अपने
बेटे-बेटियों
को
आग
में
जलाया
है;
जिसकी
आज्ञा
मैं
ने
कभी
नहीं
दी
और
न
मेरे
मन
में
वह
कभी
आया।
32
यहोवा
की
यह
वाणी
है,
इसलिये
ऐसे
दिन
आते
हैं
कि
वह
तराई
फिर
न
तो
तोपेत
की
और
न
हिन्नोमवंशियों
की
कहलाएगी,
वरन
घात
की
तराई
कहलाएगी;
और
तोपेत
में
इतनी
क़ब्रें
होंगी
कि
और
स्थान
न
रहेगा।
33
इसलिये
इन
लोगों
की
लोथें
आकाश
के
पक्षियों
और
पृथ्वी
के
पशुओं
का
आहार
होंगी,
और
उन
को
भगाने
वाला
कोई
न
रहेगा।
34
उस
समय
मैं
ऐसा
करूंगा
कि
यहूदा
के
नगरों
और
यरूशलेम
की
सड़कों
में
न
तो
हर्ष
और
आनन्द
का
शब्द
सुन
पड़ेगा,
और
न
दुल्हे
वा
दुल्हिन
का;
क्योंकि
देश
उजाड़
ही
उजाड़
हो
जाएगा।
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