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1
क्या
ही
धन्य
हैं
वे
जो
चाल
के
खरे
हैं,
और
यहोवा
की
व्यवस्था
पर
चलते
हैं!
2
क्या
ही
धन्य
हैं
वे
जो
उसकी
चितौनियों
को
मानते
हैं,
और
पूर्ण
मन
से
उसके
पास
आते
हैं!
3
फिर
वे
कुटिलता
का
काम
नहीं
करते,
वे
उसके
मार्गों
में
चलते
हैं।
4
तू
ने
अपने
उपदेश
इसलिये
दिए
हैं,
कि
वे
यत्न
से
माने
जाएं।
5
भला
होता
कि
तेरी
विधियों
के
मानने
के
लिये
मेरी
चालचलन
दृढ़
हो
जाए!
6
तब
मैं
तेरी
सब
आज्ञाओं
की
ओर
चित्त
लगाए
रहूंगा,
और
मेरी
आशा
न
टूटेगी।
7
जब
मैं
तेरे
धर्ममय
नियमों
को
सीखूंगा,
तब
तेरा
धन्यवाद
सीधे
मन
से
करूंगा।
8
मैं
तेरी
विधियों
को
मानूंगा:
मुझे
पूरी
रीति
से
न
तज!
9
जवान
अपनी
चाल
को
किस
उपाय
से
शुद्ध
रखे?
तेरे
वचन
के
अनुसार
सावधान
रहने
से।
10
मैं
पूरे
मन
से
तेरी
खोज
मे
लगा
हूं;
मुझे
तेरी
आज्ञाओं
की
बाट
से
भटकने
न
दे!
11
मैं
ने
तेरे
वचन
को
अपने
हृदय
में
रख
छोड़ा
है,
कि
तेरे
विरुद्ध
पाप
न
करूं।
12
हे
यहोवा,
तू
धन्य
है;
मुझे
अपनी
विधियां
सिखा!
13
तेरे
सब
कहे
हुए
नियमों
का
वर्णन,
मैं
ने
अपने
मुंह
से
किया
है।
14
मैं
तेरी
चितौनियों
के
मार्ग
से,
मानों
सब
प्रकार
के
धन
से
हर्षित
हुआ
हूं।
15
मैं
तेरे
उपदेशों
पर
ध्यान
करूंगा,
और
तेरे
मार्गों
की
ओर
दृष्टि
रखूंगा।
16
मैं
तेरी
विधियों
से
सुख
पाऊंगा;
और
तेरे
वचन
को
न
भूलूंगा॥
17
अपने
दास
का
उपकार
कर,
कि
मैं
जीवित
रहूं,
और
तेरे
वचन
पर
चलता
रहूं।
18
मेरी
आंखें
खोल
दे,
कि
मैं
तेरी
व्यवस्था
की
अद्भुत
बातें
देख
सकूं।
19
मैं
तो
पृथ्वी
पर
परदेशी
हूं;
अपनी
आज्ञाओं
को
मुझ
से
छिपाए
न
रख!
20
मेरा
मन
तेरे
नियमों
की
अभिलाषा
के
कारण
हर
समय
खेदित
रहता
है।
21
तू
ने
अभिमानियों
को,
जो
शापित
हैं,
घुड़का
है,
वे
तेरी
आज्ञाओं
की
बाट
से
भटके
हुए
हैं।
22
मेरी
नामधराई
और
अपमान
दूर
कर,
क्योंकि
मैं
तेरी
चितौनियों
को
पकड़े
हूं।
23
हाकिम
भी
बैठे
हुए
आपास
में
मेरे
विरुद्ध
बातें
करते
थे,
परन्तु
तेरा
दास
तेरी
विधियों
पर
ध्यान
करता
रहा।
24
तेरी
चितौनियां
मेरा
सुखमूल
और
मेरे
मन्त्री
हैं॥
25
मैं
धूल
में
पड़ा
हूं;
तू
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझ
को
जिला!
