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योएल
आमोस
ओबद्दाह
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मीका
नहूम
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सपन्याह
हाग्गै
जकर्याह
मलाकी
नई टैस्टमैंट
मत्ती
मरकुस
लूका
यूहन्ना
प्रेरितों के काम
रोमियो
1 कुरिन्थियों
2 कुरिन्थियों
गलातियों
इफिसियों
फिलिप्पियों
कुलुस्सियों
1 थिस्सलुनीकियों
2 थिस्सलुनीकियों
1 तीमुथियुस
2 तीमुथियुस
तीतुस
फिलेमोन
इब्रानियों
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लूका 11:27
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लूका 11:27 (10 23 am)
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लूका 11:27
1
फिर
वह
किसी
जगह
प्रार्थना
कर
रहा
था:
और
जब
वह
प्रार्थना
कर
चुका,
तो
उसके
चेलों
में
से
एक
ने
उस
से
कहा;
हे
प्रभु,
जैसे
यूहन्ना
ने
अपने
चेलों
को
प्रार्थना
करना
सिखलाया
वैसे
ही
हमें
भी
तू
सिखा
दे।
2
उस
ने
उन
से
कहा;
जब
तुम
प्रार्थना
करो,
तो
कहो;
हे
पिता,
तेरा
नाम
पवित्र
माना
जाए,
तेरा
राज्य
आए।
3
हमारी
दिन
भर
की
रोटी
हर
दिन
हमें
दिया
कर।
4
और
हमारे
पापों
को
क्षमा
कर,
क्योंकि
हम
भी
अपने
हर
एक
अपराधी
को
क्षमा
करते
हैं,
और
हमें
परीक्षा
में
न
ला॥
5
और
उस
ने
उन
से
कहा,
तुम
में
से
कौन
है
कि
उसका
एक
मित्र
हो,
और
वह
आधी
रात
को
उसके
पास
आकर
उस
से
कहे,
कि
हे
मित्र;
मुझे
तीन
रोटियां
दे।
6
क्योंकि
एक
यात्री
मित्र
मेरे
पास
आया
है,
और
उसके
आगे
रखने
के
लिये
मेरे
पास
कुछ
नहीं
है।
7
और
वह
भीतर
से
उत्तर
दे,
कि
मुझे
दुख
न
दे;
अब
तो
द्वार
बन्द
है,
और
मेरे
बालक
मेरे
पास
बिछौने
पर
हैं,
इसलिये
मैं
उठकर
तुझे
दे
नहीं
सकता
8
मैं
तुम
से
कहता
हूं,
यदि
उसका
मित्र
होने
पर
भी
उसे
उठकर
न
दे,
तौभी
उसके
लज्ज़ा
छोड़कर
मांगने
के
कारण
उसे
जितनी
आवश्यकता
हो
उतनी
उठकर
देगा।
9
और
मैं
तुम
से
कहता
हूं;
कि
मांगो,
तो
तुम्हें
दिया
जाएगा;
ढूंढ़ों
तो
तुम
पाओगे;
खटखटाओ,
तो
तुम्हारे
लिये
खोला
जाएगा।
10
क्योंकि
जो
कोई
मांगता
है,
उसे
मिलता
है;
और
जो
ढूंढ़ता
है,
वह
पाता
है;
और
जो
खटखटाता
है,
उसके
लिये
खोला
जाएगा।
11
तुम
में
से
ऐसा
कौन
पिता
होगा,
कि
जब
उसका
पुत्र
रोटी
मांगे,
तो
उसे
पत्थर
दे:
या
मछली
मांगे,
तो
मछली
के
बदले
उसे
सांप
दे?
12
या
अण्डा
मांगे
तो
उसे
बिच्छू
दे?
13
सो
जब
तुम
बुरे
होकर
अपने
लड़के-बालों
को
अच्छी
वस्तुएं
देना
जानते
हो,
तो
स्वर्गीय
पिता
अपने
मांगने
वालों
को
पवित्र
आत्मा
क्यों
न
देगा॥
14
फिर
उस
ने
एक
गूंगी
दुष्टात्मा
को
निकाला:
जब
दुष्टात्मा
निकल
गई,
तो
गूंगा
बोलने
लगा;
और
लोगों
ने
अचम्भा
किया।
15
परन्तु
उन
में
से
कितनों
ने
कहा,
यह
तो
शैतान
नाम
दुष्टात्माओं
के
प्रधान
की
सहायता
से
दुष्टात्माओं
को
निकालता
है।
16
औरों
ने
उस
की
परीक्षा
करने
के
लिये
उस
से
आकाश
का
एक
चिन्ह
मांगा।
17
परन्तु
उस
ने,
उन
के
मन
की
बातें
जानकर,
उन
से
कहा;
जिस
जिस
राज्य
में
फूट
होती
है,
वह
राज्य
उजड़
जाता
है:
और
जिस
घर
में
फूट
होती
है,
वह
नाश
हो
जाता
है।
18
और
यदि
शैतान
अपना
ही
विरोधी
हो
जाए,
तो
उसका
राज्य
क्योंकर
बना
रहेगा?