26
मैं
ने
अपनी
चालचलन
का
तुझ
से
वर्णन
किया
है
और
तू
ने
मेरी
बात
मान
ली
है;
तू
मुझ
को
अपनी
विधियां
सिखा!
27
अपने
उपदेशों
का
मार्ग
मुझे
बता,
तब
मैं
तेरे
आश्यर्चकर्मों
पर
ध्यान
करूंगा।
28
मेरा
जीवन
उदासी
के
मारे
गल
चला
है;
तू
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझे
सम्भल!
29
मुझ
को
झूठ
के
मार्ग
से
दूर
कर;
और
करूणा
कर
के
अपनी
व्यवस्था
मुझे
दे।
30
मैं
ने
सच्चाई
का
मार्ग
चुन
लिया
है,
तेरे
नियमों
की
ओर
मैं
चित्त
लगाए
रहता
हूं।
31
मैं
तेरी
चितौनियों
में
लौलीन
हूं,
हे
यहोवा,
मेरी
आशा
न
तोड़!
32
जब
तू
मेरा
हियाव
बढ़ाएगा,
तब
मैं
तेरी
आज्ञाओं
के
मार्ग
में
दौडूंगा॥
33
हे
यहोवा,
मुझे
अपनी
विधियों
का
मार्ग
दिखा
दे;
तब
मैं
उसे
अन्त
तक
पकड़े
रहूंगा।
34
मुझे
समझ
दे,
तब
मैं
तेरी
व्यवस्था
को
पकड़े
रहूंगा
और
पूर्ण
मन
से
उस
पर
चलूंगा।
35
अपनी
आज्ञाओं
के
पथ
में
मुझ
को
चला,
क्योंकि
मैं
उसी
से
प्रसन्न
हूं।
36
मेरे
मन
को
लोभ
की
ओर
नहीं,
अपनी
चितौनियों
ही
की
ओर
फेर
दे।
37
मेरी
आंखों
को
व्यर्थ
वस्तुओं
की
ओर
से
फेर
दे;
तू
अपने
मार्ग
में
मुझे
जिला।
38
तेरा
वचन
जो
तेरे
भय
मानने
वालों
के
लिये
है,
उसको
अपने
दास
के
निमित्त
भी
पूरा
कर।
39
जिस
नामधराई
से
मैं
डरता
हूं,
उसे
दूर
कर;
क्योंकि
तेरे
नियम
उत्तम
हैं।
40
देख,
मैं
तेरे
उपदेशों
का
अभिलाषी
हूं;
अपने
धर्म
के
कारण
मुझ
को
जिला।
41
हे
यहोवा,
तेरी
करूणा
और
तेरा
किया
हुआ
उद्धार,
तेरे
वचन
के
अनुसार,
मुझ
को
भी
मिले;
42
तब
मैं
अपनी
नामधराई
करने
वालों
को
कुछ
उत्तर
दे
सकूंगा,
क्योंकि
मेरा
भरोसा,
तेरे
वचन
पर
है।
43
मुझे
अपने
सत्य
वचन
कहने
से
न
रोक
क्योंकि
मेरी
आशा
तेरे
नियमों
पर
हैं।
44
तब
मैं
तेरी
व्यवस्था
पर
लगातार,
सदा
सर्वदा
चलता
रहूंगा;
45
और
मैं
चोड़े
स्थान
में
चला
फिरा
करूंगा,
क्योंकि
मैं
ने
तेरे
उपदेशों
की
सुधि
रखी
है।
46
और
मैं
तेरी
चितौनियों
की
चर्चा
राजाओं
के
साम्हने
भी
करूंगा,
और
संकोच
न
करूंगा;
47
क्योंकि
मैं
तेरी
आज्ञाओं
के
कारण
सुखी
हूं,
और
मैं
उन
से
प्रीति
रखता
हूं।
48
मैं
तेरी
आज्ञाओं
की
ओर
जिन
में
मैं
प्रीति
रखता
हूं,
हाथ
फैलाऊंगा
और
तेरी
विधियों
पर
ध्यान
करूंगा॥
49
जो
वचन
तू
ने
अपने
दास
को
दिया
है,
उसे
स्मरण
कर,
क्योंकि
तू
ने
मुझे
आशा
दी
है।
50
मेरे
दु:ख
में
मुझे
शान्ति
उसी
से
हुई
है,
क्योंकि
तेरे
वचन
के
द्वारा
मैं
ने
जीवन
पाया
है।
51
अभिमानियों
ने
मुझे
अत्यन्त
ठट्ठे
में
उड़ाया
है,
तौभी
मैं
तेरी
व्यवस्था
से
नहीं
हटा।
52
हे
यहोवा,
मैं
ने
तेरे
प्राचीन
नियमों
को
स्मरण
करके
शान्ति
पाई
है।
53
जो
दुष्ट
तेरी
व्यवस्था
को
छोड़े
हुए
हैं,
उनके
कारण
मैं
सन्ताप
से
जलता
हूं।
54
जहां
मैं
परदेशी
होकर
रहता
हूं,
वहां
तेरी
विधियां,
मेरे
गीत
गाने
का
विषय
बनी
हैं।
55
हे
यहोवा,
मैं
ने
रात
को
तेरा
नाम
स्मरण
किया
और
तेरी
व्यवस्था
पर
चला
हूं।
56
यह
मुझ
से
इस
कारण
हुआ,
कि
मैं
तेरे
उपदेशों
को
पकड़े
हुए
था॥
57
यहोवा
मेरा
भाग
है;
मैं
ने
तेरे
वचनों
के
अनुसार
चलने
का
निश्चय
किया
है।
58
मैं
ने
पूरे
मन
से
तुझे
मनाया
है;
इसलिये
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझ
पर
अनुग्रह
कर।
59
मैं
ने
अपनी
चालचलन
को
सोचा,
और
तेरी
चितौनियों
का
मार्ग
लिया।
60
मैं
ने
तेरी
आज्ञाओं
के
मानने
में
विलम्ब
नहीं,
फुर्ती
की
है।
61
मैं
दुष्टों
की
रस्सियों
बन्ध
गया
हूं,
तौभी
मैं
तेरी
व्यवस्था
को
नहीं
भूला।
62
तेरे
धर्ममय
नियमों
के
कारण
मैं
आधी
रात
को
तेरा
धन्यवाद
करने
को
उठूंगा।
63
जितने
तेरा
भय
मानते
और
तेरे
उपदेशों
पर
चलते
हैं,
उनका
मैं
संगी
हूं।
64
हे
यहोवा,
तेरी
करुणा
पृथ्वी
में
भरी
हुई
है;
तू
मुझे
अपनी
विधियां
सिखा!