क्योंकि
तुम
मेरे
विषय
में
तो
कहते
हो,
कि
यह
शैतान
की
सहायता
से
दुष्टात्मा
निकालता
है।
19
भला
यदि
मैं
शैतान
की
सहायता
से
दुष्टात्माओं
को
निकालता
हूं,
तो
तुम्हारी
सन्तान
किस
की
सहायता
से
निकालते
हैं?
इसलिये
वे
ही
तुम्हारा
न्याय
चुकाएंगे।
20
परन्तु
यदि
मैं
परमेश्वर
की
सामर्थ
से
दुष्टात्माओं
को
निकालता
हूं,
तो
परमेश्वर
का
राज्य
तुम्हारे
पास
आ
पहुंचा।
21
जब
बलवन्त
मनुष्य
हथियार
बान्धे
हुए
अपने
घर
की
रखवाली
करता
है,
तो
उस
की
संपत्ति
बची
रहती
है।
22
पर
जब
उस
से
बढ़कर
कोई
और
बलवन्त
चढ़ाई
करके
उसे
जीत
लेता
है,
तो
उसके
वे
हथियार
जिन
पर
उसका
भरोसा
था,
छीन
लेता
है
और
उस
की
संपत्ति
लूटकर
बांट
देता
है।
23
जो
मेरे
साथ
नहीं
वह
मेरे
विरोध
में
है
और
जो
मेरे
साथ
नहीं
बटोरता
वह
बिथराता
है।
24
जब
अशुद्ध
आत्मा
मनुष्य
में
से
निकल
जाती
है
तो
सूखी
जगहों
में
विश्राम
ढूंढ़ती
फिरती
है;
और
जब
नहीं
पाती
तो
कहती
है;
कि
मैं
अपने
उसी
घर
में
जहां
से
निकली
थी
लौट
जाऊंगी।
25
और
आकर
उसे
झाड़ा-बुहारा
और
सजा-सजाया
पाती
है।
26
तब
वह
आकर
अपने
से
और
बुरी
सात
आत्माओं
को
अपने
साथ
ले
आती
है,
और
वे
उस
में
पैठकर
वास
करती
हैं,
और
उस
मनुष्य
की
पिछली
दशा
पहिले
से
भी
बुरी
हो
जाती
है॥
27
जब
वह
ये
बातें
कह
ही
रहा
था
तो
भीड़
में
से
किसी
स्त्री
ने
ऊंचे
शब्द
से
कहा,
धन्य
वह
गर्भ
जिस
में
तू
रहा;
और
वे
स्तन,
जो
तू
ने
चूसे।
28
उस
ने
कहा,
हां;
परन्तु
धन्य
वे
हैं,
जो
परमेश्वर
का
वचन
सुनते
और
मानते
हैं॥
29
जब
बड़ी
भीड़
इकट्ठी
होती
जाती
थी
तो
वह
कहने
लगा;
कि
इस
युग
के
लोग
बुरे
हैं;
वे
चिन्ह
ढूंढ़ते
हैं;
पर
यूनुस
के
चिन्ह
को
छोड़
कोई
और
चिन्ह
उन्हें
न
दिया
जाएगा।
30
जैसा
यूनुस
नीनवे
के
लोगों
के
लिये
चिन्ह
ठहरा,
वैसा
ही
मनुष्य
का
पुत्र
भी
इस
युग
के
लोगों
के
लिये
ठहरेगा।
31
दक्खिन
की
रानी
न्याय
के
दिन
इस
समय
के
मनुष्यों
के
साथ
उठकर,
उन्हें
दोषी
ठहराएगी,
क्योंकि
वह
सुलैमान
का
ज्ञान
सुनने
को
पृथ्वी
की
छोर
से
आई,
और
देखो
यहां
वह
है
जो
सुलैमान
से
भी
बड़ा
है।
32
नीनवे
के
लोग
न्याय
के
दिन
इस
समय
के
लोगों
के
साथ
खड़े
होकर,
उन्हें
दोषी
ठहराएंगे;
क्योंकि
उन्होंने
यूनुस
का
प्रचार
सुनकर
मन
फिराया
और
देखो,
यहां
वह
है,
जो
यूनुस
से
भी
बड़ा
है॥
33
कोई
मनुष्य
दीया
बार
के
तलघरे
में,
या
पैमाने
के
नीचे
नहीं
रखता,
परन्तु
दीवट
पर
रखता
है
कि
भीतर
आने
वाले
उजियाला
पाएं।
34
तेरे
शरीर
का
दीया
तेरी
आंख
है,
इसलिये
जब
तेरी
आंख
निर्मल
है,
तो
तेरा
सारा
शरीर
भी
उजियाला
है;
परन्तु
जब
वह
बुरी
है,
तो
तेरा
शरीर
भी
अन्धेरा
है।
35
इसलिये
चौकस
रहना,
कि
जो
उजियाला
तुझ
में
है
वह
अन्धेरा
न
हो
जाए।
36
इसलिये
यदि
तेरा
सारा
शरीर
उजियाला
हो,
ओर
उसका
कोई
भाग
अन्धेरा
न
रहे,
तो
सब
का
सब
ऐसा
उलियाला
होगा,
जैसा
उस
समय
होता
है,
जब
दीया
अपनी
चमक
से
तुझे
उजाला
देता
है॥
37
जब
वह
बातें
कर
रहा
था,
तो
किसी
फरीसी
ने
उस
से
बिनती
की,
कि
मेरे
यहां
भेजन
कर;
और
वह
भीतर
जाकर
भोजन
करने
बैठा।
38
फरीसी
ने
यह
देखकर
अचम्भा
दिया
कि
उस
ने
भोजन
करने
से
पहिले
स्नान
नहीं
किया।
39
प्रभु
ने
उस
से
कहा,
हे
फरीसियों,
तुम
कटोरे
और
थाली
को
ऊपर
ऊपर
तो
मांजते
हो,
परन्तु
तुम्हारे
भीतर
अन्धेर
और
दुष्टता
भरी
है।
40
हे
निर्बुद्धियों,
जिस
ने
बाहर
का
भाग
बनाया,
क्या
उस
ने
भीतर
का
भाग
नहीं
बनाया?