65
हे
यहोवा,
तू
ने
अपने
वचन
के
अनुसार
अपने
दास
के
संग
भलाई
की
है।
66
मुझे
भली
विवेक-
शक्ति
और
ज्ञान
दे,
क्योंकि
मैं
ने
तेरी
आज्ञाओं
का
विश्वास
किया
है।
67
उससे
पहिले
कि
मैं
दु:खित
हुआ,
मैं
भटकता
था;
परन्तु
अब
मैं
तेरे
वचन
को
मानता
हूं।
68
तू
भला
है,
और
भला
करता
भी
है;
मुझे
अपनी
विधियां
सिखा।
69
अभिमानियों
ने
तो
मेरे
विरुद्ध
झूठ
बात
गढ़ी
है,
परन्तु
मैं
तेरे
उपदेशों
को
पूरे
मन
से
पकड़े
रहूंगा।
70
उनका
मन
मोटा
हो
गया
है,
परन्तु
मैं
तेरी
व्यवस्था
के
कारण
सुखी
हूं।
71
मुझे
जो
दु:ख
हुआ
वह
मेरे
लिये
भला
ही
हुआ
है,
जिस
से
मैं
तेरी
विधियों
को
सीख
सकूं।
72
तेरी
दी
हुई
व्यवस्था
मेरे
लिये
हजारों
रूपयों
और
मुहरों
से
भी
उत्तम
है॥
73
तेरे
हाथों
से
मैं
बनाया
और
रचा
गया
हूं;
मुझे
समझ
दे
कि
मैं
तेरी
आज्ञाओं
को
सीखूं।
74
तेरे
डरवैये
मुझे
देख
कर
आनन्दित
होंगे,
क्योंकि
मैं
ने
तेरे
वचन
पर
आशा
लगाई
है।
75
हे
यहोवा,
मैं
जान
गया
कि
तेरे
नियम
धर्ममय
हैं,
और
तू
ने
अपने
सच्चाई
के
अनुसार
मुझे
दु:ख
दिया
है।
76
मुझे
अपनी
करूणा
से
शान्ति
दे,
क्योंकि
तू
ने
अपने
दास
को
ऐसा
ही
वचन
दिया
है।
77
तेरी
दया
मुझ
पर
हो,
तब
मैं
जीवित
रहूंगा;
क्योंकि
मैं
तेरी
व्यवस्था
से
सुखी
हूं।
78
अभिमानियों
की
आशा
टूटे,
क्योंकि
उन्होंने
मुझे
झूठ
के
द्वारा
गिरा
दिया
है;
परन्तु
मैं
तेरे
उपदेशों
पर
ध्यान
करूंगा।
79
जो
तेरा
भय
मानते
हैं,
वह
मेरी
ओर
फिरें,
तब
वे
तेरी
चितौनियों
को
समझ
लेंगे।
80
मेरा
मन
तेरी
विधियों
के
मानने
में
सिद्ध
हो,
ऐसा
न
हो
कि
मुझे
लज्जित
होना
पड़े॥
81
मेरा
प्राण
तेरे
उद्धार
के
लिये
बैचेन
है;
परन्तु
मुझे
तेरे
वचन
पर
आशा
रहती
है।
82
मेरी
आंखें
तेरे
वचन
के
पूरे
होने
की
बाट
जोहते
जोहते
रह
गईं
है;
और
मैं
कहता
हूं
कि
तू
मुझे
कब
शान्ति
देगा?
83
क्योंकि
मैं
धूएं
में
की
कुप्पी
के
समान
हो
गया
हूं,
तौभी
तेरी
विधियों
को
नहीं
भूला।
84
तेरे
दास
के
कितने
दिन
रह
गए
हैं?
तू
मेरे
पीछे
पड़े
हुओं
को
दण्ड
कब
देगा?
85
अभिमानी
जो
तरी
व्यवस्था
के
अनुसार
नहीं
चलते,
उन्होंने
मेरे
लिये
गड़हे
खोदे
हैं।
86
तेरी
सब
आज्ञाएं
विश्वासयोग्य
हैं;
वे
लोग
झूठ
बोलते
हुए
मेरे
पीछे
पड़े
हैं;
तू
मेरी
सहायता
कर!
87
वे
मुझ
को
पृथ्वी
पर
से
मिटा
डालने
ही
पर
थे,
परन्तु
मैं
ने
तेरे
उपदेशों
को
नहीं
छोड़ा।
88
अपनी
करूणा
के
अनुसार
मुझ
को
जिला,
तब
मैं
तेरी
दी
हुई
चितौनी
को
मानूंगा॥
89
हे
यहोवा,
तेरा
वचन,
आकाश
में
सदा
तक
स्थिर
रहता
है।
90
तेरी
सच्चाई
पीढ़ी
से
पीढ़ी
तक
बनी
रहती
है;
तू
ने
पृथ्वी
को
स्थिर
किया,
इसलिये
वह
बनी
है।
91
वे
आज
के
दिन
तक
तेरे
नियमों
के
अनुसार
ठहरे
हैं;
क्योंकि
सारी
सृष्टि
तेरे
आधीन
है।
92
यदि
मैं
तेरी
व्यवस्था
से
सुखी
न
होता,
तो
मैं
दु:ख
के
समय
नाश
हो
जाता।
93
मैं
तेरे
उपदेशों
को
कभी
न
भूलूंगा;
क्योंकि
उन्हीं
के
द्वारा
तू
ने
मुझे
जिलाया
है।
94
मैं
तेरा
ही
हूं,
तू
मेरा
उद्धार
कर;
क्योंकि
मैं
तेरे
उपदेशों
की
सुधि
रखता
हूं।
95
दुष्ट
मेरा
नाश
करने
के
लिये
मेरी
घात
में
लगे
हैं;
परन्तु
मैं
तेरी
चितौनियों
पर
ध्यान
करता
हूं।
96
जितनी
बातें
पूरी
जान
पड़ती
हैं,
उन
सब
को
तो
मैं
ने
अधूरी
पाया
है,
परन्तु
तेरी
आज्ञा
का
विस्तार
बड़ा
है॥
97
अहा!
मैं
तेरी
व्यवस्था
में
कैसी
प्रीति
रखता
हूं!
दिन
भर
मेरा
ध्यान
उसी
पर
लगा
रहता
है।
98
तू
अपनी
आज्ञाओं
के
द्वारा
मुझे
अपने
शत्रुओं
से
अधिक
बुद्धिमान
करता
है,
क्योंकि
वे
सदा
मेरे
मन
में
रहती
हैं।
99
मैं
अपने
सब
शिक्षकों
से
भी
अधिक
समझ
रखता
हूं,
क्योंकि
मेरा
ध्यान
तेरी
चितौनियों
पर
लगा
है।
100
मैं
पुरनियों
से
भी
समझदार
हूं,
क्योंकि
मैं
तेरे
उपदेशों
को
पकड़े
हुए
हूं।
101
मैं
ने
अपने
पांवों
को
हर
एक
बुरे
रास्ते
से
रोक
रखा
है,
जिस
से
मैं
तेरे
वचन
के
अनुसार
चलूं।
102
मैं
तेरे
नियमों
से
नहीं
हटा,
क्योंकि
तू
ही
ने
मुझे
शिक्षा
दी
है।
103
तेरे
वचन
मुझ
को
कैसे
मीठे
लगते
हैं,
वे
मेरे
मुंह
में
मधु
से
भी
मीठे
हैं!
104
तेरे
उपदेशों
के
कारण
मैं
समझदार
हो
जाता
हूं,
इसलिये
मैं
सब
मिथ्या
मार्गों
से
बैर
रखता
हूं॥
105
तेरा
वचन
मेरे
पांव
के
लिये
दीपक,
और
मेरे
मार्ग
के
लिये
उजियाला
है।
106
मैं
ने
शपथ
खाई,
और
ठाना
भी
है
कि
मैं
तेरे
धर्ममय
नियमों
के
अनुसार
चलूंगा।
107
मैं
अत्यन्त
दु:ख
में
पड़ा
हूं;
हे
यहोवा,
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझे
जिला।
108
हे
यहोवा,
मेरे
वचनों
को
स्वेच्छाबलि
जान
कर
ग्रहण
कर,
और
अपने
नियमों
को
मुझे
सिखा।
109
मेरा
प्राण
निरन्तर
मेरी
हथेली
पर
रहता
है,
तौभी
मैं
तेरी
व्यवस्था
को
भूल
नहीं
गया।
110
दुष्टों
ने
मेरे
लिये
फन्दा
लगाया
है,
परन्तु
मैं
तेरे
उपदेशों
के
मार्ग
से
नहीं
भटका।
111
मैं
ने
तेरी
चितौनियों
को
सदा
के
लिये
अपना
निज
भाग
कर
लिया
है,
क्योंकि
वे
मेरे
हृदय
के
हर्ष
का
कारण
हैं।
112
मैं
ने
अपने
मन
को
इस
बात
पर
लगाया
है,
कि
अन्त
तक
तेरी
विधियों
पर
सदा
चलता
रहूं।
113
मैं
दुचित्तों
से
तो
बैर
रखता
हूं,
परन्तु
तेरी
व्यवस्था
से
प्रीति
रखता
हूं।
114
तू
मेरी
आड़
और
ढ़ाल
है;
मेरी
आशा
तेरे
वचन
पर
है।
115
हे
कुकर्मियों,
मुझ
से
दूर
हो
जाओ,
कि
मैं
अपने
परमेश्वर
की
आज्ञाओं
को
पकड़े
रहूं।
116
हे
यहोवा,
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझे
सम्भाल,
कि
मैं
जीवित
रहूं,
और
मेरी
आशा
को
न
तोड़!