41
परन्तु
हां,
भीतरवाली
वस्तुओं
को
दान
कर
दो,
तो
देखो,
सब
कुछ
तुम्हारे
लिये
शुद्ध
हो
जाएगा॥
42
पर
हे
फरीसियों,
तुम
पर
हाय
!
तुम
पोदीने
और
सुदाब
का,
और
सब
भांति
के
साग-पात
का
दसवां
अंश
देते
हो,
परन्तु
न्याय
को
और
परमेश्वर
के
प्रेम
को
टाल
देते
हो:
चाहिए
तो
था
कि
इन्हें
भी
करते
रहते
और
उन्हें
भी
न
छोड़ते।
43
हे
फरीसियों,
तुम
पर
हाय
!
तुम
आराधनालयों
में
मुख्य
मुख्य
आसन
और
बाजारों
में
नमस्कार
चाहते
हो।
44
हाय
तुम
पर
!
क्योंकि
तुम
उन
छिपी
कब्रों
के
समान
हो,
जिन
पर
लोग
चलते
हैं,
परन्तु
नहीं
जानते॥
45
तब
एक
व्यवस्थापक
ने
उस
को
उत्तर
दिया,
कि
हे
गुरू,
इन
बातों
के
कहने
से
तू
हमारी
निन्दा
करता
है।
46
उस
ने
कहा;
हे
व्यवस्थापकों,
तुम
पर
भी
हाय
!
तुम
ऐसे
बोझ
जिन
को
उठाना
कठिन
है,
मनुष्यों
पर
लादते
हो
परन्तु
तुम
आप
उन
बोझों
को
अपनी
एक
उंगली
से
भी
नहीं
छूते।
47
हाय
तुम
पर
!
तुम
उन
भविष्यद्वक्तओं
की
कब्रें
बनाते
हो,
जिन्हें
ही
तुम्हारे
बाप-दादों
ने
मार
डाला
था।
48
सो
तुम
गवाह
हो,
और
अपने
बाप-दादों
के
कामों
में
सहमत
हो;
क्योंकि
उन्होंने
तो
उन्हें
मार
डाला
और
तुम
उन
की
कब्रें
बनाते
हो।
49
इसलिये
परमेश्वर
की
बुद्धि
ने
भी
कहा
है,
कि
मैं
उन
के
पास
भविष्यद्वक्ताओं
और
प्रेरितों
को
भेजूंगी:
और
वे
उन
में
से
कितनों
को
मार
डालेंगे,
और
कितनों
को
सताएंगे।
50
ताकि
जितने
भविष्यद्वक्ताओं
का
लोहू
जगत
की
उत्पत्ति
से
बहाया
गया
है,
सब
का
लेखा,
इस
युग
के
लोगों
से
लिया
जाए।
51
हाबील
की
हत्या
से
लेकर
जकरयाह
की
हत्या
तक
जो
वेदी
और
मन्दिर
के
बीच
में
घात
किया
गया:
मैं
तुम
से
सच
कहता
हूं;
उसका
लेखा
इसी
समय
के
लोगों
से
लिया
जाएगा।
52
हाय
तुम
व्यवस्थापकों
पर
!
कि
तुम
ने
ज्ञान
की
कुंजी
ले
तो
ली,
परन्तु
तुम
ने
आप
ही
प्रवेश
नहीं
किया,
और
प्रवेश
करने
वालों
को
भी
रोक
दिया।
53
जब
वह
वहां
से
निकला,
तो
शास्त्री
और
फरीसी
बहुत
पीछे
पड़
गए
और
छेड़ने
लगे,
कि
वह
बहुत
सी
बातों
की
चर्चा
करे।
54
और
उस
की
घात
में
लगे
रहे,
कि
उसके
मुंह
की
कोई
बात
पकड़ें॥
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