117
मुझे
थाम
रख,
तब
मैं
बचा
रहूंगा,
और
निरन्तर
तेरी
विधियों
की
ओर
चित्त
लगाए
रहूंगा!
118
जितने
तेरी
विधियों
के
मार्ग
से
भटक
जाते
हैं,
उन
सब
को
तू
तुच्छ
जानता
है,
क्योंकि
उनकी
चतुराई
झूठ
है।
119
तू
ने
पृथ्वी
के
सब
दुष्टों
को
धातु
के
मैल
के
समान
दूर
किया
है;
इस
कारण
मैं
तेरी
चितौनियों
से
प्रीति
रखता
हूं।
120
तेरे
भय
से
मेरा
शरीर
कांप
उठता
है,
और
मैं
तेरे
नियमों
से
डरता
हूं॥
121
मैं
ने
तो
न्याय
और
धर्म
का
काम
किया
है;
तू
मुझे
अन्धेर
करने
वालों
के
हाथ
में
न
छोड़।
122
अपने
दास
की
भलाई
के
लिये
जामिन
हो,
ताकि
अभिमानी
मुझ
पर
अन्धेर
न
करने
पांए।
123
मेरी
आंखें
तुझ
से
उद्धार
पाने,
और
तेरे
धर्ममय
वचन
के
पूरे
होने
की
बाट
जोहते
जोहते
रह
गई
हैं।
124
अपने
दास
के
संग
अपनी
करूणा
के
अनुसार
बर्ताव
कर,
और
अपनी
विधियां
मुझे
सिखा।
125
मैं
तेरा
दास
हूं,
तू
मुझे
समझ
दे
कि
मैं
तेरी
चितौनियों
को
समझूं।
126
वह
समय
आया
है,
कि
यहोवा
काम
करे,
क्योंकि
लोगों
ने
तेरी
व्यवस्था
को
तोड़
दिया
है।
127
इस
कारण
मैं
तेरी
आज्ञाओं
को
सोने
से
वरन
कुन्दन
से
भी
अधिक
प्रिय
मानता
हूं।
128
इसी
कारण
मैं
तेरे
सब
उपदेशों
को
सब
विषयों
में
ठीक
जानता
हूं;
और
सब
मिथ्या
मार्गों
से
बैर
रखता
हूं॥
129
तेरी
चितौनियां
अनूप
हैं,
इस
कारण
मैं
उन्हें
अपने
जी
से
पकड़े
हुए
हूं।
130
तेरी
बातों
के
खुलने
से
प्रकाश
होता
है;
उससे
भोले
लोग
समझ
प्राप्त
करते
हैं।
131
मैं
मुंह
खोल
कर
हांफने
लगा,
क्योंकि
मैं
तेरी
आज्ञाओं
का
प्यासा
था।
132
जैसी
तेरी
रीति
अपने
नाम
की
प्रीति
रखने
वालों
से
है,
वैसे
ही
मेरी
ओर
भी
फिर
कर
मुझ
पर
अनुग्रह
कर।
133
मेरे
पैरों
को
अपने
वचन
के
मार्ग
पर
स्थिर
कर,
और
किसी
अनर्थ
बात
को
मुझ
पर
प्रभुता
न
करने
दे।
134
मुझे
मनुष्यों
के
अन्धेर
से
छुड़ा
ले,
तब
मैं
तेरे
उपदेशों
को
मानूंगा।
135
अपने
दास
पर
अपने
मुख
का
प्रकाश
चमका
दे,
और
अपनी
विधियां
मुझे
सिखा।
136
मेरी
आंखों
से
जल
की
धारा
बहती
रहती
है,
क्योंकि
लोग
तेरी
व्यवस्था
को
नहीं
मानते॥
137
हे
यहोवा
तू
धर्मी
है,
और
तेरे
नियम
सीधे
हैं।
138
तू
ने
अपनी
चितौनियों
को
धर्म
और
पूरी
सत्यता
से
कहा
है।
139
मैं
तेरी
धुन
में
भस्म
हो
रहा
हूं,
क्योंकि
मेरे
सताने
वाले
तेरे
वचनों
को
भूल
गए
हैं।
140
तेरा
वचन
पूरी
रीति
से
ताया
हुआ
है,
इसलिये
तेरा
दास
उस
में
प्रीति
रखता
है।
141
मैं
छोटा
और
तुच्छ
हूं,
तौभी
मैं
तेरे
उपदेशों
को
नही
भूलता।
142
तेरा
धर्म
सदा
का
धर्म
है,
और
तेरी
व्यवस्था
सत्य
है।
143
मैं
संकट
और
सकेती
में
फंसा
हूं,
परन्तु
मैं
तेरी
आज्ञाओं
से
सुखी
हूं।
144
तेरी
चितौनियां
सदा
धर्ममय
हैं;
तू
मुझ
को
समझ
दे
कि
मैं
जीवित
रहूं॥
145
मैं
ने
सारे
मन
से
प्रार्थना
की
है,
हे
यहोवा
मेरी
सुन
लेना!
मैं
तेरी
विधियों
को
पकड़े
रहूंगा।
146
मैं
ने
तुझ
से
प्रार्थना
की
है,
तू
मेरा
उद्धार
कर,
और
मैं
तेरी
चितौनियों
को
माना
करूंगा।
147
मैं
ने
पौ
फटने
से
पहिले
दोहाई
दी;
मेरी
आशा
तेरे
वचनों
पर
थी।
148
मेरी
आंखें
रात
के
एक
एक
पहर
से
पहिले
खुल
गईं,
कि
मैं
तेरे
वचन
पर
ध्यान
करूं।
149
अपनी
करूणा
के
अनुसार
मेरी
सुन
ले;
हे
यहोवा,
अपनी
रीति
के
अनुसार
मुझे
जीवित
कर।
150
जो
दुष्टता
में
धुन
लगाते
हैं,
वे
निकट
आ
गए
हैं;
वे
तेरी
व्यवस्था
से
दूर
हैं।
151
हे
यहोवा,
तू
निकट
है,
और
तेरी
सब
आज्ञाएं
सत्य
हैं।
152
बहुत
काल
से
मैं
तेरी
चितौनियों
को
जानता
हूं,
कि
तू
ने
उनकी
नेव
सदा
के
लिये
डाली
है॥
153
मेरे
दु:ख
को
देख
कर
मुझे
छुड़ा
ले,
क्योंकि
मैं
तेरी
व्यवस्था
को
भूल
नहीं
गया।
154
मेरा
मुकद्दमा
लड़,
और
मुझे
छुड़ा
ले;
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझ
को
जिला।
155
दुष्टों
को
उद्धार
मिलना
कठिन
है,
क्योंकि
वे
तेरी
विधियों
की
सुधि
नहीं
रखते।
156
हे
यहोवा,
तेरी
दया
तो
बड़ी
है;
इसलिये
अपने
नियमों
के
अनुसार
मुझे
जिला।
157
मेरा
पीछा
करने
वाले
और
मेरे
सताने
वाले
बहुत
हैं,
परन्तु
मैं
तेरी
चितौनियों
से
नहीं
हटता।
158
मैं
विश्वासघातियों
को
देख
कर
उदास
हुआ,
क्योंकि
वे
तेरे
वचन
को
नहीं
मानते।
159
देख,
मैं
तेरे
नियमों
से
कैसी
प्रीति
रखता
हूं!
हे
यहोवा,
अपनी
करूणा
के
अनुसार
मुझ
को
जिला।
160
तेरा
सारा
वचन
सत्य
ही
है;
और
तेरा
एक
एक
धर्ममय
नियम
सदा
काल
तक
अटल
है॥
161
हाकिम
व्यर्थ
मेरे
पीछे
पड़े
हैं,
परन्तु
मेरा
हृदय
तेरे
वचनों
का
भय
मानता
है।
162
जैसे
कोई
बड़ी
लूट
पा
कर
हर्षित
होता
है,
वैसे
ही
मैं
तेरे
वचन
के
कारण
हर्षित
हूं।
163
झूठ
से
तो
मैं
बैर
और
घृणा
रखता
हूं,
परन्तु
तेरी
व्यवस्था
से
प्रीति
रखता
हूं।
164
तेरे
धर्ममय
नियमों
के
कारण
मैं
प्रतिदिन
सात
बेर
तेरी
स्तुति
करता
हूं।
165
तेरी
व्यवस्था
से
प्रीति
रखने
वालों
को
बड़ी
शान्ति
होती
है;
और
उन
को
कुछ
ठोकर
नहीं
लगती।
166
हे
यहोवा,
मैं
तुझ
से
उद्धार
पाने
की
आशा
रखता
हूं;
और
तेरी
आज्ञाओं
पर
चलता
आया
हूं।
167
मैं
तेरी
चितौनियों
को
जी
से
मानता
हूं,
और
उन
से
बहुत
प्रीति
रखता
आया
हूं।
168
मैं
तेरे
उपदेशों
और
चितौनियों
को
मानता
आया
हूं,
क्योंकि
मेरी
सारी
चालचलन
तेरे
सम्मुख
प्रगट
है॥
169
हे
यहोवा,
मेरी
दोहाई
तुझ
तक
पहुंचे;
तू
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझे
समझ
दे!
170
मेरा
गिड़गिड़ाना
तुझ
तक
पहुंचे;
तू
अपने
वचन
के
अनुसार
मुझे
छुड़ा
ले।
171
मेरे
मुंह
से
स्तुति
निकला
करे,
क्योंकि
तू
मुझे
अपनी
विधियां
सिखाता
है।
172
मैं
तेरे
वचन
का
गीत
गाऊंगा,
क्योंकि
तेरी
सब
आज्ञाएं
धर्ममय
हैं।
173
तेरा
हाथ
मेरी
सहायता
करने
को
तैयार
रहता
है,
क्योंकि
मैं
ने
तेरे
उपदेशों
को
अपनाया
है।
174
हे
यहोवा,
मैं
तुझ
से
उद्धार
पाने
की
अभिलाषा
करता
हूं,
मैं
तेरी
व्यवस्था
से
सुखी
हूं।
175
मुझे
जिला,
और
मैं
तेरी
स्तुति
करूंगा,
तेरे
नियमों
से
मेरी
सहायता
हो।
176
मैं
खोई
हुई
भेड़
की
नाईं
भटका
हूं;
तू
अपने
दास
को
ढूंढ़
ले,
क्योंकि
मैं
तेरी
आज्ञाओं
को
भूल
नहीं
गया॥
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